बच्चों का शर्मीलापन रोक रहा हैं उनका विकास, इन टिप्स की मदद से दूर करें यह परेशानी

हर माता-पिता की चाहत होती हैं कि उनका बच्चा उनसे खुलकर बात करें और अपनी बात उनके सामने रखें। लेकिन कौन से बच्चे ऐसे होते हैं जो अपने शर्मीलेपन की वजह से अपनी बात नहीं रख पाते हैं। जिसकी वजह से उनको जीवन के कई पड़ाव पर समस्या आती हैं और यह उनके विकास में बाधा बनती हैं। ऐसे में माता-पिता को परेशानी उठानी पड़ती हैं। इअलिए आज हम आपके लिए कुछ टिप्स लेकर आए हैं जिनकी मदद से आप अपने बच्चों का शर्मीलापन दूर कर खुलकर जीना सिखा सकते हैं।

* बच्चों को ना डांटे

कुछ बच्चे बहुत ज्यादा शर्माते हैं। जब भी कभी आप उन्हें किसी से मिलवाने के लिए के लिए लेकर जाएं और वह डरकर आपके पीछे छिप जाएं तो उन्हें कभी डांटे न। उस समय इस बात को अनदेखा करके बाद में बच्चे के साथ बैठकर इसके पीछे का कारण जानने की कोशिश करें। फिर धीरे- धीरे बच्चे को मेहमानों के सामने बैठने के लिए कहें।

* बाहर आने जाने की आजादी

ऐसे बच्चों को घर में रखने की बजाए बाहर आने- जाने दें जितना वह दूसरे लोगों से घुले- मिलेगें उतना शर्मा बंद कर देंगे। धीरे- धीरे लोगों से बात करने से वह खूलकर अपने विचारों को हर किसी के सामने रख पाएंगे।

* शर्मिला होने का थपा न लगाएं

कुछ माता- पिता घर आए महमानों के सामने भी कहने लगते हैं कि उनका बच्चो बहुत ज्यादा शर्माता है। अगर आप ऐसा दूसरे लोगों के सामने कहते हैं तो बच्चों को लगता है कि वह कभी भी महमानों से बात नहीं कर सकता। आप के इस तरह करने से बच्चा शर्मिलापन को अपने चरित्र का हिस्सा बना लेगा है और बाद में इसको बदला नहीं जा सकता।

* ग्रुप गैदरिंग

अपने बच्चे को हमेशा अपने साथ ग्रुप गैदरिंग पर लेकर जाएं। जब वह एक ही व्यक्ति से बार- बार मिलेगा तो उसका शर्मीलापन कम हो जाएगा। बार-बार दूसरे लोगों से मिलने से बच्चे के व्यवहार में परिवर्तन आने लगेगा।

* घर पर स्टेज बनाएं

अपने बच्चे के लिए घर में एक छोटा सा स्टेज बनाएं। रोजाना 1 घंटा बच्चों को स्टेज पर ले जाकर कुछ भी बोलने को कहें। जब वह ऐसा करेगा तो धीरे-धीरे खुद ही उसके मन से डर बाहर निकलने लगेगा। कुछ ही दिनों में आप देखोगे कि जो बच्चा किसी के सामने बोलने से डरता था। वह अब खुलकर दूसरों के सामने अपनी बात को रख पाएगा।

* मेलजोल बढ़ाना

कुछ बच्चों के मन में इस बात का डर होता है कि कुछ बोलेंगे और गलत होने पर सब के सामने उनका मजाक बन जाएगा। इस डर के मारे वह किसी से बात ही नहीं करते। ऐसे मामले में बच्चों की परेशानी को समझ कर उसका सल्यूशन निकालने का प्रयत्न करें।