जरूरी हैं बच्चों को सिखाया जाए कि कैसे करें बॉडी शेमिंग का सामना, बने रहेंगे सकारात्मक

जैसे-जैसे बच्चों की उम्र बढ़ती हैं उनके शरीर की बनावट में भी बदलाव आने लगते हैं और समझ विकसित होने लगती हैं। टीनएज की उम्र में बच्चे एक-दूसरे की शारीरिक बनावट, रंग, रूप, लंबाई, वजन आदि के आधार पर मजाक बनाने लगते हैं जिसे बॉडी शेमिंग कहा जाता हैं। इसका बच्चों पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं। बहुत कम उम्र से ही, बच्चे अपनी धारणा और अपनी सोच बना लेते हैं जिनपर अक्सर हमारे विचारों का या दूसरे क्या कहते हैं उसका असर होता है। बॉडी शेमिंग के कमेंट बच्चों के आत्मविश्वास को हिला कर रख देते हैं। ऐसे में जरूरी हैं कि आपको अपने बच्चों को बॉडी शेमिंग का सामना करना सिखाया जाए ताकि वे सकारात्मक बने रह सकें। तो आइये जानते हैं किस तरह बच्चों को इसके लुए तैयार किया जाए...

बच्चे से बात करें

इस स्थिति को संभालने का सबसे पहला स्टेप यही है कि आप बच्चे से बात करें और उसमें उसके लुक्स के प्रति कॉन्फिडेंस जगाएं। बच्चे को समझाएं कि दुनिया में हर इंसान एक-दूसरे से अलग है और अलग होना ही उन्हें खास बनाता है। बच्चों को बचपन से ही सिखाएं कि अपने रंग, रूप, बनावट, मोटाई, लंबाई आदि को स्वीकार करें और किसी के कमेंट से अपने कॉन्फिडेंस को कम न होने दें। उन्हें बताएं कि इस समय वजन बढ़ना, फेस पर अनचाहे बाल का आना, हाथ-पैर व शरीर के अन्य भागों में बाल दिखना बहुत सामान्य है और ये सबके साथ होता है। इसे अपने ग्रोथ का हिस्सा मानें।

बताएं कि लुक्स के अलावा जीवन में बहुत कुछ है

बच्चों को बताएं कि जीवन में सिर्फ लुक्स सबकुछ नहीं होते हैं और दुनिया में बहुत सी ऐसी चीजें हैं जिनके बारे में सोचना जरूरी है। ये भी बताएं कि जितना वो सकारात्मक तरीके से अपने शरीर में आए बदलावों को स्वीकारेंगे, उतने ही कॉन्फिडेंट वो होंगे और इससे उनकी ओवरऑल पर्सनैलिटी आकर्षक होगी।

बच्चे को दूसरों का सम्मान करना सिखाएं

अक्सर बच्चे बॉडी शेमिंग के कमेंट पर जवाब के रूप में सामने वाले पर भी वैसा ही कमेंट कर देते हैं। अपने बच्चे को बताएं कि इस तरह कमेंट करके वो भी दूसरों का मजाक उड़ाने का ही काम कर रहे हैं। इसलिए उन्हें अपने आप में कॉन्फिडेंट रहना चाहिए और दूसरों का भी सम्मान करना चाहिए। बच्चे को यह भी समझाएं कि स्किन का रंग, लंबाई, चौड़ाई और अंगों की बनावट आदि प्रकृति तय करती है न कि कोई इंसान।

बच्चे को उसकी यूनीक क्वालिटीज बताएं

बच्चे को उसकी उन क्षमताओं के बारे में बताएं, जो उसमें दूसरों से अलग है। हर बच्चे में कुछ न कुछ यूनीक जरूर होता है। अपने बच्चे की उस यूनीक स्किल को समझें और उस स्किल के जरिए उनमें कॉन्फिडेंस भरें, ताकि वो दूसरों के कमेंट्स या बुली करने से घबराने के बजाय अपने अंदर पॉजिटिव एनर्जी महसूस कर सके।

बच्चे को खुद की तारीफ करना सिखाएं

दुनिया में कोई भी मोटिवेशनल स्पीकर आपको उतना मोटिवेट नहीं कर सकता, जितना आप स्वयं को कर सकते हैं। यह सिद्धांत सभी पर लागू होता है। इसलिए बच्चों को खुद की तारीफ करना सिखाएं। अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा अपने लुक्स या बॉडी को लेकर ज्यादा कॉन्शियस है, तो उसकी तारीफ करें और उसे खुद की तारीफ करना सिखाएं। लेकिन ध्यान रहे कि खुद की तारीफ करते हुए कहीं बच्चा दूसरों का मजाक न बनाना शुरू कर दे। अगर बच्चे की हाइट छोटी है, तो उसे छोटी हाइट वाले महान लोगों के बारे में बताएं और समझाएं कि लंबाई का जीवन की सफलता से कोई लेना-देना नहीं। इसी तरह रंग, वजन, विकलांगता आदि की चुनौतियों से लड़कर आगे बढ़ने वाले लोगों की भी हजारों कहानियां मौजूद हैं।

इंटरनेट का एक्सपोज़र करें कम

मेकअप, फिल्टर यूज करके इंटरनेट पर ज्यादातर लोग आकर्षक दिखते हैं। बॉलीवुड सेलेब्स की तस्वीरें, मॉडल्स आदी की स्लिम तस्वीरें लडृकियों को अपनी बॉडी के प्रति असुरक्षा की भावना देने लगती है। हालांकि ये तस्वीरें कैमरा एंगल, मेकअप, प्रॉपर लाइट और फैंसी कपड़ों और लोकेशन से अच्छे दिखती हैं, लेकिन कम उम्र की लड़कियां इन्हें रियल समझने लगती हैं और इन्हें ही अच्छा दिखने के लिए स्टैंडर्ड मानने लगती हैं। पैरेन्ट्स को ये देखना होगा कि बच्चे इन तस्वीरों से कैसे प्रभावित हो रहे हैं।

बच्चे को हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए प्रेरित करें

अगर बच्चे की समस्या लाइफस्टाइल में बदलाव से ठीक हो सकती है, तो ऐसे कमेंट्स को पॉजिटिव दिशा देते हुए आप उन्हें हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। हेल्दी लाइफस्टाइल न सिर्फ हेल्दी बॉडी के लिए जरूरी है, बल्कि पॉजिटिव माइंड के लिए भी बहुत जरूरी है। नियमित एक्सरसाइज ये भी सीखाता है कि कैसे जीवन को सही दिशा में ले जाने के लिए अनुशासन, सही सोच और स्वास्थ्य ज्यादा जरूरी है, न कि ये सोचकर की कौन कितना अच्छा दिख रहा है।

हर नेगेटिव मेसेज का दे पॉजिटिव जवाब

पैरेन्ट्स को बच्चों को ये बताना चाहिए कि एक इंसान के तौर पर वो उनके लुक्स से कहीं ज्यादा अनमोल हैं। बेशक वो अपने लुक्स की कुछ कमियों से खुश न हों, लेकिन सिर्फ यही दुनिया नहीं है। बच्चों को सिखाएं कि उनके दिमाग में जो भी नेगेटिव बातें आती हैं, जैसे अपनी हाइट को लेकर, फैट को लेकर या कुछ और, तो हर उस नेगेटिव सोच की जगह अपने बारे में पॉजिटिव सोचें। अपने गुणों के बारे में सोचे। मिरर में खुद को देखकर कहें, ऑल्वेज़ सेक्सी, ऑल्वेज़ ब्रिलिएंट। औप खुद को इसी तरह के कई पॉजिटिव संदेश दे सकते हैं। अगर कोई आपको बार-बार मोटापे या हाइट के लिए शेम कर रहा है तो उसे अपने कनेक्शन से हटा दें।