दोस्ती के रिश्ते का ही त्योंहार है 'फ्रेंडशिप डे' और इसे एक दोस्त के साथ मनाने का मजा ही कुछ ओर हैं। दोस्ती में दोस्तों के साथ का बड़ा महत्व होता हैं अब वो दोस्त लड़का हो चाहे लड़की इससे फर्क नहीं पड़ता हैं। हांलाकि समाज की सोच फिल्म 'मैंने प्यार किया' के उस डायलॉग पर ही टिकी हैं, जिसमें मोहनीश बेल द्वारा बोला गया कि "एक लड़का और लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते"। लोगों को समय के साथ अपनी सोच में भी बदलाव लाने की जरूरत हैं।
दोस्ती एक विश्वास पर टिकी रहती हैI एक बार के लिए खून का रिश्ता कमजोर पड जाता है पर दोस्ती का रिश्ता कमजोर नहीं पड़ता हैI न जाने फिर भी इस रिश्ते को गलत समझ जाता हैI गलत समझने के पीछे कारण होता है की एक लड़का और लडकी का आपस मे मिलना, साथ मे रहना, बोलना समाज के के नियमों के विरुद्ध हैI समाज नहीं चाहता है की इन दोनों का रिश्ता दोस्ती का होI
यह जरूरी नहीं की हर कोई इस रिश्ते मे प्यार ही करेI अगर सच्ची दोस्ती है तो उसे समझने की जरूरत नहीं होती हैI ऐसे कई लोग होते है जो सिर्फ दोस्त ही होते है उनके बीच मे कोई नाजायज़ रिश्ता नहीं होता हैI यह रिश्ता आकर्षण से शुरू होता हैI लेकिन शुरुआत तो दोस्ती से ही होती हैI यह कहा लिखा होता है एक आदमी और औरत का रिश्ता सिर्फ पति और पत्नी का होता हैI पति पत्नी बनने से पहले वह भी दोस्त ही होते हैI जिस रिश्ते मे दोस्ती है वो रिश्ता अपने आप मे मज़बूत होता चला जाता हैI सिर्फ नजरिया अच्छा होना चाहिएI नजरिया ही हमे इन्सान की सोच के बारे मे बताता हैI