यूँ तो पेरेंट्स बच्चों की हर बात पर पूरा ध्यान रखते है। वो कैसे रहता है, कहां जाता है, किस रिश्ते को कैसे निभाता है, लेकिन फिर भी कुछ महत्वपूर्ण बातें होती हैं जिन पर पेरेंट्स के एक्स्ट्रा ध्यान की जरूरत है। पेरेंट्स होने के नाते आपको इन बातो का पता रखना जरूरी हैं। क्या है वो बातें आईये हम आपको बताते हैं-
भाई बहनो में लडाईभाई बहनो में लडाई होती है पर वो एक सीमा तक होनी चाहिये अगर बच्चो की लडाई हद से ज्यादा हो रही है तो माता पिता को इस का ध्यान देना चाहिये उनको कोशिश करनी चाहिये कि भाई बहनो और दुसरो बच्चो में हमेशा प्यार बना रहे बच्चो के साथ ऐसे खेले कि उन्हें एक दुसरे के प्रति प्यार मह्सुस हो बच्चो को ऐसी कहानियां सुनाए जो उन्हें प्यार दुसरो की मदद कराने कि सीख दें।
बच्चों के इशारों को समझेंयदि बच्चा स्कूल, स्कूल बस या ट्यूशन जाने से मना करने लगे या विरोध करे।बच्चा लगातार बीमार पड़ रहा हो, या उदास दिख रहा हो, लेकिन शारीरिक लक्षण प्रकट न करे।यदि बच्चा खोया-खोया रहता हो, हमेशा बेचैन या चिंताग्रस्त दिखे, चिड़चिड़ा हो गया हो, बिना कारण लगातार रोता हो।ऐसे में माता को चाहिए कि छोटी उम्र में वह बच्चों को यौन र्दुव्यवहार के बारे में सचेत करें। बच्चों को बताएं कि यदि कोई उनके अंगों को छूता है तो वे उसका विरोध करें और वहां से भाग जाएं। इस संबंध में माता-पिता को अनिवार्य रूप से सूचित करें।
दुसरो के प्रति उनका व्यवहार
बच्चे दुसरो के साथ कैसा कर रहे है इस पर माता पिता को ध्यान देना चाहिये अगर बच्चे दुसरो के साथ ग़लत या ग़लत शब्दों का इस्तेमाल कर रहे है तो माता पिता को उनको तुरन्त रुकना चाहिये और उनको समझाना चाहिये बच्चो के ग़लत व्यवहार को हलके में नही लेना चाहिये।
बच्चो का पक्ष ना लें दुसरो के सामने बच्चो की हर बात में उनका पक्ष ना ले उनको अपने लिए ख़ुद खडा होने दे उनको अपनी बात ख़ुद दुसरो को समझाने दे।
यौन प्रताड़ना का शिकार होयदि बच्चे के साथ कोई घटना हुई हो तो उसे लेकर घर में बवाल न खड़ा करें। बच्चे पर अपना गुस्सा प्रकट न करें। इससे बच्चा बुरी तरह डर सकता है और उसका असर उसके मन मस्तिष्क पर लंबे वक्त पर रह सकता है। बच्चे को भावुक और मानसिक रूप से पूरा सहयोग करें।