बच्चों की बोर्ड परीक्षाओं में पेरेंट्स भी दे उनका साथ, इस तरह बने उनका सपोर्ट सिस्टम

कोरोना की महामारी इस समय बहुत कम हैं जिसके चलते सभी राज्यों और केंद्रीय बोर्ड में परीक्षाएं ऑफलाइन कराई जा रही हैं। कोरोना के कारण पीछले दो साल कई बच्चे ऑफलाइन परीक्षा में नहीं बैठे हैं तो ऐसे में बच्चों कपर बोर्ड परीक्षाएं देने का भार अधिक हैं। कई बार इस भार के चलते बच्चे डिप्रेशन का शिकार भी हो जाते हैं। लेकिन ऐसे में पेरेंट्स को बच्चों का सपोर्ट सिस्टम बनने की जरूरत हैं जहां उन्हें बच्चों को टोकना, ताने मारने की जगह उन्हें आत्मविश्वास देने की जरूरत हैं ताकि वे अपनी पढ़ाई पर ध्यान केन्द्रित कर सकें। इस समय में अभिभावको की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है जिसमें उनका उसका सपोर्ट सिस्टम बनकर उन्हें हौसला दिया जा सके। जानें इसके लिए पेरेंट्स को क्या करना होगा...

भावनात्मक सपोर्ट दें

अक्सर इन दिनों में बच्चे अपने कोर्स को लेकर घबरा जाते हैं अथवा एक्जाम फोबिया से ग्रस्त हो जाते हैं उन्हें लगता है कि यदि वे परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए तो ऐसे में आपका दायित्व है कि आप उन्हें समझााएं कि उनके मार्क्स कम आएं या अधिक आप हर हाल में उनके साथ हैं। समय निकालकर आप उनसे पढाई के अलावा अन्य विषयों पर खूब बातें करें ताकि आप उनके मन की बातों को पढकर उपयुक्त मार्गदर्शन प्रदान कर सकें।

तुलना न करें

मेरी सहेली की बेटी रोज 10 घंटे पढाई करती है और एक तुम हो कि 2 घंटे भी एक जगह नहीं बैठते। इस प्रकार की तुलनात्मक बातें बच्चे को मानसिक रूप से आहत करतीं हैं क्योंकि जिस प्रकार अपनी किचिन में आपका काम करने का अपना तरीका होता है उसी प्रकार हर बच्चे का भी अपनी पढाई का एक तरीका, योग्यता और क्षमताएं होती हैं और वह उसी के अनुसार अपना अध्ययन करता है।

ताना न मारें

तुम कुछ नहीं कर सकते, भगवान जाने तुम्हारा क्या होगा, जैसे ताने या कटु वचन कहकर अपने बच्चे को आहत बिल्कुल भी न करें। ध्यान रखिए कि वर्तमान समय में अंको की अधिकता किसी भी अच्छे कालिज में एडमीशन होना सुनिश्चित नहीं करता और न ही एक कक्षा के अधिक मार्क्स से बच्चे का जीवन बनता बिगड़ता है हां इस प्रकार के वाक्यों से आप अपने और बच्चे के मध्य एक दूरी अवश्य स्थापित कर लेते हैं।

स्वस्थ पारिवारिक माहौल दें

कई परिवारों में पति पत्नी आपस में लड़ते झगड़ते रहते हैं, अथवा अत्यधिक मेहमानों का आवागमन होता रहता है ऐसे में बच्चे के लिए पढाई कर पाना अत्यंत मुश्किल हो जाता है। इस समय आवश्यक है कि आप अपने बच्चे को घर में एक स्वस्थ वातारण प्रदान करें ताकि वह बिना किसी व्यवधान के अपनी पढाई पूरी कर सकें। बच्चे की परीक्षा के दिनों में टी। वी।, नेट आदि बंद करके कर्फ्यू जैसा माहौल बनाने की अपेक्षा घर के वातावरण को सरल और सहज रखें ताकि बच्चा भी परीक्षा को हौव्वा न समझकर एक सहज प्रक्रिया समझें।

डाइट का रखें विशेष ध्यान

बच्चा इन दिनों बहुत पढाई करता है ऐसे में आप उसकी डाइट और समय पर भोजन देने का ध्यान रखें उसे पौष्टिक भोजन के साथ साथ बिना तला भुना और ऐसा भोजन खाने को दें जिससे उसे अधिक आलस्य और नींद न आए। इस समय फास्ट फूड के स्थान पर ताजे फलों का ज्यूस, बादाम, अखरोट और भुने मखाने जैसे मेवे और हरी सब्जियां खाने को दें।

मार्क्स का प्रेशर न बनाएं

90 प्रतिशत मार्क्स नहीं आए तो एडमीशन नहीं मिलेगा अथवा फलाने का बेटा क्लास में टॉप करता है तो तुम्हें भी करना है के स्थान पर बच्चे को सदैव अपना सर्वश्रेष्ठ करने के लिए प्रेरित करें ताकि बच्चा बिना किसी दबाब के उत्तम प्रदर्शन कर सके। ध्यान रखिए कि आपके द्वारा दिया गया किसी भी प्रकार का तनाव परीक्षा में बच्चे की परफार्मेंस को प्रभावित करता है। यदि बच्चा स्वयं ही किसी प्रकार का तनाव ले रहा है तो भी उसे समझाएं कि यह परीक्षा ही जिंदगी की अंतिम परीक्षा नहीं है भविष्य में अनेंकों अवसर उसे स्वयं को प्रूव करने के मिलेंगें।

मददगार बनें

जब परीक्षा एकदम सिर पर होती है तो कुछ बच्चे घबरा जाते हैं और कैसे पढें, क्या तरीके अपनाएं पढाई के, या फिर कैसे रिवीजन करें जैसी बातों से दोचार होते होते परेशान हो जाते हैं। हो सके तो उन्हें स्वयं गाइड करें अथवा अपने किसी परिचित षिक्षक से मदद लेने को कहें ताकि बच्चा अपना खोया आत्मविश्वास प्राप्त कर सकें।