बच्चों पर बुरा असर डालती हैं पेरेंट्स की ये आदतें, जानकर दिखाएं समझदारी

बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए पेरेट्स द्वारा दी गई परवरिश बहुत मायने रखती हैं। घर ही बच्चों का पहला स्कूल होता हैं जहां से वह सीखने की शुरुआत करता हैं और पेरेंट्स को देखकर जीवन के बारे में बहुत कुछ जान पाता हैं। पेरेंट्स एक इंसान के रूप में चाहें कितनी भी गलत आदतों का आचरण या खराब व्यवहार करता हो लेकिन बच्चों के जीवन में आ जाने पर वह खुद को बदलना शुरू कर देता हैं। ऐसे में आज हम आपको पेरेंट्स की उन आदतों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका बच्चों पर बुरा असर पड़ता हैं। इन आदतों को जान पेरेंट्स को इनमें बदलाव लाने की जरूरत है। इन आदतों का आगे चलकर बच्चे के भविष्य पर गहरा असर पड़ता है। आइये जानते हैं इनके बारे में...

हर वक्त बच्चे के आसपास रहना

कुछ पैरेंट्स जब देखो अपने बच्चे के चारों ओर उनके साये की तरह मंडराते रहते हैं। पेरेंटिंग का यह तरीका अधिकतर 11वीं कक्षा से शुरू होकर कॉलेज जाने वाली उम्र के बच्चों के अभिभावक अपनाते हैं। पेरेंट्स अपने बच्चे के प्रति ओवर प्रोटेक्टिव होने लगते हैं और बच्चे से हर वक्त क्यूं, क्या जैसा सवाल पूछते रहते हैं। पैरेंट्स की इस हरकत के वजह से बच्चा चिड़चिड़ा होने लगता है और साथ ही झूठ बोलने को भी मजबूर हो जाता है। इसके अलावा कई बच्चे फैसला लेने में, सही गलत में समझ रखने में या फिर अकेले कहीं जाने से घबराने लगते हैं। बच्चे का हर फैसला उसके माता-पिता के लेने से वह अंदर से खोखला होने लगता है। साथ ही बच्चे के निर्णय लेने की क्षमता भी घट जाती है।

बिना बात के गुस्सा और चिल्लाना


बच्चे गलती करते हैं तो माता-पिता का गुस्सा करना जायज है लेकिन बिना किसी बात के बच्चों पर गुस्सा करना या चिल्लाना उनपर बुरा असर डाल सकता है। साथ ही, कहीं और का गुस्सा अपने बच्चों पर आकर उतारना भी बच्चों को प्रभावित करता है। ऐसे में माता-पिता को संयम से काम लेना सीखना चाहिए। इस बात का भी ध्यान रखें जो आप गुस्से में बोलते हैं उससे बच्चों का नाजुक मन-मस्तिष्क बुरी तरह प्रभावित होता है इसलिए अपनी बातों पर कंट्रोल रखना भी आपको सीखना होगा।

एक-दूसरे के साथ झगड़ा करना

कई माता-प‍िता बच्चों के सामने ही लड़ाई-झगड़ा शुरू कर देते हैं। वे भूल जाते हैं क‍ि पति-पत्नी होने के साथ वे माता-प‍िता भी हैं। माता-प‍िता होने के नाते, उन्हें आपस की बात बच्चों के सामने नहीं करना चाह‍िए। क‍िसी गंभीर व‍िषय पर बात कर रहे हैं, तो बच्चों को दूर ही रखें। जो बच्चे माता-प‍िता को झगड़ता हुआ देखकर बड़े होते हैं उनके द‍िमाग पर नकारात्मक असर पड़ता है।

अपने बच्चे की तुलना न करें

अपने बच्चे की तुलना दूसरे बच्चों से करना सबसे आम पेरेंटिंग गलतियों में से एक है। लगभग हर माता-पिता अपने बच्चे की तुलना पडोंसी, रिश्तेदार या फिर बच्चे के ही किसी दोस्त से करते रहते हैं। ऐसा करते समय पैरेंट्स यह बिल्कुल नहीं सोचते कि बच्चे की इस प्रकार कमियां गिनाने और हर समय दूसरों से तुलना करने से उसके स्वाभिमान पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा इससे वह खुद को नालायक, नाकारा या फिर असक्षम महसूस कर सकता है। तुलना करने के बजाय, आप अपने बच्चे की उपलब्धियों और उसकी अच्छाइयों के साथ उसको समझाएं और उसके गलत काम को सुधारने की कोशिश करें।

बच्चे की निजता का कोई सम्मान ना होना

सुनने में थोड़ा अटपटा लग सकता है लेकिन माता-पिता जाने-अनजाने अपने बच्चे की निजता का कोई सम्मान नहीं करते। बच्चों की हर छोटी-बड़ी एक्टिविटी को सोशल मीडिया पर डालना, बच्चों की परेशानियों को भरी सभा में सबसे बांटना या फिर बच्चों की किसी दिक्कत को मजाक के रूप में सबको बताना और बच्चे को हंसी का पात्र बनाना ऐसी ही कुछ बातें हैं जो बच्चे को बुरी तरह प्रभावित कर सकती हैं।

ज्यादा मजाक करना


बच्चों के साथ ज्यादा मजाक करने की आदत न डालें। अगर आपकी आदत ज्यादा मजाक करने की है, तो ये आप पर भारी भी पड़ सकती है। कई बच्चे व्यवहार से संवेदनशील होते हैं। अगर माता-प‍िता ही बच्चे का मजाक बनाएंगे, तो इससे उनके मन पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। क‍िसी भी व्यक्त‍ि की जात‍ि, ल‍िंग, आर्थिीक स्थ‍ित‍ि के बारे में मजाक न बनाएं। ध्यान रखें क‍ि आपका बच्चा भी इन बातों से प्रभाव‍ित हो सकता है।

बच्चे की अधिक प्रशंसा


बच्चे की सफलता और अच्छे कामों के लिए उसकी प्रंशसा या तारीफ करना सही है लेकिन बच्चे की गलती को छिपाना और उसे बढ़ावा देना गलत है। पेरेंट्स की बच्चों को ओवरप्रेट करने की आदत बच्चों में सही और गलत की उचित समझ से दूर कर, हमेशा खुद को सही मानने की आदत डाल सकती है। बच्चे की उतनी ही प्रशंसा करें जितना जरूरी है। ज्यादा बोलने से कई बार बच्चे ओवर कॉन्फिडेंट हो जाते हैं।