बच्चों को ये बातें सिखाना हैं पेरेंट्स की जिम्मेदारी, सुनहरे भविष्य में आएगी काम

बचपन की सीख जीवनभर साथ रहती है। बच्चों को अगर शुरू से ही छोटे-छोटे नियमों के पालन की आदत डलवाई जाए तो यह बड़े होकर उनके उज्जवल भविष्य का कारण बनते हैं। ऐसे में ये माता-पिता की जिम्मेदारी बन जाती है कि वो अपने बच्चे को कम उम्र में ही उन बातों की आदत डाल दें, जो उसके आने वाले कल के लिए जरूरी हैं। बच्चों के आसपास की हर छोटी और बड़ी घटना उसके लिए सीखने का एक अवसर है, जो उसके भविष्य की नींव रखती है। बच्चों को अच्छी परवरिश देने के लिए माता-पिता को बचपन में ही कुछ बातों को लेकर अलर्ट रहना चाहिए। ऐसे में आज हम आपको उन बातों के बारे में बताने जा रहे हैं जो पेरेंट्स को अपने बच्चों को जरूर सिखानी चाहिए।

प्लीज बोलना

बच्चों को बचपन में ही प्लीज बोलना सिखा देना बेहतर होता है। इसके लिए बेहतर होगा कि आप घर पर उनके साथ भी प्लीज बोलना शुरू करें। घर के अन्य सदस्य भी अगर प्लीज शब्द का प्रयोग करेंगे तो बच्चे अपने आप ही सीख जाएंगे।

समय की अहमियत

बचपन से ही बच्चों को समय की अहमियत बतानी चाहिए। उन्हें अपने कामों को समय से करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। बच्चों को न केवल उनके समय की कीमत समझानी चाहिए बल्कि दूसरों के समय की भी इज्जत करने की सीख देनी चाहिए।

बुरे शब्दों से दूरी

कई बार बच्चे दूसरों की देखा-देखी या टीवी में देखकर अपशब्दों का इस्तेमाल करने लगते हैं। उन्हें लगता है कि इस तरह से वह सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं। लेकिन पेरेंट्स को तभी बच्चों को टोकना चाहिए जब वह पहली बार उनके मुंह से कोई भी अपशब्द सुनें। बच्चों को समझाएं ऐसा करना उनकी छवि पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा।

अपनी चीजों की सफाई

अक्सर बच्चे अपने कपड़े, खिलौने, किताबें और दूसरे सामान बिखेरकर रखते हैं लेकिन, इन आदतों को बचपन में ही सुधारने की जरुरत है। माता-पिता को चाहिए कि वो बच्चों को अपनी चीजों को सफाई और सहेजकर रखना सिखाएं। ये आदत आगे चलकर उसके व्यक्तित्व के विकास में सहायक साबित होगी।

अनुशासन में रहना

सिर्फ स्कूल से जुड़ीं गतिविधियां व लोग ही बच्चे का पूरा जीवन नहीं हैं। जब तक वह स्कूल व कॉलेज में होता है तब तक वहां कुछ घंटे अनुशासन में रहना उसके लिए अनिवार्य होता है लेकिन उसके बाद क्या? बच्चे की दिनचर्या को भी बचपन से अनुशासन में रखें, जैसे समय पर सोना व उठना, व्यायाम करना, किताबें पढ़ना, खेलना, लोगों से मिलता-जुलना वगैरह, जिससे कि स्कूल व कॉलेज खत्म होने के बाद भी उसका अनुशासन बना रहे और दिनचर्या व्यवस्थित रखने की आदत उसे जीवनभर काम आएगी।

धैर्य रखना

कई बार बच्चे खिलौने या फिर किसी दूसरे सामान के लिए जिद करने लगते हैं और मां-बाप उन्हें शांत करने के लिए उनकी मांग पूरी कर देते हैं। ये गलत हैं। माता-पिता को चाहिए कि वो बच्चे को कुछ चीजों के लिए मना भी करें। इससे बच्चों में धैर्य की भावना आती है।

सॉरी बोलना

बच्चों को सॉरी बोलना सिखाना बहुत ही जरूरी है। अगर कभी आपसे किसी का नुकसान हो जाए तो आप भी उनके सामने सॉरी शब्द का इस्तेमाल करें। बेहतर होगा अगर आप अपने बच्चे के साथ भी सॉरी शब्द का प्रयोग खूब करें। ऐसा करने से बच्चे भी सॉरी बोलना सीख जाएंगे।

लोगों के प्रति सहयोग की भावना

बच्चे को सहयोग की भावना सिखाना बेहद जरूरी है। बच्चे अपने भाई-बहन के प्रति कैसा रवैया रखते हैं या फिर अपने दोस्तों के साथ उनका व्यवहार कैसा है, इस बात पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उनके इस व्यवहार से उनका व्यक्तित्व जुड़ा हुआ होता है।