आज महिलाएं सासससुर के साथ रहना पसंद नहीं करतीं और न ही अपने कैरियर के साथ किसी तरह का समझौता करती हैं। उन्हें लगता है क्रेच तो हैं ही, जहां उन के बच्चे सुरक्षित रह सकते हैं। वहां उन के खानेपीने से ले कर खेलने, आराम करने और ऐक्टिविटीज सीखने तक का पूरा इंतजाम होता है। महिलाएं खुद से दूर और अंजान के पास बच्चे को भेजने से डरती है। उनके मन में बच्चे की सुरक्षा को लेकर कई सवाल आते है जो उन्हें असमंजस में डाल देते है। ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बताते है जिससे आपको बच्चे के लिए सही डे-केयर को चुनने में मदद करेंगे।
डे केयर क्या है डे केयर सेंटर को आप प्री नर्सरी या क्रेच कह सकते हैं। डे केयर सेंटर कामकाजी पैरेंट्स के लिए उनके बच्चों की दिन में देखरेख करते हैं। यह स्कूल जाने से पहले बच्चे की नींव रखने के समान है। डे केयर स्कूल या सेंटर में बच्चे दिनभर या दिन के कुछ समय के लिए रहते हैं। इसके जितने फायदे हैं उतने ही नुकसान भी हैं। लेकिन अपने छोटे से बच्चे को अचानक अजनबियों के साथ छोड़ना माता-पिता के लिए आसान नहीं होता।
बच्चे की सुरक्षाबच्चे की सुरक्षा पेरेंट्स के लिए सबसे पहले होती है। इसलिए बच्चे के लिए डे केयर में अपने बच्चे को भेजने से पहले जांच लें कि वह पूरी तरह से बच्चे के लिए सुरक्षित है या नहीं। बस इस बात का ध्यान रहे कि जिस डे-केयर में आप अपने बच्चे को भेज रहे हैं उसके पास लीगल लाइसेंस है या नहीं। बच्चे के लिए डे केयर में सीसी टीवी कैमरे हैं या नहीं । ये सभी बातें ध्यान से जांच लें।
हर दिन करें ये काम
औफिस से घर आने के बाद आप कितनी भी क्यों न थक गई हों, अपने बच्चे के साथ समय जरूर बिताएं। उस से बातें करें कि आज क्रेच में क्या किया, क्या खाया, क्या सीखा? वहां मजा आता है या नहीं? अगर बच्चा कुछ अजीब सा जवाब दे तो उसे हलके में न लें, बल्कि यह जानने की कोशिश करें कि बच्चा ऐसा क्यों कह रहा है।बच्चा जब क्रेच से वापस आए तो जरूर चैक करें कि उस के शरीर पर कोई निशान तो नहीं है। अगर है तो बच्चे से पूछें कि निशान कैसे पड़ा, साथ ही यह भी देखें कि उस का नैपी बदला गया है या नहीं। आप ने लंच में उसे जो खाने के लिए दिया था क्या उस ने वह खाया है या नहीं।
डे केयर की पूरी दिनचर्या के बारे में जान लें बच्चे के लिए डे केयर में भेजने से पहले वहां की पूरी एक्टिविटी और दिनचर्या के बारे में जान लें। साथ ही बच्चे को कैसा खाना व पानी दिया जाता है इसकी भी जानकारी ले लें। खाने के गुणवत्ता की जांच करें। इसके साथ ही बच्चे को बच्चे के लिए डे केयर में भेजने के बाद भी समय-समय पर चेक करते रहें।
बच्चे की उम्र का रखें ध्यान-स्कूल के जैसे ही डेकेयर में भी बच्चों को डालने की एक उम्र होती है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक बच्चे को मां और बाहर के लोगों को पहचानने का मौका देना चाहिए। पर ऐसा डेढ़ साल की उम्र के बाद ही करें क्योंकि इस उम्र तक बच्चा बोलना, चलना साथ ही थोड़ी समझ वाला हो जाता है। साथ ही बच्चे को 6 साल की उम्र तक ही वहां रहने दें। इसके बाद उसे डे-बोर्डिंग में डालना सही होगा। साथ ही बच्चा अनुशासन में रहना सीखता है।
जब करें क्रेच का चयनबिजली व पानी की कैसी व्यवस्था है, बिस्तर साफ है या नहीं, बच्चे के खेलने के लिए किस तरह के खिलौने हैं, यह जरूर देखें।क्रेच हमेशा हवादार, खुला और रोशनी वाला होना चाहिए। यह भी देखें कि क्रेच में जो बच्चे का ध्यान रखती है वह कैसी है, बच्चों के प्रति उस का व्यवहार कैसा है। वहां आने वाले बच्चों के मातापिता से बात करें कि क्रेच कैसा है, वे संतुष्ट हैं कि नहीं, वे अपने बच्चे को कब से वहां भेज रहे हैं आदि।सस्ते व घर के पास के चक्कर में अपने बच्चे को किसी भी क्रेच में न रखें, क्योंकि वहां आप के बच्चे को रहना है, इसलिए कोशिश करें क्रेच साफसुथरा हो।