पति-पत्नी का रिश्ता आज के दौर में मित्रता, प्यार और सहभागिता का परिचायक बन गया है। जिसमें दोनों को एक दूसरे को समझाने के बजाए एक दूसरे को समझने की कोशिश करनी चाहिए। ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे है जिनकी मदद से पति-पत्नी के रिश्तों को और मजबूती मिलती है...
इन बातों को ना करें नजरअंदाज़ दो अलग-अलग व्यक्तित्व वाले शख्स विवाह के सूत्र में बंध जाते हैं, दोनों को अपने अतीत को भूलकर एक दूसरे के साथ अपना भविष्य देखना होना है। ऐसे में एक दम से अपने पार्टनर से तेजी से बदलाव की उम्मीद ना करें। दोनों के काम करने के तरीके और दिनचर्या भिन्न होने के कारण उन्हें नए माहौल में ऐडजेस्ट करने के लिए कुछ समय देना चाहिए। धैयपूर्वक इस कसौटी पर खरे उतरने का परिणाम ये होता है कि रिश्ते स्वाभाविक रूप से विकसित होते हैं और रिश्तों में आनंद और सुकून मिलता है।
सूझबूझ है जरूरी
जैसे ही नई दुल्हन ससुराल में प्रवेश करती है सब उसे उसकी जिम्मेदारी महसूस कराने में लग जाते हैं, जबकि नई बहू के अधिकारों के प्रति सजग होने की जरूरत होती है। पति-पत्नी के अधिकारों का संरक्षण हर हाल में होना चाहिए, ताकि उन्हें स्पेस और स्वतंत्रता महसूस हो सके, वह जमाना गया जब पत्नी को पति से कम समझा जाता था। आज की पत्नियां शिक्षित, जागरूक और सकारात्मकता से परिपूर्ण होती है। उनके कर्तव्यों के साथ उनके अधिकारों के प्रति भी उन्हें स्पेस दें।
बनाएं बेहतर माहौल
पहले के जमाने में सास अपनी बहू से उन सभी बातों की अपेक्षा रखती थी, जो उसने अपने जमाने में अपनी सास के कारण सहन की। लेकिन आज की पढ़ी-लिखी व समझदार सास अपनी बहू को उन सब उलझनों से बचाना चाहती है, जिनका सामने उन्होंने स्वयं अपने ज़माने में किया। साथ ही अपनी बहू को उन सभी सपनों को पूरा करने की स्वतंत्रता देना चाहती हैं, जो आर्थोडोक्स ख्यालों वाले परिवार में वह ख्ूद पूरा नहीं कर पाई।
तालमेल बैठाएं
कामकाजी महिलाएं पति के साथ-साथ घर के आर्थिक भार को सहन करती हैं। ऐसे में अपनी बहू से घर के काम परफेक्ट तरीके से करने की अपेक्षा ना करें। बल्कि उसकी उन कामों में मदद करें। बहू को भी चाहिए कि समय-समय पर अपनी तरफ से सास-ससुर को उन की जरूरत की चीजें उपहार में दें। ऐसा करने से रिश्तों में प्यार का ईजा़फा होता है।