आपकी भी आंखें नम कर देगी हर बहु के मन की यह व्यथा

क्यों ससुराल में लड़की को पराया समझा जाता है

सुना था लड़कियों का कोई घर नहीं होता,
पर पता नहीं लड़कियों के बिना कोई घर क्यों नहीं बनता।

लड़की तो ससुराल को अपना घर समझकर आती है,
पर पता नहीं उसे पराया क्यों महसूस कराया जाता है।

शादी से पहले बोलते हैं कि आपकी बेटी हमारी बेटी जैसी है,
पर पता नहीं शादी के बाद उसे बहू का दर्जा क्यों दिया जाता है।

बाहर तो जताते फिरते हैं कि बहू हमारी लक्ष्मी हैं,
पर पता नहीं वही लोग घर के अंदर उस पर क्यों शक किया करते हैं।

अपनी फिक्र किए बिना दिन रात ससुराल वालों के लिए प्रार्थना किया करती है,
पर पता नहीं उसकी प्रार्थना को नाटक का रूप क्यों समझा जाता है।

किसी की बेटी ही किसी की बहू होती है दोनों का मोल अनमोल होता है,
पर पता नहीं ऐसा क्यों नहीं समझा जाता है।

जिस दिन समाज से बेटी और बहू में कोई अंतर नहीं रहेगा तभी हर घर स्वर्ग बन पाएगा,
पर पता नहीं वह दिन कब आएगा।

डॉ. सोनिया लखोटिया