जरूरी नहीं रिश्तों में हर बहस जीती जाए, जानें किस तरह सुलझाए मसला

कहते है कि अपने हार मान लेने से अगर रिश्ते की जीत हो रही हो तो कभी-कभी हार मान लेने में भी कोई बुराई नहीं है। हर रिश्ते में कभी ना कभी किसी ना किसी बात को लेकर बहस जरूर होती है। लेकिन जरूरी नहीं कि हम हर बहस जीतें। कोई बहस इतनी लंबी नहीं हो सकती कि आप चाहकर भी खत्म नहीं कर सकते। हम आपको बतायेंगें कि किसी बात को लेकर अगर आपकी आपके किसी खास से बहस हो जाए तो आप क्या करें।

गलती स्वीकार करें

बातचीत के दौरान कोइ गलत तथ्य या शब्द आपके मुंह से निकल जाए तो तुरंत अपनी गलती स्वीकार कर लें। अक्सर जब आपसे कोई गलती हो जाती है तो उसे छिपाने के लिए बहस जारी रखते हैं। ऐसे में वह विचाद खिंचता चला जाता है। ऐसे में तुरंत माफी मांग लेना कायरता नहीं बल्कि बु़िद्धमानी की निशानी है।

बहस का अंत गरिमा से कीजिए

किसी भी प्र्कार के विवाद का अंत करना बहुत ही संवेदनशील मामला है। ऐसा ना हो कि किसी भी बहस के अंत में आप संबंधों को खो दें। इस बात को ध्यान रखिए कि आपकी बहस व्यक्ति के विचारों से हो रही हैंए व्यक्ति से नहीं।

किसी अपने से दूसरों के सामने बहस करने से बचें

अगर आपके किसी अपने की आपको कोई बात पसंद नहीं आ रही है तो उससे किसी बाहर वाले के सामने बहस करने से बचें। जो भी कहना है अपने घर की चारदीवारी में या अकेले में कहें।

गड़े मुदे ना उखाडें

पुरानी बातें बीच में लाने से दूसरा पक्ष भी उत्तेजित हो जाता है और बात बढ़ती जाती है। पुराने घाव हरे हो जाते हैं और बात मूल मुद्दे से भटक जाती है। बोलने के तरीके पर ध्यान दें

कभी.कभी हम बात तो सही कहते हैंए लेकिन हमारे कहने का तरीका गलत होता है। इसलिए बहस शांत होन के बजाए बढ़ती जाती है। याद रखें शब्दों के साथ.साथ भावनाएं भी अपनी बातों में होनी चाहिए।