Teachers Day : शिक्षा से ही होगा समाज की बुराइयों का अंत, जानें डॉ. राधाकृष्णन के अनमोल विचार

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितम्बर, 1888 को हुआ था। शिक्षा के प्रति उनका समर्पण देखते हुए ही उनके जन्मदिवस को 'शिक्षक दिवस' के रूप में मनाया जाता हैं। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने 40 वर्ष तक अध्यापन किया हैं। राधाकृष्णन को अपने सादा जीवन और उच्च विचारों के लिए जाना जाता था। आज 'शिक्षक दिवस' के मौके पर हम आपको डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के अनमोल विचारों के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं।

* यदि शिक्षा सही प्रकार से दी जाए तो समाज से अनेक बुराइयों को मिटाया जा सकता है।

* शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे, बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करें।

* भगवान की पूजा नहीं होती बल्कि उन लोगों की पूजा होती है जो उनके नाम पर बोलने का दावा करते हैं।

* अगर हम दुनिया के इतिहास को देखे,तो पाएंगे कि सभ्यता का निर्माण उन महान ऋषियों और वैज्ञानिकों के हाथों से हुआ है,जो स्वयं विचार करने की सामर्थ्य रखते हैं,जो देश और काल की गहराइयों में प्रवेश करते हैं,उनके रहस्यों का पता लगाते हैं और इस तरह से प्राप्त ज्ञान का उपयोग विश्व श्रेय या लोक-कल्याण के लिए करते हैं।

* कोई भी आजादी तब तक सच्ची नहीं होती,जब तक उसे विचार की आजादी प्राप्त न हो। किसी भी धार्मिक विश्वास या राजनीतिक सिद्धांत को सत्य की खोज में बाधा नहीं देनी चाहिए।

* शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है। अत:विश्व को एक ही इकाई मानकर शिक्षा का प्रबंधन करना चाहिए।

* ज्ञान हमें शक्ति देता है, प्रेम हमें परिपूर्णता देता है।

* शिक्षा का परिणाम एक मुक्त रचनात्मक व्यक्ति होना चाहिए जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध लड़ सके।

* पुस्तकें वह साधन हैं जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं।

* किताबें पढ़ने से हमें एकांत में विचार करने की आदत और सच्ची खुशी मिलती है।

* दुनिया के सारे संगठन अप्रभावी हो जाएंगे यदि यह सत्य कि ज्ञान अज्ञान से शक्तिशाली होता है उन्हें प्रेरित नहीं करता।