बच्चों का जीवन संवार सकती हैं खेल खेलने की आदत, जानें कैसे

बचपन में ज्यादातर बच्चे अपना काफी समय खेल-कूद में ही बिताना पसंद करते हैं। बच्चों को खेलते हुए देखकर सभी अपने बचपन की यादों में पहुंच जाते हैं। लेकिन आजकल के बच्चे अपना ज्यादातर समय शारीरिक खेल से ज्यादा मोबाइल चलाने या वीडियो गेम खेलने में बिताते हैं जो कि उनके लिए किसी भी तरीके से फायदेमंद नहीं हैं। लेकिन बढ़ते बच्चे के लिए खेलना बेहद आवश्यक है। शारीरिक गतिविधियों की कमी की वजह से बच्चों में शारीरिक निष्क्रियता, मोटापा और कई स्वास्थ्य समस्याएं हो रही है। बच्चों की बेहतर ग्रोथ के लिए पढ़ाई के साथ-साथ खेलना भी बेहद जरूरी होता है। आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि खेल खेलने की आदत किस तरह बच्चों का जीवन संवार सकती हैं। आइये जानते हैं इसके बारे में...

आती है शारीरिक मजबूती

खेलने से बच्चा अंदर से मजबूत बनता है और इससे उनका शारीरिक विकास तेजी से होता है। दरअसल खेलने के दौरान आपके शरीर में तेजी से ऑक्सीजन का संचार होता है। इससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर हो सकता है। साथ ही इससे आपके बच्चे का पाचन तंत्र भी अच्छा होता है। ऐसे में वे जो भी खाते हैं, उसका पाचन अच्छे से होता है। इसलिए, उन्हें खेलने के लिए प्रोत्साहित करें क्योंकि इससे उनका मानसिक विकास भी अच्छे से होता है क्योंकि खेलने के दौरान शरीर एंडोर्फिन नामक हार्मोन जारी करता है, जिससे शरीर में सकारात्मक भावना का संचार होता है।

प्रतियोगी भावना होती है विकसित

आपका बच्चा प्रतियोगिता के विश्व में उतरे उससे पहले उसे यह सिखाना आवश्यक है कि प्रतियोगिता किस प्रकार की जाती है तथा खेल की गतिविधियों के माध्यम से उच्च स्थान पर कैसे पहुंचा जा सकता है। जीतना और हारना जीवन का हिस्सा है तथा आपका बच्चा इसे खेल की उन गतिविधियों के माध्यम से सीखता है जिसमें वह हिस्सा लेता है। कभी कभी वह हार भी सकता/सकती है तथा तभी वह बातों को खिलाड़ी भावना से लेना सीखता है।

खुद को प्रस्तुत करने का मौका

खेल के माध्यम से बच्चे खुद को प्रस्तुत कर सकते हैं। पढ़ाई में अच्छे ना होने के बावजूद भी हम खुद को और अपने अध्यापकों को अपनी काबिलियत के बारे में बता सकते हैं। इसके साथ-साथ जो बच्चे खेल में अच्छा परफॉर्म करते हैं उन्हें प्रतियोगिताओं में भाग लेने और जीतने का भी मौका मिलता है।

बढ़ेगी सोशल स्किल्स

दूसरे बच्चों के साथ खेलने से बच्चों में सामाजिक कौशल का विकास होता है। इससे बच्चे दूसरों के साथ बीतचीत करना सीख जाते हैं। साथ ही टीम में रहकर बच्चे एक-दूसरे का सहयोग करना और एकजुट होकर रहना सीखते हैं। ऐसे में बच्चों की मानसिक क्षमता भी तेजी से विकसित होती है। वहीं टीम में खेलने से बच्चे टीम वर्क, धैर्य रखना, लीडरशिप जैसी क्वालिटीज भी सीखते हैं। जिसका उनकी पर्सनालिटी और पढ़ाई पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

आत्मसम्मान में सुधार

कई तरह के खेल खेलने से बच्चों के आत्मसम्मान में सुधार होता है। इससे उनके मन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। दरअसल जब खेल में आपकी टीम जीत जाती है या आपको कुछ अंक हासिल होते हैं, तो बच्चे के लिए वह बेहद सुखद क्षण होता है। इससे उनमें स्किल डेवलपमेंट के साथ-साथ धैर्य रखने की क्षमता का भी विकास होता है। इसके अलावा वह जीवन में अपने लक्ष्य को लेकर काफी दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ते हैं। इससे वह पढ़ाई में भी अच्छे होते हैं।

कम्यूनिकेशन स्किल्स में इजाफा

दोस्तों के साथ खेलते समय लड़ाई-झगड़े और हार-जीत काफी कॉमन होती है। मगर, इससे बच्चों की कम्यूनिकेशन स्किल्स पर पॉजिटिव प्रभाव पड़ता है। खेलने से बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ता है। जिसके चलते बच्चों की संचार शैली भी मजबूत होती है और बच्चे बेबाकी से अपनी बात सभी के सामने रखना सीख जाते हैं।