किशोरावस्था में कहीं दूर ना हो जाए आपके बच्चे, इन तरीकों से मधुर बनाए रिश्ते

माता-पिता का अपने बच्चों से रिश्ता मधुर बना रहे यही सभी की चाहत होती हैं। बचपन से ही पेरेंट्स अपने बच्चों का ध्यान रखते हुए उन्हें सही रास्ता दिखाते हैं। लेकिन अक्सर देखा जाता हैं कि किशोरावस्था के दौरान बच्चों में मानसिक और शारीरिक बदलाव होने लगते हैं जिसकी वजह से पेरेंट्स से थोड़ी दूरियां बनने लग जाती हैं। ऐसे में आज इस कड़ी में हम पेरेंट्स के लिए कुछ ऐसे तरीके लेकर आए हैं जिनकी मदद से आप अपने बच्चों पर ध्यान रखते हुए उनसे रिश्ते मधुर बनाकर रह सकती हैं। तो आइये जानते हैं इनके बारे में।

खर्च पर ध्यान दें

जब बच्चे किशोरवस्था में जाते हैं, तो उनकी कई ऐसी जरूरतें होती हैं जिनके लिए वो घर से पैसे लेते हैं। बच्चों का अपने माता-पिता से पैसे लेना बुरा नहीं है, लेकिन आपको इस बात का ध्यान देना चाहिए कि वो पैसे किस काम के लिए मांग रहे हैं, कहीं वो पैसों का गलत इस्तेमाल तो नहीं कर रहे, कहीं वो फिजूलखर्ची तो नहीं कर रहे, कहीं वो उन पैसों से कोई गलत चीज खरीदकर उसका सेवन तो नहीं कर रहे आदि। आपको इन सब बातों का ध्यान देना चाहिए, और जितना जरूरी हो उतने ही पैसे बच्चों को दें।

गलती पर डांटना गलत

जब कोई भी बच्चा किशोरावस्था में पहुंचता है, तो उसमें आत्म-सम्मान की भावना विकसित होने लगती है। ऐसे में अगर आप बच्चे को किसी गलती पर डांटते हैं और वो भी किसी के सामने, तो बच्चे पर इसका काफी गलत असर पड़ता है। साथ ही आपको कोशिश करनी चाहिए कि किसी दूसरे के सामने अपने बच्चे का मजाक भी न बनाएं। गलती किसी से भी हो सकती है। ऐसे में हमें बच्चों को डांटने की जगह पर उन्हें प्यार से उस चीज के अच्छे-बुरे के बारे में बताना चाहिए, और यकीन मानिए डांट से ज्यादा प्यार से समझाना काम कर सकता है।

दोस्तों पर ध्यान रखें

बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होने लगता है, वैसे ही उसके दोस्त भी बनने लगते हैं। अब ये बात तो सभी जानते हैं कि कुछ दोस्त काफी अच्छे होते हैं, तो कुछ दोस्त उतने ही खराब। बच्चों को किशोरावस्था में बुरी संगत जल्दी लग जाती है और इसमें उनके अलावा उनके दोस्तों की संगत पर भी काफी कुछ निर्भर करता है। इसलिए आपको बच्चे के दोस्तों पर नजर रखनी चाहिए। आपके बच्चे का कौन दोस्त है, वो कहां रहता है, उसकी आदतें कैसी हैं जैसी कई बातों का आपको ध्यान देना चाहिए। ताकि आपका बच्चे सही रहे।

स्पेस दें और भरोसा करें

जब बच्चा किशोरावस्था में पहुंचता है, तो उसके हार्मोंस में बदलाव होने की वजह से वो कई चीजों के बारे में सोचने-समझने के लायक होने लगता है। इसलिए हमें कोशिश करनी चाहिए कि इस दौरान बच्चों को स्पेस देना चाहिए, न की उन पर लगाम कसकर रखें। इसके अलावा आपको बच्चों पर भरोसा भी जताना चाहिए। आपका बच्चा अगर कहता है कि वो कहीं अकेले जा सकता है या ये काम खुद अकेले कर सकता है आदि। तो आपको अपने बच्चे पर विश्वास करना चाहिए, और उसे वो काम करने देना चाहिए।