बच्चों में ये लक्षण दिखते ही टोकें उन्हें, नजरअंदाज करना पड़ेगा भारी

बच्चों की परवरिश के दौरान अक्सर पेरेंट्स उनके प्यार में इस कदर पागल हो जाते हैं कि उनकी हर जिद को पूरी करने में लग जाते हैं। बच्चों की खुशी के लिए वह सबकुछ करते हैं। ऐसे में कई बार माता-पिता दोनों ही अपने बच्चों को बिगाड़ने के जिम्मेदार होते हैं। ऐसे में बड़े होते बच्चे अक्सर गलत संगत में भी आ जाते हैं और गलत बातें भी सीखने लगते हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा एक अच्छा इंसान बने तो उसकी कुछ आदतों को नजरअंदाज करने की बजाय उन्हें टोकें और ऐसा करने से मना करें। जब बच्‍चे के व्‍यवहार में पहली बार कोई गलत बात दिखे तो इसे हानिकारक नहीं समझा जाता है लेकिन जब बच्‍चे की आदत में यह शुमार हो जाता है तो इसे दूर करना और ज्‍यादा मुश्किल होता है। इसलिए आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं उन बातों के बारे में जिनपर आपको बच्चों को समझाने की जरूरत हैं।

बच्चे का बीच में टोकना

कुछ बच्चों को आदत होती है कि वो जब 2 लोग बात कर रहे होते हैं तो बीच में टोकते हैं। बार-बार अपनी बात बीच में बोलते हैं। अगर बच्चा ऐसा करता है तो उसे सिखाएं कि उसे 2 लोगों की बात खत्म होने के बाद ही अपनी कोई बात कहनी है। तब तक इंतजार करना है। ये आदत भविष्य में भी काम आएगी।

गलत भाषा बोले बच्चा

बच्चों पर उनके आसपास के माहौल का असर जल्दी पड़ता है। बच्चे कई बार कुछ बातें सिर्फ देखकर सीख जाते हैं। बच्चों ने कभी किसी को गाली देते सुना हो तो वह भी गाली गलौज करना सीख जाते हैं। वह गाली देने लगते हैं या गलत शब्दों का इस्तेमाल करते हुए बात करते हैं। आप अपने बच्चे की भाषा पर जरूर ध्यान दें। अगर बच्चा गाली देने लगे तो उसे तुरंत टोक दें और सही गलत का फर्क बताएं। ये भी जानने का प्रयास करें कि बच्चे न कहां से इस तरह की भाषा सीखी है।

​धैर्य ना रखना

छोटे बच्‍चों में धैर्य की बहुत कमी देखी जाती है और इसे आप कई रूपों में देख सकते हैा जैसे कि बार-बार टोकना, जिद करना या रोना शुरू कर देना। अपनी मनपसंद चीज ना मिलने पर अक्‍सर बच्‍चे यही करते हैं। अधीरता से गुस्‍सा, आत्म-नियंत्रण की कमी और सोशल प्रॉब्‍लम हो सकती हैं। यह माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वो बच्‍चों धैर्य रखना सिखाएं।

मारपीट करना

अगर बच्चे घर या पड़ोस में दूसरे बच्चों से मारपीट करते हैं, तो ये भी बच्चों के बिगड़ने का संकेत है। मारपीट करने की आदत और हिम्मत अकसर बच्चों में अपने दोस्तों, घर-परिवार के लोगों या टीवी प्रोग्राम और फिल्में देखकर ही आती है। ध्यान दें कि मारपीट करने पर बच्चों को मारें नहीं, बल्कि उन्हें समझाएं। कई बार बच्चे एटेंशन डेफिसिट हाइपर डिस्ऑर्डर का शिकार होते हैं। इस कारण भी उनमें लड़ने-झगड़ने की प्रवृत्ति हावी होती है।

हर बात पर जिद करना

कहीं बाहर जाने पर बच्चा एकदम रोना, किसी चीज को खरीदने के लिए अड़ जाना, अगर बच्चे के मन की बात पूरी ना हुई तो वो टैंट्रम करें या फिर वो चिल्लाएं और रोना धोना मचा दें तब आपको समझ जाना चाहिए कि बच्चा जिद्दी हो गया है। बच्चो को ना सुनने की आदत होनी चाहिए। हर चीज मान ली जाए तो ये आदत नहीं बन पाती है। इससे बच्चों को आगे चलकर समस्या भी होती है क्योंकि असल जिंदगी में आपकी हर बात पूरी ही हो जाए ये जरूरी नहीं है।

वह ना नहीं सुन सकते

अगर आपके बच्चे न सुनने पर बहुत अधिक ओवर रिएक्ट करते हैं या तिलमिलाने लगते हैं तो यह एक अच्छे व्यवहार की निशानी नहीं है। अगर आप अपने बच्चे के बिगड़ने का पता लगाना चाहते हैं तो आपको एक बार उन्हें किसी चीज के लिए मना करके देखना चाहिए। इसके बाद उनके रिएक्शन से आपको आपका जवाब मिल जायेगा।

दूसरों को परेशान करना

कुछ बच्चों की आदत होती है कि वो खेलते वक्त या फिर क्लास में दूसरे बच्चों को परेशान करते हैं। अगर घर में छोटे भाई-बहन हैं तो उन्हें परेशान करते हैं। अगर आपका बच्चा ऐसा करता है तो उसे रोकना चाहिए। बच्चे को 8 साल से पहले ही ऐसे व्यवहार के लिएरोकना जरूरी है। बाद में ऐसा करने तक बच्चा दूसरों को नुकसान पहुंचा सकता है।

चोरी करना

अगर आपका बच्चा किसी दोस्त की कोई चीज घर उठाकर ले आए या घर से चीजे और पैसे गायब रहने लगे तो समझ जाएं कि बच्चा गलत राह पर जा रहा है। वह चोरी करना सीख रहे हैं। उनके शौक और पसंद बढ़ती जा रही है। जिसे पूरा करने के लिए वह चोरी करने लगते हैं। आपको ध्यान देने की जरूरत है कि बच्चा किसकी संगत में है।