बच्चों की परवरिश करना एक बड़ी जिम्मेदारी होती हैं जिसपर बच्चे का व्यवहार और भविष्य टिका होता हैं। बच्चों के गलत व्यवहार के कारण सवाल पेरेंट्स पर उठने लगते हैं कि उन्होंने अपने बच्चों को क्या सिखाया है। ऐसे में कई बार अभिभावक बच्चे के हित में कड़े फैसले ले लेते हैं, लेकिन कई बार उनके फैसले बच्चों पर गलत असर भी डाल देते हैं। ऐसे में आपको पॉजिटिव पेरेंटिंग पर ध्यान देने की जरूरत हैं। पॉजिटिव डिसिप्लिन या पेरेंटिंग एक अनुशासन मॉडल है जिसका इस्तेमाल स्कूलों द्वारा पेरेंटिंग में किया जाता है जो व्यवहार के सकारात्मक बिन्दुओं पर केन्द्रित होता है। इस तरीके को अपनाने के पीछे एक कारण यह भी है कि बच्चा गुस्सा करने से शायद बात ना माने लेकिन अगर आप उसी बात को किसी दूसरे तरीके से और प्यार से कहेंगे, तो बच्चे पर जल्दी असर होगा। हम आपको यहां पॉजिटिव पेरेंटिंग से जुड़ी जरूर बातों के बारे में बताने जा रहे हैं।
साधारण चीजों के लिए हां कहना सीखेंअगर आप अपने बच्चे को हां कहना चाहते हैं, तो छोटी छोटी चीजों से इसकी शुरुआत करें। क्योंकि हां कहने की आदत बनाने से बहुत कुछ संभव हो सकता है। जैसे चॉकलेट दिलाना, अपने बच्चों को कहीं अच्छी सी जगह पर घुमा सकते हैं। आप अपने बच्चे को उसके पसंद के खिलौने खरीद सकते हैं। आप उनकी जिस जिद को आसानी से पूरा कर सकते हैं, उसके लिए आपको हां कर देनी चाहिए।
बच्चों को प्यार करें और उनपर जाहिर भी करेंबच्चों के प्रति अपना प्यार जताइए। आपके बच्चे से बहुत प्यार करने जैसी कोई बात नहीं है। बच्चों से प्यार करना उन्हें बिगाड़ना नहीं है। कई पेरेंट्स प्यार के नाम पर बच्चों को- भौतिक चीजें, उदारता, कम उम्मीदें और बहुत अधिक सुरक्षात्मकता देते हैं। जब आप बच्चों को प्यार की जगह ये चीजें देते हैं तो वास्तविकता में आपका बच्चा बिगड़ रहा होता है। बच्चे को प्यार देना उतना ही आसान है जितना कि उसे गले लगाना, बच्चों के साथ समय बिताना और हर दिन उनकी बातों को पूरी गंभीरता के साथ सुनना।
बुद्धिमानी से अपने शब्दों का चयन करेंमाता पिता अपने बच्चे की हर मांग पूरा नहीं कर सकते। लेकिन हर बार ना कहने की बजाय और भी ऑप्शन चुन सकते हैं, जैसे- आप अपने बच्चे को जानवरों को मारने की मना करने की बजाय उनसे प्यार करने के लिए कह सकते हैं। भागने की बजाय आप यह कह सकते हैं की धीरे धीरे चलो।
बच्चे के लिए एक सुरक्षित जगह बनेंअपने बच्चे को बताएं कि आप उनके लिए हमेशा हैं और उनके संकेतों एवं आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील हैं। अपने बच्चे को एक व्यक्ति के रूप में समर्थन और स्वीकृति दें। अपने बच्चे के लिए एक गर्मजोशी से भरा और सुरक्षित इंसान बनें ताकि वो आपसे अपना मन साझा कर सके। जो माता-पिता बच्चे का इस प्रकार लालन पालन करते हैं, उन बच्चों में बेहतर विनियमन विकास, सामाजिक कौशल विकास और मानसिक विकास भी अच्छा होता है।
बच्चों के साथ आयु के अनुसार व्यवहार करेंकई बार माता-पिता अपने बच्चे को अंग्रेजी या बहुत कुछ सिखाने के चक्कर में उनके साथ छोटी उम्र से ही सख्ती बरतने लगते हैं। ऐसे में आपको ये समझना चाहिए कि अगर आपका बच्चा बहुत छोटा है, तो उसके साथ बेहद प्यार और सब्र का साथ व्यवहार करें।
हाँ कहें लेकिन सीमा निर्धारित करें कई बार बच्चा ऐसी चीजों की मांग करने लगता है जिनकी उसको जरूरत भी नहीं है या जिनका उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। उदाहरण के लिए बच्चे मीठा खाने की जिद करते हैं, मोबाइल फोन पर गेम खेलने की जिद्द करते हैं या ज्यादा समय तक टीवी देखने की जिद्द करते हैं, तो इसके लिए आप उनको मना करने की बजाय उन चीजों का प्रयोग करने की समय सीमा निर्धारित कर दें। अगर वो अपनी पसंद का भोजन करना चाहते हैं, तो उसके लिए एक दिन या दिन का कोई विशेष समय तय कर दें। बच्चे को उसके मनपसंद काम उसी समय विशेष या दिन विशेष पर करने के लिए कहें। इससे बच्चा आत्मसंतोषी बनेगा और संभव है कि धीरे-धीरे वो गलत लगने वाली आदतों या डिमांड को छोड़ दे।