युवा माएं अपने बच्चे की परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ती। चाहे वे नौकरीपेशा हो या या घर संभालती हो। पर कुछ कसक उनके मन में हमेशा रह जाती है। अगर आपके मन में भी कुछ बातें छिपी हैं, तो निकल फेंकिए और खुश रहना सीखिए। हम आपको बताएंगे कुछ ऐसी बातें जिन्हें जानकर आप अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में संतुलन बिठा सकती है।
आनंद लेना सीखेंपहली बात जो सबसे जरूरी है वो है परवरिश। इन ख़ास लम्हों को खुलकर और बेफिक्री से जियें। कुछ माएं घर को हर वक्त साफ़-सुथरा रखने में जुटी रहती हैं। घर अगर थोड़ा अस्त- व्यस्त है तो उसकी चिंता में तुरंत सफाई करने में ना जुटें, बल्कि समय मिलने पर आराम से करें।
थोड़ी बेपरवाह भी बनेंबच्चो की परवाह हर मां करती है,लेकिन जरूरत से ज्यादा परवाह भी बच्चे को आत्मनिर्भर बनाने से रोकती है। बच्चों को आसपास अकेला जाने दें। बच्चे माता-पिता के हर वक्त आस-पास रहने या जरूरत से ज्यादा चिंता करने वाले व्यवहार से खीझ जाते है।
नौकरीपेशा है तो गम कैसानौकरीपेशा माएं अक्सर अपराध बोध से घिरी रहती हैं। उन्हें लगता है कि वे दफ्तर आदि के कारण बच्चें का पूरी तरह से ख्याल नहीं रख पाती। जबकि वे जाती हैं कि माएं अपने सामर्थ्य से कहीं अधिक अपने बच्चे की देखभाल करती है।
नजरअंदाज करना सीखें छोटी-मोती बातों को याद ना रख पाने के लिए खुद बंद करें। जीवन में ये सब चलता रहता है। कभी काम बेहतरीन होते हैं तो कभी छोटी-मोटी कमी रह जाती है। इसलिए कब तक हर छोटी बात के लिए खुद को गुनहगार मानेगी। एक बात हमेशा याद रखें ऐसा करने से बच्चो के समाने आप खुद को कमजोर साबित करेगी।खुद से प्यार करे, दोस्तों के साथ कॉफ़ी पीने जाये, घूमे-फिरें। जब आप खुश रहेगी और अपना ख्याल रखेगीं,तभी दुसरो का रख पायेगी।
ना कहना भी जरूरी हैजरूयी बात जो सभी माओं को जानना जरूरी है। बच्चो की हर ख्वाहिश और जिद ना करें। कुछ बातो में ना कहना भी सीखें। और ना कहने के बाद अपराधबोध में ना रहें।बच्चों को सहमति और असहमति दोनों के बारे में जानना जरूरी है।