अगस्त महीने का पहला रविवार 'फ्रेंडशिप डे' अर्थात 'दोस्ती का दिन' के रूप में मनाया जाता हैं। यही एक ऐसा रिश्ता हैं जिसे इंसान खुद चुनता हैं। दोस्त ही ऐसा शख्स हैं जो जिंदगी के हर मुकाम पर आपका साथ देता हैं। वैसे तो दोस्तों के साथ हर दिन फ्रेंडशिप डे ही होता है। आज हम आपको फ्रेंडशिप डे से जुडी रोचक जानकारी के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
- दोस्ती के प्रतीक के रूप में जाने वाले इस दिन की शुरुआत साल 1919 में सबसे पहले हॉलमार्क कार्ड के संस्थापक जोस हॉल ने दोस्ती मनाने का सुझाव दिया था।
- 1935 में पहली बार यूनाइटेड स्टेट्स कांग्रेस ने अगस्त के पहले रविवार को फ्रेंडशिप डे मनाने की घोषणा की थी।
- लेकिन इसे पहली बार अमेरिका में मनाया गया था।
- इस अवसर पर दोस्तों को फ्रेंडशिप बैंड, कार्ड, गिफ्ट्स दिए जाते हैं।
- आपको बतादें साल 1997 में मिल्न के कार्टून किरदार विन्नी द पूह को संयुक्त राष्ट्र ने दोस्ती का अंतराष्ट्रीय दूत चुना।
- भारत में अगस्त के पहले रविवार को फ्रेंडशिप डे मनाया जाता है, लेकिन दक्षिण अमेरिकी देशों में जुलाई महीने को काफ़ी पावन माना जाता है, इसलिए जुलाई के अंत में ही इस दिन को मनाया जाता है। बांग्लादेश और मलेशिया में डिजिटल कम्यूनिकेशंस के तहत यह दिन ज्यादा चर्चित हो गया है। यूनाइटेड नेशंस ने भी इस दिन पर अपनी मुहर लगा दी थी।
- मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी देशों में यह समय ऐसा होता है, जब दूर-दूर तक किसी पर्व-त्योहार की छुट्टी नहीं होती। साल 1958 के 30 जुलाई को औपचारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय फ्रेंडशिप डे (विश्व मैत्री दिवस) की घोषणा की गई थी।
- करीब 60 साल पहले 1958 में पहली बार फ्रेंडशिप डे को अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हुई जब दक्षिण अमेरिका के कई देश खासतौर पर परागवे में फ्रेंडशिप डे मनाया गया।
- फ्रेंडशिप डे सेलिब्रेशन के 10वें साल के मौके पर फेमस बैंड बीटल्स ने 1967 में एक गाना रिलीज किया था- With Little Help From My Friends यह गाना दुनियाभर में लोगों के बीच काफी फेमस हुआ था।
- ब्राजील, अर्जेंटीना, इक्वाडोर और उरुग्वे जैसे देशों में हर साल 20 जुलाई को फ्रेंडशिप डे मनाया जाता है।
- बॉलीवुड में दोस्ती को काफी अहम दर्जा दिया गया है। जिस पर बेहतरीन फिल्म बनाई गई है। इनमें खास है:- 'दोस्ती', आनंद, शोले ,याराना और दिल चाहता है।
- दोस्ती में कमाल की बात ये है कि इसका कोई मजहब नहीं होता। हम चाहे किसी से भी दोस्ती कर सकते हैं। बिना किसी बंधन के हम किसी को भी अपना दोस्त बना सकते हैं।