पैरेंट्स कर बैठते हैं बच्चों को पनिशमेंट देने के दौरान ये गलतियां, उनके मन पर पड़ता हैं बुरा प्रभाव

हर माता-पिता की कोशिश रहती है कि उनके बच्चों को अच्छी परवरिश दी जाए ताकि वे सभ्य आचरण करते हुए अपनी एक अच्छी छवि सभी के सामने प्रस्तुत करें। कई बच्चे होते हैं जो शरारती स्वभाव के होते हैं और हर समय मस्ती करते रहते हैं जिसकी वजह से पेरेंट्स को उन्हें पनिशमेंट देनी पड़ती हैं। लेकिन पेरेंट्स को यह समझना जरूरी हैं कि आप बच्चे को किस तरह की पनिशमेंट दे रहे हैं क्योंकि उनका मन चंचल होता हैं जिसकी वजह से उनपर इनका जल्दी नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता हैं। ऐसा देखा गया है कि कई बार पेरेंट्स पनिशमेंट या गुस्सा आने के दौरान ऐसी सामान्य गलतियां करते हैं, जो बच्चों को नेगेटिव कर सकती हैं जिनके बारे में आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं...

गलत शब्दों का इस्तेमाल

गलत शब्दों का इस्तेमाल करना जैसे कि 'मुझे पता था तुम खराब कर दोगे,' 'तुम बिलकुल उनकी तरह बेकार हो,' 'तुमसे कुछ भी सही नहीं हो सकता है'। इस तरह के वाक्यों से कोई भी बच्चा आपको सुनना नहीं चाहेगा। इसकी बजाय बच्चे को ये एहसास होने लगेगा कि वो कुछ बेहतर करने के ही लायक नहीं है।

पूरी नहीं करनी बात

आप बच्चे को पनिशमेंट के तौर पर हफ्तेभर उसे फोन इस्तेमाल न करने के लिए कहते हैं लेकिन फिर दो दिन बाद ही उसे उसका फोन थमा देते हैं। इससे बच्चे को लगेगा कि आप पनिशमेंट को लेकर सीरियस नहीं है और वो आपकी बातों को गंभीरता से लेना बंद कर देगा।

परफेक्ट होने की उम्मीद

जब भी पेरेंटिंग की बात आती है तो ये मुद्दा जरूर उठता है कि बच्चों पर उनके माता-पिता परफेक्ट बनने का बोझ ज्यादा रखते हैं। अपने बच्चों को बड़े लक्ष्य देना और अच्छा परफॉर्म करने के लिए प्रोत्साहित करने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन इस मामले में आपको अपने बच्चे की क्षमता पर भी ध्यान देना चाहिए। ज्यादा ऊंचे लक्ष्य बनाकर आगे चलकर बच्चों के आत्म-विश्वास और आत्म-सम्मान को ठेस पहुंच सकती है। बच्चों को ऐसे लक्ष्य दें जिन्हें पूरा करने पर उनका आत्मविश्वास बढ़े। अगर वो किसी वजह से पूरा नहीं भी कर पाते हैं तो अपनी फेलियर से कुछ सीखकर आगे बढ़ने को प्रेरित करें।

सही प्रॉब्लम ही नहीं समझा पाना

बच्चे को पता होना चाहिए कि उसे किस बात की सजा मिली है। उन्हें बताएं कि असल में क्या दिक्कत है ताकि उसे पता चल सके कि अगली बार उसे क्या करने से बचना है। जब भी कोई नियम बनाएं, तो उसे अच्छी तरह से स्पष्ट कर दें।

कहीं सजा ना बन जाए मजा

आप बच्चे के लिए कोई ऐसी पनिशमेंट तय न करें जो उसे सजा से ज्यादा मजे की लगे। जैसे कि बच्चे को अगर अकेले रहना पसंद है, तो उसे पनिशमेंट के तौर पर कमरे में अकेला न छोड़ें। बच्चे की पर्सनैलिटी के हिसाब से पनिशमेंट तय करें।

नालायक कह देना

ऐसा भी देखा गया है कि माता-पिता कभी हालात की वजह से इतने गुस्से में होते हैं कि वे व्यवहार करना तक भूल जाते हैं। बच्चा इस दौरान किसी चीज की डिमांड करता है, तो माता-पिता ये कह देते हैं कि ‘तुम इसके लायक नहीं’ हो। ये बात बच्चे के दिमाग पर बुरा असर डाल सकती है। आपका गुस्सा शांत हो जाए या फिर हालात सुधर जाए, लेकिन हो सकता है, आपका बच्चा उस बोली हुई बात को ना भूल पाए। किसी भी हालात में बच्चे को प्यार से समझाना बेहतर रहता है।

सुधार के बारे में बात न करना

कई बार बच्चों को अपनी गलती पर पछतावा होता है और वो उसे सुधारना चाहते हैं। ऐसे में उन्हें बताएं कि वो किस तरह सुधार कर सकते हैं। बच्चों को हर कदम पर अपने पैरेंट्स की मदद और सलाह की जरूरत होती है।