PTM में पेरेंट्स ना कहें टीचर से ये बातें, बन सकता हैं नकारात्मक माहौल

बच्चों के विकास के लिए शिक्षा बहुत जरूरी हैं। बच्चों को शिक्षा देने का काम करते हैं घर पर माता-पिता और स्कूल में शिक्षक। बच्चों की शिक्षा सही हो और उनका विकास अच्छे से हो सके, इसके लिए जरूरी हैं कि पेरेंट्स और टीचर मिलकर बच्चों की कमियों के बारे में बातें करें और उन्हें दूर करने के बारे में विचार करें। इसके लिए ही स्कूल की तरफ से पैरेंट्स टीचर मीटिंग (PTM) रखी जाती हैं। लेकिन कई बार पेरेंट्स इस मीटिंग के दौरान टीचर्स से ऐसी बातें बोल जाते हैं जो माहौल को नकारात्मक बनाती हैं और इसका बच्चों पर भी बुरा असर पड़ता हैं। तो आइये जानते हैं कि PTM के दौरान पेरेंट्स को किन बातों को बोलने से बचना चाहिए।

बच्चों को फटकारें नहीं

पीटीएम में कई माता-पिता अपने बच्चों को डांट देते हैं, जिसका असर बच्चों की मानसिकता पर गलत रूप से पड़ता है। उन्हें लगता है कि उनके माता-पिता ने उन्हें सबके सामने डांट दिया और वे उनपर भरोसा करना बंद कर देते हैं।

हमारा काम फीस देना है

जब कभी टीचर पेरेंट्स से उनके बच्चे की शिकायत करती है तो पेरेंट्स तुरंत अपने बच्चे को प्रोटेक्ट करने लगते हैं। कभी कभी तो उल्टी कम्प्लेन करने लगते हैं कि हमारा काम तो फीस देने का है आप ही देखो आपका क्या सिस्टम है। जब एक टीचर पूरी मेंहनत से आपके बच्चेक के भविष्य को संवारने में लगी है तो उनको ऐसा कहना बहुत ही गलत होगा।

ज्यादा तारीफ ना करें

अपने बच्चों की ज्यादा तारीफ टीचर के सामने कभी ना करें। इससे वे ओवर कॉन्फिडेंस में आ जाते हैं और स्कूल में शैतानियां करने लगते हैं। यही नहीं, कई बच्चे अपने टीचर की बात को भी वैल्यू नहीं देते और उनकी इज्जत नहीं करते।

दूसरी टीचर की बुराई

जब पेरेंट्स मीटिंग में जाते हैं तो अकसर जोश में आकर एक टीचर के सामने पुरानी किसी टीचर या सब्जेक्ट टीचर की बुराई करने लग जाते हैं। जो किसी भी टीचर को सुनना अच्छा नहीं लगता। आप ऐसा कहकर अपने बच्चे की टीचर के सामने अपनी इमेज खराब करते हैं। जिसका बात का निगेटिव असर आपके बच्चे पर भी हो सकता है।

ज्यादा कमियां ना निकालें

पीटीएम में कई बार माता-पिता या टीचर बच्चों की इतनी अधिक कमियां निकालते हैं कि उसका कॉन्फिडेंस खोने लगता है। यही नहीं, अगर आप टीचर के सामने बच्चे की अधिक शिकायत करें, तो टीचर बेवजह बाद में बच्चों का डांटते रहेंगे और उन्हें बार-बार उनके पैरेंट्स द्वारा बताई गई कमियों की याद दिलाएंगे।

बच्चों के प्रति एग्रेसिव ना हों

अगर आपको किसी बात का बुरा भी लग रहा हो या फिर आपको लग रहा है बच्चे ने गलती की है, तो उसे प्यार से समझाएं। घर जाकर उससे बात करें। चिल्लाएं या मारपीट ना करें। ऐसा करने से स्कूल में आपकी और बच्चे के बारे में लोग मजाक उड़ा सकते हैं।

हमारा बच्चा झूठ नहीं बोलता

कभी-कभी कुछ पेरेंट्स जब अपने बच्चे की टीचर से मिलते हैं तो टीचर की बात सुनने की जगह अपने ही सुर अलापने लगते हैं। जबकि पेरेंट्स को चाहिए कि वो टीचर की हर बात को आराम से सुनें। कुछ पेरेंट्स तो अपने बच्चे की कमी ही नहीं मानते और दावा करते हैं कि उनका बच्चा कभी झूठ नहीं बोल सकता।

डिमोटिवेट करने वाली बातें करना

बच्चे की कमियों को सुनकर ऐसी बात बच्चों के सामने ना करें, जिससे बच्चा डिमोटिवेट हो जाए। मसलन, तुम जीवन में कुछ नहीं कर पाओगे, फेल हो जाओगे आदि। ये बातें बच्चों को परेशान कर सकती हैं और वे चीज़ों से भागना सीख सकते हैं।