Teachers Day : समय के साथ मॉडर्न हो गये हैं हमारे गुरूजी, जाने कैसे

आज पूरे देश में 'शिक्षक दिवस' मनाया जा रहा हैं। शिक्षक का नाम आते ही मुंह पर गुरूजी शब्द आ जाता हैं और आँखों के सामने धोती कुर्ता पहने हुए एक ऐसा शख्स दिखाई देता हैं जो अपनी गुस्से भरी आँखों पर मोटे ग्लास का चश्मा चढ़ाये हुए रहता हैं। लेकिन आज के बदलते दौर में समय के साथ हमारे गुरूजी भी बदल गए हैं, वो क्या है ना कि वो अब मॉडर्न हो गए हैं। आइये जानते हैं किस तरह समय के साथ मॉडर्न हो गये हैं हमारे गुरूजी।

* ब्लैकबोर्ड बिना फेयर एन लवली के वाइट बोर्ड हो गया

हाथों में डिजिटल दुनिया के दरवाज़े की वो चाभी आ गयी जिससे मात्र एक क्लिक से दुनिया का सब ज्ञान हमारे इर्द गिर्द मंडराने लगा। अब लगा की शायद टीचर की ज़रूरत ही नहीं पर वो दोहा तो सबने पढ़ा है-गुरु बिन भवनिधि तरहिं न कोई, गूगल पर ज्ञान का इतना रायता फैला है की उसे समेटने और अपने टेस्ट का रायता बीनने के लिए फिर हमे गुरु जी की ज़रूरत पड़ी।

* हाथों में स्मार्ट फ़ोन और होठों पर मुस्कान

अब उनके हाथों में स्मार्ट फ़ोन और होठों पर मुस्कान है। अब बच्चे उनकी डांट से थर थर कांपते नहीं, अब उनके और बच्चों के बीच दोस्ती है। अब वो जो जीता वही सिकंदर के दुबेजी (गोवर्धन असरानी) जैसे नहीं दीखते है अब वो तारे ज़मीन पर के राम शंकर निकुम्भ (आमिर खान) और मैं हूँ न की मिस चांदनी (सुष्मिता सेन) जैसे दीखते हैं। अब वो सिर्फ गुणवत्ता पर ही नहीं प्रस्तुतीकरण पर भी उतना ही ध्यान देते है।

* आखिर मॉडर्न हो गये हैं हमारे गुरूजी

आज वो जीन्स और टीशर्ट पेहेनते हैं, स्मार्ट गाड़ियाँ चलाते हैं, वो सशक्त है, अपडेटेड है और हर मायने में बेहतरीन हैं, उनके पढ़ाने का तरीका, बातचीत का ढंग रहें सहन सब बदल गया है, आखिर हो भी क्यों न बचपन में नर्सरी से लेकर बड़े होने तक हम हर मायने में अपने टीचर को ही फॉलो करते आये हैं और करते रहेंगे, वो हमारे रोल मॉडल है। हमारे इस रोल मॉडल का मॉडर्न स्वरूप बहुत ही रोकिंग है, वो हमारे मार्ग दर्शक कल भी थे आज भी हैं और हमेशा रहेंगे।