50 की उम्र के बाद क्यों टूट रहे हैं रिश्ते?, जानें अहम कारण और समाधान

हिंदू धर्म में शादी को सात जन्मों का पवित्र रिश्ता माना गया है। लेकिन आज के समय में यह रिश्ता सात जन्म तो दूर, एक जन्म तक भी टिक पाना मुश्किल हो गया है। शादी के बाद जब रिश्ता ठीक से नहीं चलता, तो लोग तलाक लेने में भी हिचकिचाते नहीं हैं। तलाक अब न तो बड़ी बात रह गई है और न ही केवल युवाओं तक सीमित। आजकल बुजुर्गों के बीच भी तलाक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में, 50 साल से अधिक उम्र के लोगों में तलाक के मामलों में दोगुनी वृद्धि देखी गई है। इस उम्र में तलाक के पीछे का बड़ा कारण खाली घोंसला सिंड्रोम और ग्रे डिवोर्स को माना जा रहा है। आइए, विस्तार से समझते हैं कि ये स्थितियां क्या हैं और किस तरह रिश्तों के टूटने का कारण बन रही हैं।

क्या है खाली घोंसला सिंड्रोम?


खाली घोंसला सिंड्रोम वह स्थिति है जब माता-पिता अपने बच्चों के घर छोड़कर जाने के बाद अकेलेपन का शिकार हो जाते हैं। यह स्थिति तब होती है जब बच्चे पढ़ाई या नौकरी के लिए घर से दूर चले जाते हैं और माता-पिता अपने घर, जिसे वह एक घोंसला मानते हैं, में अकेले रह जाते हैं। इस अकेलेपन से माता-पिता में दुख, अवसाद, और खालीपन की भावना बढ़ने लगती है। कई बार लोग इस सिंड्रोम के लक्षणों को पहचान नहीं पाते, जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है और रिश्तों में भी खटास आने लगती है।

ग्रे डिवोर्स क्या है?

ग्रे डिवोर्स उस स्थिति को कहते हैं जब लोग लंबे समय तक शादीशुदा जीवन बिताने के बाद, 50-60 साल की उम्र में तलाक ले लेते हैं। इसे सिल्वर स्प्लिटर्स भी कहा जाता है। पिछले कुछ सालों में दुनियाभर में ग्रे डिवोर्स के मामले तेजी से बढ़े हैं। कई दशकों तक साथ रहने के बावजूद जब रिश्ते में प्यार और समझ खत्म हो जाती है, तो कपल्स अलग होने का फैसला कर लेते हैं। यह स्थिति खासतौर पर उन कपल्स में देखी जाती है जिनके बच्चे बड़े होकर आत्मनिर्भर हो चुके होते हैं और अपने-अपने जीवन में व्यस्त हो जाते हैं।

लेट तलाक के पीछे कारण


बच्चों का विदेश चले जाना : उम्र के इस पड़ाव में अकेलापन एक बड़ा कारण बनता है। ज्यादातर दंपति के बच्चे या तो विदेश में बस जाते हैं या काम के सिलसिले में किसी अन्य शहर में शिफ्ट हो जाते हैं। ऐसे में माता-पिता अकेले रह जाते हैं और उनके बीच छोटे-छोटे झगड़े बढ़ने लगते हैं, जो तलाक का कारण बन सकते हैं।

लगाव खत्म होना :
एक उम्र के बाद पति-पत्नी के बीच का भावनात्मक जुड़ाव कमजोर पड़ने लगता है। छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई-झगड़े बढ़ जाते हैं। जब बच्चे बड़े होकर आत्मनिर्भर हो जाते हैं, तो कपल्स को साथ रहने की कोई मजबूरी महसूस नहीं होती और वे अलग होने का निर्णय ले लेते हैं।

बच्चों का माता-पिता से दूरी बनाना : कई मामलों में यह देखा गया है कि बच्चों ने शादी के बाद माता-पिता से दूरियां बना लीं। उनके साथ रिश्ता बहुत सीमित हो गया, जिससे माता-पिता के बीच तनाव और कलह बढ़ने लगा। ऐसे में दंपति अलग होने का फैसला कर लेते हैं।

अपेक्षाएं पूरी न होना : शादी में दोनों पार्टनर एक-दूसरे से उम्मीदें करते हैं। जीवनभर उन उम्मीदों को पूरा करने की कोशिश करते हैं। लेकिन उम्र के साथ इन अपेक्षाओं को पूरा करना कठिन हो जाता है और जब यह बोझ बढ़ने लगता है, तो रिश्ता टूटने की कगार पर पहुंच जाता है।

एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर :
सोशल मीडिया के इस दौर में शादी को एक बंधन की तरह देखने की धारणा बदल चुकी है। किसी भी उम्र के लोग अब नए रिश्ते बनाने लगे हैं। एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर आज तलाक के सबसे बड़े कारणों में से एक बन गए हैं।

क्या किया जा सकता है?

बातचीत को बढ़ावा दें

अकेलेपन को कम करने और रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है एक-दूसरे से संवाद करना। भावनाओं को छिपाने के बजाय खुलकर व्यक्त करें। एक-दूसरे की बातें ध्यान से सुनें और उनके दृष्टिकोण को समझने की कोशिश करें। कई बार छोटी-छोटी बातें रिश्ते में बड़ी दरार का कारण बन जाती हैं, इसलिए समय-समय पर दिल खोलकर बातचीत करना बेहद जरूरी है।

नई रुचियां और हॉबीज विकसित करें

अकेलेपन को दूर करने और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए माता-पिता के लिए नई रुचियां और हॉबीज अपनाना एक प्रभावी तरीका हो सकता है। जीवन में कुछ नया करने से सिर्फ समय ही नहीं बल्कि मनोबल भी बढ़ता है। नई गतिविधियों में व्यस्त रहने से वे अपनी रचनात्मकता को उत्तेजित कर सकते हैं और जीवन में ताजगी का अनुभव कर सकते हैं।

सामाजिक जीवन को बढ़ावा दें
अकेलेपन को दूर करने और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए सामाजिक जीवन का महत्वपूर्ण योगदान होता है। दोस्तों, रिश्तेदारों और करीबी लोगों के साथ समय बिताना एक सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत होता है। यह न केवल अकेलेपन की भावना को कम करता है बल्कि रिश्तों को मजबूत करने और भावनात्मक समर्थन प्राप्त करने का भी मौका प्रदान करता है।

काउंसलिंग लें


रिश्तों में कभी-कभी समस्याएं इतनी गंभीर हो जाती हैं कि उन्हें हल करने में दंपति या पार्टनर्स को खुद पर नियंत्रण रखना मुश्किल हो जाता है। ऐसे समय में प्रोफेशनल काउंसलिंग एक प्रभावी तरीका साबित हो सकती है। यह न केवल समस्याओं को समझने में मदद करती है बल्कि रिश्ते को पुनर्जीवित करने और बेहतर समाधान तक पहुँचने में सहायक होती है।