महिलाओं से जरूर सीखनी चाहिए पुरुषों को ये अच्छी आदतें

आज हमारा समाज रूढ़ीवादी सोच से बहुत आगे बढ़ चुका हैं, लेकिन आज भी कई पुरुष हैं जो इससे बाहर निकलना नहीं चाहते हैं। समाज में जितना महत्व पुरुष रखते हैं, उतना ही महिलाओं का भी। या यह भी कहा जा सकता हैं कि महिलाओं का कई ज्यादा है, बस अहसास होने की जरूरत हैं। आज भी देखने को मिलता है कि लोग पुरुष और महिलाओं के गुणों को अलग-अलग देखते हैं। जीवन को बेहतर बनाने के लिए जरूरी हैं कि पुरुष और महिलाएं एक-दूसरे की अच्छी आदतें सीखें। आज इस कड़ी में हम आपको महिलाओं की उन आदतों के बारे में बताने जा रहे हैं जो पुरुषों को जरूर सीखनी चाहिए।

मल्टीटास्किंग

महिलाएं अपने घर, परिवार और खुद को एक ही समय में मैनेज करने में समर्थ होती हैं और इसी कारण उनका ब्रेन भी मल्टीटास्क करने में सक्षम होता है। यह तनाव को भी बेहतर तरीके से मैनेज कर सकता है। जहां पुरुष एक समय में एक ही काम करने के लिए खुद को मोटिवेट करते हैं, वहीं महिलाओं से एक ही समय में कई कामों को करने की उम्मीद की जाती है। इसलिए पुरुषों को उनसे मल्टी-टास्किंग की क्वालिटी जरूर सीखने चाहिए।

साफ सफाई की आदत

घर हो या दफ्तर, महिलाएं अपने आस पास का परिसर साफ़ रखती है। उनका मानना है कि साफ़ सफाई होगी तो लक्ष्मी का वास होगा। इस मामले में पुरुष पीछे पाए जाते है। ऐसा नहीं है कि पुरुषो को सफाई पसंद नहीं, उनका टाइम टेबल गलत होने के कारण, वे साफ़ सफाई समय से नहीं कर पाते।

क्रिएटिविटी

कई रिसर्च बताते हैं कि महिलाएं पुरुषों से अधिक क्रिएटिव होती हैं। उनका फैमिनिन साइड कई डिस्कवरी और इनवेंशन्स को जन्म देता है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण होता है इमेजिनेशन जो कि उन्हें सभी क्रिएटिव एक्टिविटीज़ में मदद करता है। आज के समय में हर एक फील्ड में काम करने लिए क्रिएटिव होना जरूरी है। इसलिए पुरुषों को महिलाओं से क्रिएटिविटी सीखनी चाहिए।

सहनशीलता

पुरुषो की अपेक्षा महिलाओं में सहनशीलता बहोत होती है। जब वे दफ्तर में काम करती है तो, कितने भी काम के तनाव हो, बड़े ही आसानी से निपटा देती है। यही वजह है कि बॉस कि प्यारी कर्मचारी होती है महिलाएं। काम का बर्डन किस तरह पार करना है, महिलाओं को बखूबी आता है। इन चीजो की कमियों के चलते, पुरुष ज्यादातर अपनी नौकरीयाँ बदलते रहते है।

कम्यूनिकेशन स्किल्स

महिलाओं में संवेदनशीलता, सहानुभूति और एक्सप्रेशन स्किल्स अधिक होने के कारण वे कम्यूनिकेट करने में बेहतर होती हैं हालांकि एक रूढ़िवादी पुरुष में इस चीज की कमी होती है। किसी भी सहयोगात्मक प्रयास, चाहे यह प्रोफेशनल हो या पर्सनल, हर किसी में ना केवल फैक्ट्स बल्कि उनके मीनिंग्स को भी कम्यूनिकेट करने की क्षमता होती है। पुरुषों को अपनी भावनाओं को महसूस करने के लिए खुद को मौका देना चाहिए ताकि वे दूसरों को बेहतर समझ सकें।

सेहत को लेकर सचेत

सफलता हासिल करने के लिए उम्र बड़ी होनी चाहिए और उम्र बड़ी होने के लिए शरीर का स्वस्थ होना जरुरी है। इस मामले में महिलाएं गंभीर है। अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए, महिलाएं अपने खाने पीने का बहुत ध्यान रखती है। बाहर के खानपान से दूरी रखते हुए, अपने हाथो का बना खाना पसंद करती है, वो भी बिलकुल समयानुसार। जबकि पुरुष ज्यादातार बाहर का खाना ही खाना पसंद करते है, कभी कभी बाहर खाना पुरुषो की मजबूरी भी होती है।

स्ट्रेस टोलरेंस

शोध से साबित हुआ है कि महिलाएं तनाव को बेहतर तरीके से संभाल सकती हैं। जैसे-जैसे हम बढ़ते हैं, तनाव होना आम बात है और कम मात्रा में तनाव होना आपके दिमाग को स्ट्रेस मैनेजमेंट सिखाता है और पॉजिटिव कॉपिंग स्किल्स डेवलेप करता है। हमारे समाज में, जहां लड़कों को विशेषाधिकार मिले होते हैं, उनमें तनाव को टोलरेट करने और सहने की क्षमता महिलाओं की तुलना में कम होती है जिसके कारण गुस्सा, आक्रामकता आदि लक्षण उनमें दिखते हैं। आज की दुनिया में, सभी सामाजिक देखभाल, सहयोग और संचार में बेहतर सामाजिक सहायता और तनाव प्रबंधन में मदद करते हैं, जो समय की आवश्यकता है।