स्टडी बताती है कि जन्म के शुरुआती 5 सालों में शिशु के जीवन में घटने वाली घटनाएं न सिर्फ उस के मस्तिष्क का तत्कालीन विकास निर्धारित करती हैं, बल्कि यह भी निर्धारित करती हैं कि आने वाले जीवन में उस का मस्तिष्क कितना विकसित होगा।इन सब प्रक्रियाओ में ये तो तय है कि कि पेरेंट्स द्वारा किए गए प्रयास बच्चे के मस्तिष्क के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।पेरैंट्स का सान्निध्य ही बच्चे को ऐक्टिव और स्मारर्ट बनाता है और यह तभी संभव है जब उसे आप का भरपूर प्यार और दुलार मिले।आईये जाने शुरूआती सालो में कैसे करे बच्चो की देखभाल ताकि वे बने स्मार्ट और एक्टिव-
बच्चे को बार-बार लगाएं गलेनवजात शिशु को भी इस भरोसे की जरूरत होती है कि वह पूरी तरह से सुरक्षित हाथों में है। बोलकर नन्हे से बच्चे को आप यह जता नहीं सकतीं कि आप उससे कितना प्यार करती हैं, इसलिए इस काम को करने के लिए उसे गले लगाएं और बार-बार गले लगाएं। गले लगाने पर या गोद में लेने पर बच्चा खुद को सुरक्षित महसूस करता है।
गाने या पोयम्स सुनाएंउसे कुछ पढ़ कर सुनाएं, लोरी गा कर सुनाएं। शिशु के सामने तरहतरह के चेहरे बनाएं, उसे गुदगुदी करें, बच्चे की आंखों के आगे धीरे-धीरे कोई रंगबिरंगी वस्तु, खिलौना या झुनझुना घुमाएं, ऐसे गाने या पोयम्स सुनाएं, जिन में शब्दों का दोहराव हो। इससे बच्चो में बोलने की क्षमता का विकास होता है।
खिलोनो की मदद ले
स्टफ टौयज को हग करने में शिशु की मदद करें, छोटेछोटे प्लास्टिक के ब्लाक्स शिशु के आगे रख दें और देखें कि आप का नन्हामुन्ना किस तरह उन को गिरा कर अपने लिए रास्ता बनाता है।कोमल, खुरदरी सतह वाली विभिन्न वस्तुएं उसे स्पर्श करने को दें ताकि उन के अंतर को वह महसूस कर सके।
पर्याप्त सराहना व प्रोत्साहन दें जैसेजैसे शिशु साइकिल चलाना या अन्य कोई गतिविधि बखूबी करना शुरू कर दे, उसे पर्याप्त सराहना व प्रोत्साहन दें, अपने खिलौनों से विभिन्न प्रकार के खेल खेलने को प्रोत्साहित कर उस की कल्पनाशक्ति बढ़ाएं,
छोटीबड़ी चीज करने से रोकेंटोकें नहींबच्चे को हर छोटीबड़ी चीज करने से रोकेंटोकें नहीं, बल्कि नएनए काम स्वयं करने और अपनी जिज्ञासा स्वयं शांत करने के अवसर प्रदान करें। अपने बच्चे व उस की इच्छा को पर्याप्त सम्मान व अटेंशन दें।