क्या आपका बच्चा भी स्कूल ना जाने के लिए बनाता हैं बहाने, डांटने की बजाय जानें इसके कारण

स्कूल बच्चों के लिए कितने जरूरी हैं ये तो कोरोना ने सभी को बता दिया हैं। स्कूल एक ऐसी जगह हैं जहां बच्चों को अपने शारीरिक और मानसिक विकास में मदद मिलती हैं। हर बच्चे को स्कूल जाकर शिक्षा लेने का हक हैं। वैसे तो स्कूल जाना हर बच्चा पसंद करता हैं, लेकिन कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो स्कूल जाने से कतराते हैं और ना जाने के बहाने ढूंढते रहते हैं। ऐसे में पेरेंट्स को कई बार गुस्सा आता हैं और वे उन्हें डांटने लगते हैं। लेकिन ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि बच्चों को डांटने की बजाय इसके पीछे के कारण जानने की कोशिश की जानी चाहिए। आज हम आपको कुछ ऐसे कारणों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी वजह से बच्चा स्कूल जाने से कतराता हैं और आपको बच्चों से इन मुद्दों पर बात करनी चाहिए। आइये जानते हैं इन कारणों के बारे में...

पैरेंट्स से दूर होने का डर

लंबे समर ब्रेक या छुट्टियों के बाद बच्चे ऐसा व्यवहार ज्यादा करते हैं। घर में पैरेंट्स के साथ अधिक समय बिताने की वजह से बच्चे उनसे दूर नहीं होना चाहते जिस वजह से बच्चे स्कूल जाने से मना करते हैं। बच्चों के ऐसे बिहेवियर को सेपरेशन एंग्जायटी डिसऑर्डर कहा जाता है जिसके चलते बच्चे घर में ही पैरेंट्स के पास अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हैं।
बच्चे को कोई बुली करता है

आपको बच्चे से पूछने की जरूरत है कि क्या कोई बच्चा या फिर कोई और उसे स्कूल में परेशान करता है? या फिर मजाक उड़ाता है। कई बार बच्चे डराने-धमकाने से इतना डर जाते हैं कि उनके लिए स्कूल बुरे सपने की तरह बन जाता है।

सोशल फोबिया

कई बार बच्चे दूसरों के साथ रहने में असुरक्षित फील करते हैं। उन्हें सोशल फोबिया हो सकता है। नए टीचर्स, नए दोस्त या नया वैन ड्राइवर यह सभी बच्चे को अजनबी लगते हैं जिनके साथ वह असुक्षित महसूस कर सकता है। बच्चे को सोशल फोबिया से बचाने के लिए जरूरी है कि पैरेंट्स बच्चे को नए लोगों के साथ मिलना-जुलना व बात करना सिखाएं।

टीचर का बिहेवियर

कई टीचर्स बहुत गुस्से वाले होते हैं या फिर छोटी-छोटी बातों में भी बच्चों को डांट देते हैं या फिर मारने से भी परहेज नहीं करते। ऐसे में आपको यह भी पता लगाने की जरूरत है कि कहीं आपका बच्चा टीचर से डरने की वजह से या फिर उनके बिहेवियर के चलते तो स्कूल नहीं जाना चाहता।

मजाक उड़ाना

टीचर, बच्चे या फिर स्कूल का कोई स्टाफ मजाक के नाम पर कई बार बच्चों को कुछ कह देते हैं, जिसे बच्चा दिल पर ले लेता है। जैसे, बच्चे को मोटू कहने पर बच्चा हीनभावना से ग्रस्त होने लगता है और उसे लगता है कि हर रोज इस बात के लिए उसका मजाक उड़ेगा और वह कमतर है।

पढ़ाई-लिखाई में कमजोर

हर बच्चे का मेंटल लेवल यानी समझने-सीखने की क्षमता एक जैसी नहीं होती है, इसलिए कई बच्चों को आसानी से चीजें समझ नहीं आती। ऐसे में अगर कोई बच्चा कुछ सीख नहीं पाता, तो भी वह स्कूल जाने से कतराने लग जाता है। देर से सीखने में कोई बुराई नहीं है इसलिए बच्चों को डांटने की बजाय उन्हें समझाने का तरीका बदलें।

हेल्थ इश्यू

छोटे बच्चे अपने मन की बातें आसानी से नहीं बता पाते हैं। सुबह के समय कई बच्चे एक्टिव फील नहीं कर पाते हैं या फिर अच्छी नींद न लेने की वजह से बच्चे के शरीर और आंखों में दर्द रह सकता है। ऐसे में आपको ध्यान देने की जरूरत है कि बच्चे को कहीं कोई हेल्थ इश्यू तो नहीं है।