क्या आपके बच्चे भी नहीं करते बड़ों की इज्जत, इन तरीकों से समझाएं उन्हें

बच्चे नादान होते हैं और अपने आस-पास के परिवेश से ही सबकुछ सीखते हैं। कहा जाता हैं ना कि बच्चे कच्ची मिटटी के समान होते हैं जिन्हें जिस आकार में ढाला जाए वे वही रूप ले लेते हैं। हांलाकि एक उम्र के बाद बच्चों के व्यवहार में बदलाव देखने को मिल जाते हैं। कई बार उनका यह व्यवहार बड़ो के प्रति अपमानजनक हो जाता हैं जिसकी वजह से उनकी परवरिश पर सवाल खड़े होने लगते हैं। माता-पिता भी चाहते हैं कि उनके बच्चे नेक इंसान बने और सभी से अच्छा आचरण करें। ऐसे में पेरेंट्स को चाहिए कि वे अपने बच्चों को सही सीख देने की कोशिश करें। आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह आप अपने बच्चों को बड़ों के प्रति आदर करना सिखा सकते हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में...

इज्ज़त करने के महत्त्व का एहसास दिलाएं

बचपन से ही बच्चों को अच्छे संस्कार देना व बड़ों की इज्ज़त करने के महत्त्व को सिखाना माता-पिता की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। इसकी शुरूआत स्वयं पेरेंट्स से ही होती है वे अपने माता-पिता, घर के बड़े बुजुर्गो की सेवा कैसे करते हैं, उनसे बातचीत कैसे करते हैं, कैसे उनकी पौष्टिकता और स्वच्छता का ध्यान रखते हैं बच्चे सब नोटिस करते हैं। अगर घर में बूढ़े माता-पिता हैं तो पेरेंट्स बच्चों को बताएं कि अब उनके दादा-दादी बूढ़े हो गए हैं ऐसे कई काम हैं जो वे स्वयं नहीं कर सकते ऐसे में हमारा फ़र्ज बनता है कि हम उनकी हैल्प करें, उन्हें भरपूर सम्मान दें, पास बैठ कर बातें करें इत्यादि। पेरेंट्स के मुंह से ऐसी बातें सुनकर बच्चे मन से बड़ों की इज्ज़त करने के महत्त्व को समझेंगे।

सिखाएं सच बोलना


बच्चों को निडर होकर उनकी गलती मानना भी जरुर सिखाएं, ताकि यदि बच्चे से कोई गलती हो जाए तो उनसे झूठ न बोलें। इसके अलावा बच्चा कोई बहाना भी नहीं बनाएगा और अपनी गलती किसी और पर भी नहीं थोपेगा। आप बच्चों को जरुर समझाएं कि किसी और की गलती से बच्चा उनके और अपने लिए कई तरह की मुश्किलें खड़ी कर सकता हैं। इसलिए बच्चों को अपने अलावा दूसरों के बारे में सोचना भी जरुर सिखाएं।

दूसरों की मदद करना सिखाएं

आप बच्चों को दूसरे की मदद करना भी जरुर सिखाएं। बच्चों को यह भी बताएं कि यदि वो किसी से सम्मानपूर्ण लहजे में बात नहीं करेंगे तो उन्हें बुरा लग सकता है और उन्हें तकलीफ भी हो सकती है। लेकिन अगर वह किसी की रिस्पेकट करते हैं तो उस व्यक्ति को खुशी भी मिलेगी और बच्चे को भी बेहतर महसूस होगा।

ईश्वर में आस्था जगाएं

आप किसी भी धर्म या कल्चर को मानते हों बच्चे को अपने साथ बिठाकर कुछ देर प्रेयर करना जरुर सिखाएं। बच्चे को समझाएं कि कुछ देर पूजा करने या मैडिटेशन करने से हमारा मन शांत व अपने काम के प्रति फ़ोक्सड रहता है।

तारीफ करना सिखाएं

यदि बच्चों को शाबाशी दी जाए जो वह बहुत खुश होते हैं। लेकिन अपनी तारीफ करवाने के लिए बच्चों को इसके बारे में भी जरुर बताएं कि उन्हें अपने से बड़े लोगों की तारीफ भी करनी चाहिए। दूसरी की अच्छी बातों पर गौर करना भी सिखाएं। दूसरों के काम की यदि बच्चे सराहना करेंगे तो उन्हें को बच्चों के शांत और अच्छे स्वभाव का पता चलेगा। इससे बच्चे खुद ही बाकी लोगों से सम्मान पा सकेंगे।

बच्चों को जिम्मेदारी सौंपें

बच्चों को समय-समय पर कोई ऐसी जिम्मेदारी सौंपें जिसे वे आसानी से कर सकते हैं। यदि उनसे ग़लती हो जाए तो सबके सामने डांटें नहीं प्यार से अकेले में समझाएं इससे वे जिम्मेदारी निभाना और इज्ज़त करना दोनों सीख जाएंगे।

अनाथाश्रम लेकर जाएं

पेरेंट्स बच्चों को अनाथाश्रम व वृद्धाश्रम विज़िट करवाएं उन्हें बताएं कि जिन बच्चों के माता-पिता नहीं होते ऐसे बच्चों के लिए अनाथाश्रम बने होते हैं और उन्हें कोई अच्छी आदतें सिखाने वाला नहीं होता, खाने की अपनी चॉइस नहीं होती जो मिलता है चुपचाप बिना आनाकानी किए खा लेते हैं। इनके पास खेलने के लिए मनपसंद खिलौने भी नहीं होते। माता-पिता बच्चों को बताएं कि आपके पास कुछ खिलौने ऐसे हैं जिनसे आप अब नहीं खेलते उन्हें लाकर इन बच्चों में बांट सकते हैं। कभी भी बच्चों के साथ जबरदस्ती न करें उन्हें स्वयं सोचने दें।


वृद्धाश्रम दिखाएं

वृद्धाश्रम जा कर बताएं कि जिन लोगों के अपने बच्चे नहीं होते या जो बच्चे अपने माता-पिता की सेवा ऐसे समय में नहीं कर सकते जब उन्हें बच्चों की सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है, ऐसे माता-पिता वृद्धाश्रम में रहने के लिए मजबूर हो जाते हैं जो सरासर निंदनीय है ग़लत है। ऐसे बच्चों की समाज कभी इज्ज़त नहीं करता। यह सब देखकर और सुनकर बच्चे सही और ग़लत में फर्क महसूस करते हैं और बड़ों की इज्ज़त करने के साथ-साथ उज्जवल भविष्य और खुशहाल समाज के निर्माण की ओर अपना पहला कदम उठा लेते हैं।

गलत लगने पर आवाज उठाना सिखाएं

बच्चे बड़े ही कोमल और चंचल होते हैं। लड़ाई, झगड़े, मार, पिटाई से डर जाते हैं और खुद को डर भरे माहौल में कैद कर लेते हैं। ऐसे में आप बच्चे को निडर होना भी जरुर सिखाएं। बच्चों को बताएं कि यदि उनके साथ कुछ गलत हो रहा है तो उसके खिलाफ आवाज भी जरुर उठाएं।

घर में खुशनुमा माहौल बनाएं अपनी बात खुलकर सबके सामने रखें

बच्चे का बिहेवियर कैसा है, सबके साथ कैसे इंटरैक्ट व रिएक्ट करता है यह सब उसे घर में ही सीखने को मिलता है अतः अच्छाई-बुराई दोनों के लिए पेरेंट्स जिम्मेदार हैं। घर में खुशनुमा माहौल बनाएं ताकि प्रत्येक सदस्य अपनी बात खुलकर सबके सामने रख सके, बच्चे की हर बात सहजता और ध्यान से सुनें, उसे अहमियत दें, एहसास दिलाएं कि जो भी कहेगा उसे डांट नहीं पड़ेगी तभी वह अपनी बात खुलकर/निडरता से सब के सामने रख पाएगा।