बच्चों के व्यवहार को बुरी तरह प्रभावित करता हैं पेरेंट्स का तलाक, जानें इसके बारे में

बच्चों की सही परवरिश की जिम्मेदारी उनके पेरेंट्स पर होती हैं। लेकिन पेरेंट्स खुद ही अपने रिश्ते को नहीं संभाल पा रहे हो, तो इसका असर बच्चों की परवरिश पर पड़ना लाजमी हैं। बच्चों की सही परवरिश के लिए माता-पिता दोनों के साथ, प्यार व दुलार क़ी ज़रूरत होती है। बच्चों का मन बहुत ही कोमल होता है। ऐसे में घर और बाहर के माहौल में आए बदलाव या किसी तरह के कमेंट उनके कच्चे मन को तोड़ने लगता है। जो कपल तलाक ले लेते हैं, उनके बच्चे मानसिक व भावनात्मक रूप से काफी प्रभावित हो जाते हैं। हालांकि, यह बच्चे की उम्र भी बताती है कि उसके पेरेंट्स का डिवोर्स लेने के फैसले से उस पर क्या असर पड़ेगा। आज हम आपको यहां बताने जा रहे हैं कि पेरेंट्स के तलाक से बच्चे के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।

मानसिकता पर प्रभाव

माता-पिता के बीच हुए अलगाव का असर सबसे ज्यादा उनके बच्चों पर ही होता है और कई बार यह प्रभाव बड़ा विध्वंसक होता है। छोटे बच्चों में माता-पिता के प्रति खीज, गुस्सा और शक आने लगता है जो बच्चा अभी बोलता नहीं है उसमें भी एक डर समा जाता है बच्चा अपनी मां से चिपका रहना चाहेगा, उसको छूते रहना, पीछे-पीछे लगे रहना, चिपककर सोना, कपडे पकडक़र सोना जैसी हरकतें करने लगेगा जो पहले नहीं करता था।

इग्नोर करना शुरू कर देता है

माता-पिता के अलग हो जाने पर बच्चा माता और पिता दोनों को ही सीरियस लेना छोड़ देता है। उसे अपनी लाइफ यूजलेस लगने लगती है और पेरेंट्स कुछ भी कहें तो वह उसे नजरअंदाज करने लग जाता है। वहीं अगर उसो कई बात जोर देकर भी कही जाए तो वह सुनकर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है।

अनसोशल होना

माता-पिता के अलग हो जाने से यह देखा गया है कि बच्चे अनसोशल होने लगते हैं और उन्हें अकेला रहना बेहतर लगता है। उनका लोगों पर से भरोसा उठ जाता है और वे पूरा-पूरा दिन अपने कमरे में अकेले रह सकते हैं।

स्वास्थ्य पर भी बुरा असर

तलाक का असर आपके बच्चे के शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है। द प्रोसीडिंग ऑफ द नेशनल अकेडमी ऑफ साइंस नाम की एक स्टडी के अनुसार शारीरिक स्वास्थ्य का बुरा असर बच्चों की युवा अवस्था पर भी पड़ सकता है। रिर्पोट के अनुसार परिवार में अगर शुरुआत में झगड़े हो तो बच्चों के इम्यून सिस्टम पर इसका बहुत बुरा असर पड़ता है।

शौक खत्म हो जाना

पैरेंट्स के तलाक से आहत बच्चा धीरे-धीरे उन चीजों को भी करना छोड़ देता है, जिसका उसे शौक रहा हो। वह खुद को मोबाइल, टीवी या कंप्यूटर में डुबा लेना चाहता है और उन चीजों में खुद को व्यस्त करता है, जिसमें वह खुद को दुनिया से अलग महसूस करे।

खुद को नुकसान पहुंचाना

कई बार बच्चे पेरेंट्स को फिर से एक करने के लिए खुद को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है, जैसे खुद को चोट मारना या जानबूझकर नशा करना। कई बार दिखावे की चक्कर में बच्चे को नशा करने जैसे शराब पीना आदि की आदत पड़ जाती है।

छोटे बच्चों के लिए घातक

एक शोध में पाया गया कि अपेक्षाकृत छोटे बच्चों की शिक्षा और उनकी मनोस्थिति पर इसका अधिक असर पड़ता है। कनाडा के अल्बर्टा और मानितोबा विवि की ओर से किए गए शोध में चेतावनी दी गई है कि दंपतियों को तलाक का निर्णय लेते समय अपने बच्चों की शिक्षा और उनके शेष जीवन पर इसके प्रभाव के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए।