किसी भी समाज का केंद्र परिवार ही होता है, दरअस्ल परिवार समाज की वह संरचना है, जहां स्नेह, अपनापन, लगाव, सहयोग, संगठन और सुख-दुख की साझेदारी, को एक साथ मिलकर निभाया जाता है। संयुक्त परिवार में बचपन अकेलेपन में नहीं गुज़रता, युवाओं को बेहतर मार्गदर्शन और एक उम्दा जीवनशैली मिलती है।लेकिन बदलते समय के साथ परिवार के मायने बदलते जा रहे हैं। संयुक्त परिवार मूल रूप से एकल परिवार में तब्दील होकर छोटे होते जा रहे हैं। लिहाज़ा आने वाले समय मे परिस्थितियां और ख़राब ना हों इसलिए ज़रूरी है कि अपने बच्चों को कुछ फ़ैमिली वैल्यूज़ सिखाएं जैसे-
बड़ों का आदर करनाहम अपने बच्चों को बड़ों की इज़्ज़त करना सिखाएं। ये बात केवल बच्चों पर ही लागू नहीं होती, ख़ुद भी इस बात पर अमल करना चाहिए। अपने बच्चों को घर मे आए किसी रिश्तेदार को प्रणाम करना या शिष्टाचार से नमस्ते करना ज़रूर सीखना चाहिए।
बड़े या छोटों से विनम्रता पूर्वक बात करना अपने बच्चों को अपने से बड़े या छोटों से विनम्रता पूर्वक बात करने की सीख दें।जितना हो सके अपने बच्चों को प्यार से बातें करना सिखाएं। सबसे ज़रूरी यह है कि इन बातों को ज़्यादा सिखाने की ज़रूरत नहीं पड़ती, बच्चे वैसा व्यवहार ही करते हैं, जैसा उनके घर का माहौल होता है।
बुज़ुर्गों का सम्मान
बुज़ुर्गों और बच्चों का सम्मान करना हमारे अच्छे शिष्टाचार को दिखाता है। इसलिए अपने बच्चों को सदैव बुज़ुर्गों के प्रति विनम्र और छोटे बच्चों के प्रति संवेदनशील होना सिखाएं।
जिद्द पर नियंत्रण रखना सिखाएं एकल परिवार में बच्चों को बेहद लाड़-प्यार से पाला जाता है, जिससे वे कई बार ज़िद्दी हो जाते हैं और हर बात के लिए ज़िद करते हैं। ऐसे में उन्हें उन बच्चों की ज़रूरतों और मूलभूत आवश्यकताओं के बारे में बताएं जो उन चीज़ों से वंचित रह जाते हैं। जितना हो सके अपने बच्चों को ज़मीन से जुड़े रहना सिखाएं।
परिवार का महत्व समझाएंबच्चों को संयुक्त परिवार के बारे में बताएं। उन्हें अपने बचपन के क़िस्से सुनाएं, उन्हें बताएं कि घर-परिवार में कैसे खाने से लेकर कपड़ों तक को साझा किया जाता था। इन बातों को इतने मज़ेदार तरीक़ों से बताएं कि बच्चे को संयुक्त परिवार की बातें बेकार ना लगें, बल्कि जब कभी वो आपके साथ आपके परिवार के बीच जाएं, तो उसे वह परिवार भी अपना ही लगे