माँ बातों-बातों में सिखा देती हैं जीने के ये ढंग

माँ दुनिया के सबसे खूबसूरत शब्दों में से एक है, क्योंकि माँ के प्यार की कोई सीमा नहीं होती। इसलिए माँ और बच्चे का रिश्ता इस दुनिया के सबसे खूबसूरत रिश्तों में से एक है। लेकिन यह बात भी सच है कि वह जिंदगी के कई चैप्टर्स को सिखाने के लिए कभी प्यार का सहारा लेती हैं, तो कभी मार का। लेकिन इस बात की पूरी गारंटी होती है कि उससे बेहतरीन जिंदगी के पड़ावों को कोई दूसरा नहीं समझा सकता है। मां के आदर्शों से ही बच्चे आगे बढते हैं और उसकी दी गई सीख बच्चों को सारी जिंदगी याद रहती है। कुछ बातें ऐसी होती हैं जिनको ना तो स्कूल में पढ़ाया जाता है और ना मां के अलावा कोई और बच्चों को सीखा सकता है। आइये जानते हैं उन बातों को जो हर माँ से सीखने को मिलती हैं।

* दूसरों की केयर करना : मां अपने बच्चों की खास देखभाल करती हैं। बच्चा चाहे कितना भी शैतान क्यों न हो मां उसको प्यार करना कभी नहीं छोड़ती। इतने कामों के होते हुए भी मां परिवार और बच्चों की हर जरूरत का ख्याल रखती है। उसकी यही बात को बच्चे भी अपनी जिंदगी में ढाल लेते हैं।

* प्यार करना : शायद प्यार जैसे सुंदर शब्द माँ के लिए बना है, क्योंकि एक माँ ही हैं जो सच्चे और बिना किसी मतलब के प्यार करती हैं। सच तो यह है कि वह अपने सभी बच्चों को एक जैसा प्यार करती हैं, और इसी प्यार की उम्मीद वो अपने बच्चों से भी रखती हैं। ऐसे में बच्चों को अपनी माँ से प्यार की सच्चाई और गहराई को जरूर सीखनी चाहिए, ताकि आगे उनके काम आ सके।

* जिम्मेदारी निभाना : बच्चों के छोटे होने से लेकर बड़े होने तक हर समय मां उनका ख्याल रखती है। समय-समय पर जरूरत से पहले ही उनको चीज लाकर देती है। मां अपने हर बच्चे के लिए पूरी तरह से बराबर की जिम्मेदारी निभाती है। मां की इन्ही बातों को बच्चे अपनी जिंदगी में ढाल लेते हैं।

* गुस्से पर काबू रखना : जिंदगी के सबसे अहम सीख में से एक है गुस्से पर काबू पाना। क्योंकि, एक परिवार को बांधे रहने के लिए उन्हें अच्छी तरह से पता होता है कि क्या नजरअंदाज करना है और कब बोलना है। इतना ही नहीं, कई बार बच्चों के जवाब देने पर मां अक्सर सुनकर खामोश रह जाती हैं। ऐसे में इगो को साइड रखकर कैसे रिलेशनशिप को निभाते हैं इस बात को मां से बेहतर कोई नहीं समझा सकता।

* अनुशासन का पालन करना : बच्चों की जिंदगी में कुछ बातें ऐसी होती हैं जिससे मां के गुण भी पहचाने जाते हैं। अपने से बड़ों के साथ कैसी बातचीत करनी है। अपने से छोटे बच्चों के साथ किस तरह से पेश आएं और कैसे उनकी देखभाल करनी है। यह बातें बच्चे के बड़े होने के बाद भी काम आती हैं।

* भरोसा करना
: हर रिश्ते की नीब भरोसे पर टिकी होती है, क्योंकि एक भरोसा ही होता है जो शादी के बाद नए घर से नए रिश्ते को जोड़ने का काम करता है। ऐसे में इसी भरोसे की चाहत अपने बच्चों और अपने आने वाली पीढ़ी से भी करती है।