बच्चों को कच्ची मिट्टी के समान माना जाता हैं जिन्हें जो आकार दिया जाएं, वे उसी में ढल जाते हैं। बचपन की सीख जीवनभर साथ रहती है। इसलिए बच्चों की बेहतर परवरिश के लिए पेरेंट्स का सजग होना बहुत जरूरी हैं। ये माता-पिता की जिम्मेदारी बन जाती है कि वो अपने बच्चे को कम उम्र में ही उन बातों की आदत डाल दें, जो उसके आने वाले कल के लिए जरूरी हैं। जरूरी है कि उन्हें इस उम्र में ऐसे नियम और अनुशासन में बांधा जाए जिससे वह बड़े होकर गलत संगत में न पड़ें और आत्मनिर्भर बनें। तो आइए आज हम आपको बताते हैं कि बच्चे का भविष्य सुरक्षित करने के लिए आपको अपने बच्चों को बचपन में कौनसी बातों से अवगत कराना चाहिए।
समय की अहमियतबचपन से ही बच्चों को समय की अहमियत बतानी चाहिए। उन्हें अपने कामों को समय से करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। बच्चों को न केवल उनके समय की कीमत समझानी चाहिए बल्कि दूसरों के समय की भी इज्जत करने की सीख देनी चाहिए।
महिलाओं का सम्मानये तो सबसे अहम सीख है जो हर मां बचपन से अपने बेटे को देनी चाहिए। यदि घर पर मां ही बेटों को महिलाओं का सम्मान करना सिखाएगी तो लड़के बहुत जल्दी इस बात को समझ पाएंगे। इससे आपका बेटा न केवल अपनी पत्नी और दोस्त बल्कि आपका और आपके परिवार की हर स्त्री का आदर करेगा।
परमिशन लेना बच्चों में आदत डालें कि वे कोई भी काम बिना पूछे ना करें। कहीं जाना हो, कुछ खाना हो या किसी की चीज लेनी हो तो परमिशन लेकर वे ऐसा करें। इसे सिखाने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप भी उनकी चीजों को पूछकर लें। मसलन, क्या मैं तुम्हारी पेंसिल ले सकता हूं, क्या मैं तुम्हें खिला दूं या क्या मेरे साथ घूमने चलना है आदि। यकीन मानिए, आपका बच्चा भी परमिशन लेना सीख जाएगा।
बुरे शब्दों से दूरीकई बार बच्चे दूसरों की देखा-देखी या टीवी में देखकर अपशब्दों का इस्तेमाल करने लगते हैं। उन्हें लगता है कि इस तरह से वह सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं। लेकिन पेरेंट्स को तभी बच्चों को टोकना चाहिए जब वह पहली बार उनके मुंह से कोई भी अपशब्द सुनें। बच्चों को समझाएं ऐसा करना उनकी छवि पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा।
धैर्य रखनाकई बार बच्चे खिलौने या फिर किसी दूसरे सामान के लिए जिद करने लगते हैं और मां-बाप उन्हें शांत करने के लिए उनकी मांग पूरी कर देते हैं। ये गलत हैं। माता-पिता को चाहिए कि वो बच्चे को कुछ चीजों के लिए मना भी करें। इससे बच्चों में धैर्य की भावना आती है।
गुस्सा ना करना लड़के थोड़े गुस्सैल होते हैं और बहुत जल्दी अपना आपा खो बैठते हैं। आपको बचपन से ही अपने बेटे को गुस्से को कंट्रोल करना सिखाना चाहिए। उसे बताएं कि गुस्सा या हिंसा या मारपीट करना उसके खुद के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। अपने बच्चे का भविष्य आप खुद तय कर सकती हैं।
सॉरी बोलनाबच्चों को सॉरी बोलना सिखाना बहुत ही जरूरी है। अगर कभी आपसे किसी का नुकसान हो जाए तो आप भी उनके सामने सॉरी शब्द का इस्तेमाल करें। बेहतर होगा अगर आप अपने बच्चे के साथ भी सॉरी शब्द का प्रयोग खूब करें। ऐसा करने से बच्चे भी सॉरी बोलना सीख जाएंगे।
लोगों के प्रति सहयोग की भावनाबच्चे को सहयोग की भावना सिखाना बेहद जरूरी है। बच्चे अपने भाई-बहन के प्रति कैसा रवैया रखते हैं या फिर अपने दोस्तों के साथ उनका व्यवहार कैसा है, इस बात पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उनके इस व्यवहार से उनका व्यक्तित्व जुड़ा हुआ होता है।