बच्चो की अच्छी परवरिश के लिए है ये खास टिप्स

घर में बच्चे का होना सबको अच्छा लगता है। बच्चे के जन्म के बाद पूरा परिवार ख़ुशी से भर जाता है। बच्चे के आने के बाद हर माता-पिता की चाहत होती है की उनका बच्चा सदैव खुश रहें, तरक्की करें और अपनी अलग पहचान बनाये। बच्चा फ्यूचर में क्या बनेगा, उसका बर्ताव कैसा रहेगा यह सब बातो की नीव बचपन में ही निर्धारित हो जाती है।

आज के दौर में बच्चो को संभालना माता पिता के लिये चुनौती से कम नहीं है, उनकी मानसिकता को समझना सरल नहीं है। आजकल तो माता पिता, बच्चो के साथ अपने मधुर और सार्थक सम्बन्ध बनाने को तरस रहे है।

हर पेरेंट्स चाहते है कि बच्चों के साथ उनका रिश्ता गहरा और ठोस हो। इसलिए बचपन में बच्चो की अच्छे से परवरिश होना बेहद जरुरी है। क्योकि छोटे बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं। आप उन्हें जैसा रूप देते है वो वैसा बन जाते हैं। बच्चो के भविष्य को सवारने और उन्हें अच्छा इंसान बनाने के लिए उनकी सही परवरिश जरूरी है।

लेकिन पेरेंट्स नहीं जानते कि इस तरह की भावना को वे पेरेंट्स होने के नाते अपने बच्चों के साथ कैसे विकसित करें। तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ पेरेंटिंग टिप्स, आइये जानिए।

* बचपन से ही शुरुवात : हमेशा पेरेंट्स यही सोचते है की जब बच्चा बड़ा हो जायेगा तब उसे नियम सिखायेंगे। अभी तो बच्चा छोटा है। लेकिन यह गलत है उन्हें शुरू से ही अनुशासित बनाएं। क्योंकि जब बच्चा बड़ा होने लगता है तब उसे नियम में रहने की आदत डालना मुश्किल है|। इसके अतरिक्त उन्हें प्यार से हर चीज़ समझाये। कुछ पेरेंट्स बच्चों को छोटी-छोटी बातों पर निर्देश देते है उनके ना समझने पर डाँटते भी है और मारते भी हैं। यह गलत तरीका है। आपका यह तरीका उन्हें जिद्दी और विद्रोही बना सकता है। इसलिए जितना हो सके प्यार से ही समझाने की कोशिश करे।

* बच्चो पर ज्यादा दबाव ना डाले : बहुत से पेरेंट्स अपने बच्चे से बहुत सारी उम्मीद बांध लेते है| और किसी बात या उम्मीद का पूरा ना होने पर गुस्सा या दुख ज़ाहिर करते है। ऐसा करने के बजाए उन्हें सांत्वना दें। क्योकि ग़लतियाँ होने पर ही तो इन्सान सीखता है। यही बात अपने बच्चे को सिखाये, और उसे खुश रखे। उसे अच्छे से समझाने पर आपका बच्चा फिर से विजय प्राप्त करने की कोशिश करेगा।

* बच्चे के नजरिए से सोचें :
हमेशा याद रखे कि 4 साल का बच्चा फ्यूचर की चिंता, समय की कीमत, आदि बातें नहीं समझ सकता। उदहारण के तौर पर अगर बच्चा दुकान में जिद करने लगे तो आप गुस्सा न करे और ये भी न बोले कि आप के पास बहुत टॉयज है, और नहीं लेना है। ऐसे समय में बच्चे को चूम कर प्यार से गोद में उठा कर बाहर ले जायें। बच्चा रोता है तो रोने दे क्योंकि ये बच्चे का तरीका है अपना गुस्सा, निराशा जाहिर करने का।

* उनके दोस्त बने : अपने बच्चे को किसी गलती के पीछे डाटने की बजाय उसने उस गलती के पीछे का कारण जाने। हो सकता है की आपने बच्चे ना बताये। इसलिए उनका बॉस बनने की बजाय उनसे गहरी दोस्ती करें। ऐसे में वो आपसे आसानी से बात कर सकेंगे।