बच्चों का जिद्दीपन पेरेंट्स के लिए सिरदर्द, इस तरह सुलझाए यह समस्या
वर्तमान समय की जीवनशैली में देखा जा रहा है कि आजकल के बच्चे बड़ों का सम्मान ना करते हुए अपनी जिद को पूरा करवाने में लगे रहते हैं। बच्चों का यह जिद्दीपन पेरेंट्स के लिए सिरदर्द बन जाता हैं। जी हाँ, ऐसे में कई बार बच्चे अपने जिद्दीपन के चलते सार्वजनिक जगहों पर गलत व्यवहार करते नजर आते हैं जिससे पेरेंट्स को शर्मिंदा होना पड़ता हैं। ऐसे में पेरेंट्स द्वारा बच्चों की सही समझाइश बहुत जरूरी होती हैं। इसलिए आज हम आपके लिए कुछ ऐसे तरीके लेकर आए हैं जिनकी मदद से पेरेंट्स को बच्चों का जिद्दीपन दूर करने में मदद मिलेगी। तो आइये जानते है इन तरीकों के बारे में।
बच्चे के लिए तय करें छोटे लक्ष्य
ऐसे बच्चे का लालन-पालन बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है, जिसमें धैर्य और सहिष्णुता की कमी हो। ऐसे बच्चों के लिए हमेशा छोटे-छोटे लक्ष्य रखने चाहिए, जो स्पष्ट और विशिष्ट हों। इससे बच्चे के लिए लक्ष्य हासिल करना आसान हो जाएगा।
सब मिलकर पेश करें उदाहरण
धैर्य किसी व्यक्ति की शख्सियत की ऐसी खूबी होती है, जिसे वह दूसरों को देखकर सीखता है। ऐसे में खुद पेरेन्ट्स द्वारा उदाहरण पेश किया जाना बेहद जरूरी है। बच्चे विभिन्न जगहों से देखा व्यवहार अपनाते हैं इसलिए पेरेन्ट्स व परिवार के अन्य लोगों को उनके सामने धैर्य से पेश आना चाहिए और बच्चों को भी ऐसा ही करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
हल्के फुल्के अंदाज में रखें अपनी बात
अगर बच्चा कोई काम नहीं करना चाहता तो ऐसे में उससे वह काम कराना बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है। यह काम आसान हो सकता है, बशर्ते आप उस काम को किसी खेल का रूप दे दें। इससे आपका काम आसानी से हो जाएगा।
अपने गुस्से पर रखें नियंत्रण
जब आप किसी जिद्दी बच्चे को समझाने की कोशिश कर रहे हों तो अपने व्यवहार में निरंतरता सुनिश्चित करें। इसका मतलब यह है कि बेशक सार्वजनिक स्थल पर बच्चा नादानियां करता रहे, आपको अपने रुख पर कायम रहना होगा। क्योंकि अगर आप अपने नियमों का पालन नहीं करेंगे तो बच्चे भी उनका पालन नहीं करेंगे।
इनकार करने में झिझकें नहीं
मांग को तुरंत पूरा नहीं करने से बच्चों को धैर्य की सीख मिलती है। अधीर बच्चे के मामले में उसे छोटी और मामूली मांग पूरी होने के लिए इंतजार करवाना जरूरी हो जाता है। जैसे प्यास लगने पर पानी मिलने के लिए उन्हें इंतजार कराएं या जब आप किसी से बातचीत कर रहे हों और वह अपनी बात कहने के लिए बीच में हस्तक्षेप कर रहा हो तो अपनी बात खत्म करने के बाद ही उसकी सुनें या ध्यान दें।
उससे बात करें
बच्चे की उम्र का खयाल रखते हुए उन्हें धैर्य का महत्व समझाना बहुत जरूरी है। ऐसे में बच्चे को क्या समस्या हो रही है उसे समझने की कोशिश करें और बच्चे को जिद्दी कहने के बजाय बेहतर होगा कि समस्या को पहचानने की कोशिश करें और यह जानें कि बच्चे में किस वजह से विकास संबंधी विकार (इसमें अटेंशन डेफिसिट- हाइपर एक्टिविटी डिस्ऑर्डर, अपोजीशनल डिफायंट डिस्ऑर्डर या व्यवहार संबंधी विकार शामिल है) आ रहे हैं, जिससे समय पर उचित ढंग से इसे ठीक किया जा सके।
धैर्य बढ़ाने वाली गतिविधियां करें
धैर्य बढ़ाने वाली गतिविधियां करें, जैसे खेलों में हिस्सा लें, बच्चे को जो चाहिए उसके लिए कतार में लगकर इंतजार करें। इसके साथ ही वांछित परिणाम और बच्चे द्वारा दिखाए गए धैर्य के बीच समानता लाने के लिए योजनाएं बनाएं।