महिलाऐं चाहकर भी पुरुषों को नहीं बोल पाती सेक्स से जुड़े ये राज

सेक्स भारतीय समाज में काफी सेंसिटिव मुद्दा माना जाता हैं। जिसपर लोग बात करने में भी कतराते हैं। यहाँ तक कि पति-पत्नी भी सेक्स पर खुलकर बात नहीं कर पाते। सेक्स से जुड़े ऐसे कई राज हैं जो महिलाऐं चाहकर भी पुरुषों को नहीं बोल पाती, जो कि पुरुषों को जानना बहुत जरूरी हैं। क्योंकि उनकी सेक्स लाइफ दोनों पार्टनर्स के शारीरिक और मानसिक प्रबलता पर निर्भर करती हैं। तो आज हम सेक्स से जुडी उन बातों को बताने जा रहे हैं जो पुरुषों को ध्यान में रखने की आवश्यकता हैं।

* फोरप्ले की अहमियत सबसे ज्यादा

कामक्रीड़ा का असली मजा सिर्फ चरम तक पहुंचने पर ही नहीं है, बल्कि इसके हर पल का भरपूर आनंद लेना चाहिए। फोरप्ले भी इसका अहम पार्ट है, जिसका अपना मजा है। सर्वे में शामिल महिलाओं ने माना कि फोरप्ले के दौरान होने वाली उत्तेजना एकदम अलग तरह की होती है। महिलाओं ने कहा कि पुरुषों को सेक्स के मामले में थोड़ा ‘क्रिएटिव’ होना चाहिए। कुछ नया और एकदम अलग अंदाज में किया जाना महिलाओं को खूब भाता है।

* धीरे-धीरे, आराम से

सभी महिलाएं यही चाहती हैं कि उसके बेहद कोमल अंगों को शुरुआती दौर में ज्यादा तकलीफ न दी जाए। महिलाएं पुरुषों से चाहती हैं कि वे उसके सेंसिटिव अंगों के साथ संवेदनशीलता से ही पेश आएं। मतलब यह कि संभोग के दौरान वे चाहे तो जीभ व उंगलियों का इस्तेमाल करके जरूरी उत्तेजना पैदा करें, पर कष्ट देने से बाज आएं।

* सेक्स के दौरान पोजिशन का भी रखें खयाल

सेक्स संबंध बनाने के दौरान पोजिशन का भी खयाल रखना बेहद जरूरी होता है। स्त्री के निचले भाग को अगर दो-तीन तकियों के सहारे थोड़ा-सा और ऊपर उठाकर संभोग किया जाए, तो इससे संसर्ग ठीक से हो पाता है। वह स्थिति भी बेहतर होती है, जब स्त्री लेटे हुए पुरुष के ऊपर आकर संभोग करती है। इससे स्त्रियां ‘उन’ अंगों में ज्यादा उत्तेजना महसूस करती हैं।

* संवेदनशील अन्य अंगों को पहचानें

सेक्स पर शोध करने वालों ने पाया है कि केवल G-स्पॉट ही आनंद देने के लिए पर्याप्त नहीं है, बल्कि महिलाओं के शरीर में और भी ऐसे भाग हैं, जहां संवेदना ज्यादा होती है। इसमें A- स्पॉट भी शामिल है, जहां सहलाने से महिलाओं का शरीर यौन क्रिया के लिए शारीरिक रूप से तैयार हो पाता है। इस काम में उंगलियों की कारस्तानी काम आती है।

* जरूरी नहीं कि हर बार चरम तक पहुंचा ही जाए

महिला हर बार चरम तक पहुंच ही जाए, यह कोई जरूरी नहीं है। कई बार तनाव व थकान की वजह से ऐसा नहीं हो पाता। ऐसे में जबरन आधे घंटे तक ‘खेल’ जारी रखने की बजाए इसे खत्म करना बेहतर रहता है। चरम तक न ले जाने के लिए हर बार पुरुष ही जिम्मेदार नहीं होता। फिर भी अगर महिला चाहे, तो आप अपने हाथों और उंगलियों से उसे संतुष्ट कर सकते हैं। कुल मिलाकर इस क्रीड़ा का आनंद ही मायने रखता है।