बिन मांगी मुराद की तरह है प्राइवेट क्लब्स का कॉन्सेप्ट, यहां जानें खासियत के बारे में...

सोशल मीडिया में अतिव्यस्तता और करियर बनाने के लिए जारी भागदौड़ के बीच मिलेनियल्स इन दिनों उस चीज़ से वंचित रह जाते हैं, जिसे ‘सुकून’ कहते हैं। ख़ुद में ही सिमट रही उनकी दुनिया इतनी व्यस्त हो गई है कि उनके पास समय नहीं है कि मनोरंजक गतिविधियों के लिए समय निकाल सकें। ऐसे में प्राइवेट क्लब्स का कॉन्सेप्ट मिलेनियल्स के लिए किसी बिन मांगी मुराद की तरह है। आजकल युवा कल्चरल और दूसरी गतिविधियों के लिए प्राइवेट क्लब्स का रुख़ कर रहे हैं।


एक विन-विन सिचुएशन

म्यूज़िक, ओपन माइक्स, सिंगिंग, स्टैंड अप कॉमेडी जैसी लाइव एंटरटेन्मेंट की विभिन्न विधाओं से जुड़े हुए कई टैलेंटेड युवा हैं। महानगरों में ऐसी ऐक्टिविटीज़ के लिए ओपन जगह की कमी जगज़ाहिर है। जहां एक तरफ़ इन युवाओं को अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने के लिए मंच और दर्शकों की तलाश होती है, वहीं दूसरी ओर रेस्तरां, ख़ासकर प्राइवेट क्लब्स को अपने सदस्यों और ग्राहकों के मनोरंजन के लिए वैरायटी की क्योंकि प्राइवेट क्लब्स के मेंबर्स चाहते हैं कि क्लब में आने के बाद अलग-अलग विधाओं से उनका मनोरंजन किया जाए। इस तरह प्राइवेट क्लब्स में प्रदर्शन करना टैलेंटेड युवाओं को दर्शक उपलब्ध कराता है और क्लब के लिए दोनों के लिए ही विन-विन सिचुएशन जैसा है।

मिलेनियल्स के लिए सोशलाइज़िंग का मौक़ा

मिलेनियल्स लाइव एंटरटेन्मेंट का अनुभव लेना चाहते हैं। वे प्रीरिकॉर्डेड शोज़ के बजाय लाइव शोज़ देखने को वरीयता देने लगे हैं। वे कलाकारों से रूबरू होना चाहते हैं। उनसे मिलकर न केवल उनकी कला का लुत्फ़ उठाते हैं, बल्कि उनकी तारीफ़ करते हैं और उनसे प्रेरणा भी लेते हैं। ऐसे यंगस्टर्स की संख्या बढ़ रही है, जो लाइव कंटेंट की ओर शिफ़्ट हो रही है।

ऐसे कार्यक्रमों में मिलेनियल्स न केवल परफ़ॉर्मर्स से रूबरू होते हैं, बल्कि अपनी जैसी सोच रखने वाले दूसरे युवाओं से भी उनका मिलना-जुलना होता है। इससे उनकी सोशल लाइफ़ समृद्ध होती है। इससे सोशलाइज़ेशन के पारंपरिक दायरे भी टूटते हैं। जहां युवा पहले अपने क़रीबी दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने-जुलने को ही सोशलाइज़ेशन मानते थे, वहीं अब अनजानी जगहों, अलग-अलग भाषा और संस्कृति से संबंध रखने वाले युवाओं के संपर्क में आते हैं। इससे उनका सामाजिक जीवन बेहतर बनता है।

खाने से कहीं ज़्यादा का अनुभव

वहीं इन प्राइवेट क्लब्स में खाने के लिए आने वाले लोगों को भी मनोरंजन के साथ-साथ अलग-अलग चीज़ें देखने, सीखने और समझने को मिलती हैं। नए पकवान का ज़ायका ही नहीं चखते, बल्कि लाइव फ़ूड काउंटर्स, मॉल्यूक्युलर गैस्ट्रोनॉमी और डिशेज़ के अनूठे प्रेज़ेंटेशन के माध्यम से उस खानपान की संस्कृति को समझने का मौक़ा मिलता है। लोग रेसिपीज़ में नए बदलाव ट्राई करते हैं।

स्वादिष्ट भोजन का लुत्फ़ उठाते हुए कुछ नया सीखने का अनुभव भला किसे पसंद नहीं आएगा। इसके अलावा एकर्स जैसे प्राइवेट क्लब बैडमिंटन, टेनिस, स्क्वैश, बास्केटबॉल, स्विमिंग जैसी स्पोर्ट व आउटडोर ऐक्टिविटीज़ की सुविधा देते हैं। पूल टेबल्स, किड्स एरिया, जिमनैजियम परिवार के सभी सदस्यों की रुचि का ख़्याल रखते हैं।

ब्राइट है प्राइवेट क्लब्स का फ़्यूचर

राजेश शेट्टी की मानें तो खानपान और मनोरंजन में अधिक वैरायटी की चाहत का यह ट्रेंड बरक़रार रहने वाला है। और परिवार और मिलेनियल्स आने वाले समय में इस तरह के प्राइवेट क्लब्स का रुख़ करने जा रहे हैं। लाइव मनोरंजन के बढ़ते डिमांड के चलते इस क्षेत्र में चीज़ें और बेहतर होने वाली हैं। इस ट्रेंड से परफ़ॉर्मर्स और दर्शकों दोनों को एक-दूसरे को समझने, क़रीब आने में मदद मिलेगी।