अपने बच्चे को बनाना चाहते हैं अच्छा इंसान, बचपन से ही सिखाएं ये 5 बातें

बच्चों को किसी भी समाज का भविष्य कहा जाता है इसलिए बच्चों को बचपन से ही नैतिक मूल्यों की शिक्षा दी जानी चाहिए। क्योकि बच्चों के विषय में नेल्सन मंडेला का कहना था कि ‘किसी बच्चे को अच्छे से संभालने के अलावा समाज में कोई काम नहीं हो सकता’ऐसे में अगर आप अपनी पीढ़ी को सफल बनाना चाहते हैं, तो आपको बचपन से उनके व्यक्तित्व पर काम करना होगा। हम आपको बताएंगे आपको अपने बच्चों के व्यक्तित्व को निखारने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए-

असफलता सहने की ताकत

हर मां-बाप अपने बच्चे को परफेक्ट होने के लिए प्रेरित करते हैं। पर यह कोशिश कई बार बच्चों पर बैहद नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। बच्चा परफेक्ट बनने के चक्कर में बेहद घबराया और तनावग्रस्त रहने लगता है। कई बार छोटी सी भी असफलता सहने की ताकत उसमें नहीं बचती और अपने सपनों को सच करने के लिए संघर्ष करने से पहले ही वह हथियार डाल देता है।

संवेदनशील बनाएं

समाज के प्रति उन्हें संवेदनशील बनना सिखाएं। इसके लिए सबसे अच्छा तरीका है कि जानवरों के प्रति प्रेम रखना सिखाये। इससे बच्चे बेहतर तरीके से विकास कर सकते हैं। इसलिए अपने बच्चों को जानवरों से हिंसा करना नहीं बल्कि उनसे प्रेम करना सिखाएं।

तनाव से लड़ना

जिंदगी में जरूरी तनाव हमें आगे बढ़ने में मदद करते हैं पर कोई तनाव हमारी जिंदगी पर हावी होने लगे तो वह रुकावट बन जाता है। हम चाहें या न चाहें, तनावों का सामना हमे करना ही पड़ता है इसलिए बेहतर है कि हम उनका हंस कर सामना करना सीखें और यह सीख अपने बच्चों को भी दें।

क्रिएटिविटी का विकास

बच्चा के जन्म के साथ ही माता-पिता उसे डॉक्टर, इंजीनियर, आईएस ऑफिसर वगैरा-वगैरा बनाने के सपने देखने लगते हैं। दुनियादारी सीख रहे बच्चों को सपनों पर उसके मां-बाप के सपने इतने हावी हो जाते हैं कि वह भी जान नहीं पाता कि उसने खुद सपने देखने कब छोड़ दिए। रचनात्मकता का मतलब होता है कुछ ऐसा रचना जो पहले मौजूद नहीं था। यह रचना किसी भी क्षेत्र में हो सकती है, मसलन कला, साहित्य, विज्ञान, खेल कुछ भी। पर रचनात्मकता की पहली शर्त है आजाद कल्पना।

छुआछूत की भावना से दूर रखें


छोटे बच्चों को खेलते हुए देखें, वे कैसे आपस में आसानी से घुल-मिल जाते हैं। उनके लिए धर्म, संस्कृति, नस्ल, जाति, अमीर-गरीब होने आदि की असमानताएं मायने नहीं रखती पर धीरे-धीरे उन्हें हम आदमी-आदमी में फर्क करना सिखा देते हैं। अगर हम अपने बच्चों को इस असमानता को सम्मान करना सीखा दें, तो यह दुनिया जीने के लिए एक बेहतरीन जगह बन सकती है। क्योंकि यह असमानताएं ही है युद्ध, दंगे आदि मानवीय त्रासदियों को जन्म देती हैं।