किस भी व्यक्ति के जीवन में उसके बचपन से जुड़ी यादें तो होती ही हैं जो जिंदगी के पड़ाव पर कहीं ना कहीं सामने आती ही हैं। लेकिन बचपन से जुड़ी कुछ यादें ऐसी बुरी होती हैं जो जहन में हमेशा बनी रहती हैं और दुखी करते हुए शरीर को खोंखला करने का काम करती हैं। ऐसे में जरूरी हैं कि आपको इनके बारे में जान यह समझने कि कहीं आप भी तो अपने बच्चों के साथ ऐसी यादें नहीं बना रहे। ध्यान रहें अपने बच्चों के साथ ये चीजें ना हो ताकि वे भी जिंदगीभर इन्हें याद कर आपको कोसते ना रहे। ये चीजें जाने-अनजाने में व्यवहार में दिख जाती हैं तो जरूरी हैं इन बातों को जान अपने बच्चे को सुरक्षित महसूस करवाया जाए। क्योंकि ये चीजें आपके बच्चे को मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर बना सकती है।
बच्चों पर हाथ उठाना
बच्चों पर हाथ उठाना बिल्कुल सही नहीं है। इससे बच्चों में एक डर पैदा होता है, जिससे वह अपनों से ही दूर होने लगते हैं। बच्चे गलतियां छिपाने लगते हैं। मार के डर से कई बार बच्चे घर छोड़कर भी चले जाते हैं। दरअसल हम बच्चों को अपनी बात हर तरीके से समझाना चाहते हैं लेकिन उनकी बात समझना नहीं चाहते हैं। हालांकि हर बार पैरेंट्स गलत नहीं होते हैं लेकिन सही तरीके से बच्चों को अपनी बात समझा नहीं पाते हैं।
माता-पिता को लड़ते देखना
ये बात बच्चे को अंदर तक तोड़कर रख देती है और वह अपने आने वाले भविष्य को लेकर भी बहुत शंका करते हैं। अगर आप अपने बच्चे के सामने लड़ाई करते हैं, तो उनके मन पर गलत प्रभाव पड़ता है। भले आपदोनों के बीच बहुत अच्छा संबंध हो लेकिन आप अगर बच्चे के सामने लड़ाई करते हैं, तो उन्हें ये बात दुखी करती है। अपने माता-पिता के रिश्ते की दूरियों को लेकर भी परेशान रहते हैं। कई बार तो बच्चा हमेशा उदास रहता है और दोनों में से किसी के साथ अपनी बात शेयर नहीं कर पाता। दरअसल बच्चा अपने माता-पिता से ही डरने लगता है और दूर रहने की कोशिश करता है। ये बाते बड़े होने पर भी उन्हें कई बार आगे बढ़ने नहीं देती है।
हमेशा बच्चे पर गुस्सा करना
बच्चे पर हमेशा गुस्सा करना और अपने हिसाब से रखना सही नहीं है। ऐसे में उन्हें अपने माता-पिता ही दुश्मन लगने लगते हैं। अगर आप ये सोचते हैं कि हमेशा गुस्सा करने से आपका बच्चा कुछ गलत नहीं करेगा, तो ये आपकी गलतफहमी है बल्कि इससे बच्चा आपसे बातें छिपाना शुरू कर देगा। दरअसल वह अपने ही घर में अकेला महसूस करने लगता है। उन्हें लगता है कि उनके माता-पिता उन्हें समझ नहीं पा रहे हैं। इससे आपका बच्चा ज्यादा बिगड़ सकता है। अगर बच्चा गलती कर रहा है, तब भी पहले हमेशा उनकी बात सुनें और समझने की कोशिश करें। साथ ही बाहर बच्चों को डांटने से बचें।
दूसरों से तुलना करना
हर बच्चे अपने आप में खास होता है और उनकी अपनी अलग खासियत होती है। ऐसे में हर समय दूसरों से अपने बच्चे की तुलना करना और उन्हें अच्छा करने के लिए डांटते रहना भी ठीक नहीं है। अगर आप अपने बच्चे के रिजल्ट या व्यवहार की तुलना दूसरे बच्चे से करते हैं, तो आपको ये बात याद रखनी चाहिए कि हर बच्चा एक जैसा नहीं होता है। इससे वे अंडर कॉन्फिडेंट फील करने लगते हैं। जबकि हर बच्चे में कुछ अलग और कुछ खास होता है। इसलिए हमेशा अपने बच्चे को उनके रूचि के अनुसार काम करने के लिए प्रोत्साहित करें। इससे बच्चा हमेशा खुश भी रहता है और काम में मन भी लगता है। लेकिन आप अगर हर समय बच्चे की तुलना करते रहते हैं, तो ये बात बच्चे के छोटे से मन पर गहरी चोट कर सकती है और बड़े होने के बाद भी वो ये चीजें नहीं भूलते हैं। शायद एक माता-पिता के रूप में भी वे भी अपने बच्चों की दूसरे बच्चे से तुलना करना जरूरी समझने लगते हैं।
दोस्तों से अलग करना
बहुत से माता-पिता को लगता है कि उनके बच्चे दूसरे बच्चों के साथ खेलने से बिगड़ जाएंगे इसलिए वे अपने बच्चे को बाहर खेलने या दोस्तों से खेलने को लेकर मना भी करते हैं। उन्हें लगता है कि उनका बच्चा दोस्तों के साथ खेलकर या रहकर बिगड़ जाएगा। साथ ही वह चाहते हैं कि उनका बच्चा बाहर ज्यादा बोले-हंसे भी नहीं, ऐसा खासकर लड़कियों के साथ होता है। कई बार तो इसके लिए बच्चों को मारा भी जाता है कि बाहर में तुमने उससे बात क्यों की। हालांकि सुरक्षा के लिहाज से ये सही लेकिन बच्चों को ये बात समझाने के लिए भी आपको सही तरीका अपनाना चाहिए। ताकि उनके मन में ये बात न बैठ जाए कि आप उन्हें उनके दोस्तों के साथ खेलने से भी रोक रहे हैं। शायद ये बात बच्चे को अंदर तक परेशान कर सकती है क्योंकि ओवर प्रोटेक्टिव स्वभाव की वजह से बच्चे को अपने तरह से जीने का मौका नहीं मिलता है।
स्कूल में बच्चों का चिढ़ाना
स्कूल लाइफ हर बच्चे के लिए काफी यादगार होता है लेकिन कई ऐसी बातें होती है, जिसकी वजह से बच्चे काफी परेशान हो जाते हैं। कई बच्चे तो स्कूल जाने से डरने लगते हैं। ऐसे में बच्चे को स्कूल जाने के लिए डांटने और उसकी बातों को बहाना समझना सही नहीं है क्योंकि वह आप जितना समझदार नहीं है। उन्हें इस बात के लिए समझाने और हिम्मत देने की जरूरत है कि स्कूलों में बच्चों के साथ कैसे व्यवहार करें। एक माता-पिता के रूप में आपको अपने बच्चे को इस बात के लिए तैयार करना चाहिए।