शादी के बाद कॉमन है ‘खुशखबरी कब सुनाओगी’ का सवाल, इस अनोखे अंदाज में दे जवाब

अगर आपकी शादी को एक साल पूरा हो गया है तो ये सवाल आपसे कोई भी पूछ सकता है। आपकी चाची, मौसी, पड़ोस वाली आंटी या दुकान पर मिलीं कोई अजनबी आंटी। अनजान लोगों को तो आप इग्नोर कर भी सकती हैं, लेकिन परिवार वालों का क्या करें! आप भले ही बच्चा प्लान कर रही हों या ना कर रही हों, रिश्तेदार इसके बारे में कुछ ज़्यादा ही पर्सनल सवाल पूछ लेते हैं। ये बात तब और मुश्किल हो जाती है जब किसी समस्या के चलते आप मां नहीं बन पा रही हों। अगर आप ‘खुशखबरी कब सुनाओगी’, ‘गुड न्यूज़ कब दे रही हो’ जैसे सवालों से परेशान हैं तो हमारे पास है इसका इलाज। चलिए आपको बताते हैं वो तरीके जिनसे आप इस सवाल का सामना कर सकें और आपका मूड भी ना खराब हो।

सीरियस न हों

जब बार-बार बच्चे की प्लानिंग को लेकर सवाल किया जाता है तो हम काफी चिढ़ जाते हैं जिसके कारण हमारा व्यवहार गुस्से वाला हो जाता है। ऐसी स्थिति थोड़ा परेशान करने वाली है लेकिन आप चाहें तो इसे हंसकर भी टाल सकती हैं। जी हां, कई बार इन बातों से परेशान होने के बजाए आप इन्हें मजाक में लें। उदाहरण के तौर पर अगर आपके पति की बुआ या चाची कहती हैं कि खुशखबरी कब सुना रही हो? तो आप उनसे हंसकर कहें कि जब खुशखबरी होगी तो मैं सबसे पहले आपको ही बताऊंगी। इस तरह आप उनका मान भी रख लेंगी, साथ ही साथ आपकी इमेज भी खराब नहीं होगी।

मजाक में दें जवाब

बातचीत करना एक कला है। इसलिए कोई ऐसा सवाल नहीं है जो आपको उलझा सके। इसलिए अगर आपसे कोई बार-बार बेबी प्लानिंग को लेकर पूछता है तो आप उसका जबाव मजाक में दें। कोशिश करें कि आप ऐसे अंदाज में रिप्लाई करें जिससे सामने वाले को बुरा भी न लगे और उसकी बोलती भी बंद हो जाए।आप चाहे तो इस टॉपिक को ही मजाक बना सकते हैं। आप व्यंग के तौर पर सामने वाले को बता सकते हैं कि ये उनकी पर्सनल लाइफ है इसलिए बच्चे का फैसला भी वे खुद ही लेंगे। जब खुशखबरी होगी तो उन्हें दे दी जाएगी। इसके लिए बार-बार पूछने की जरूरत नहीं है।

परिवार से मिलने से पहले खुद को एक पेप-टॉक दें

जब आप अपने मायके या ससुराल जा रही हों और वहां रिश्तेदारों के साथ समय बिताना हो, खुद से कुछ बातें करें। खुद को ये याद दिलाएं कि आपकी ज़िन्दगी के बारे में फैसले लेने का हक़ पूरी तरह से आपका है। अगर आप अभी परिवार शुरू करने के लिए तैयार नहीं हैं तो ये आपका और आपके पार्टनर का फ़ैसला है। खुद को ये भी समझाएं कि अगर कोई ऐसी बात करे तो दुखी होने की बजाय उस बात को इग्नोर करें।

बातचीत का मुद्दा बदलें
जब परिवार के कई सदस्य एक साथ मिलते-जुलते हैं तो ऐसी बातों का उठना लाजमी है। ऐसे में जब भी कोई आपसे बच्चे की प्लानिंग को लेकर सवाल पूछें तो आप उनका ध्यान किसी और बात पर ले आएं। ऐसे में आप उनके सवालों से भी बच जाएंगी और उन्हें आपसे दोबारा पूछने का मौका भी नहीं मिलेगा। इतना ही नहीं, अगर बातचीत के बीच आपको लगता है कि आपके परिवार वालों को इस तरह के सवाल पूछने का मौका मिल सकता है तो बीच में से उठने का बहाना बनाएं या कुछ और करें।

पार्टनर का साथ है जरूरी

कई बार चाहकर भी गुस्से पर कंट्रोल नहीं होता। एक ही चीज को बार-बार पूछे जाने से नियंत्रण खोने लगता है। ऐसे में पार्टनर का साथ बहुत जरूरी होता है। अगर पति-पत्नी इस आपस में बात करें और मिलकर हल निकालें कि कैसे इन चीजों से बचा जाए तो आपके सिर का बोझ काफी हद तक कम हो जाएगा।आपको लगेगा कि चलो आपके साथ आपका हमसफर तो है। जिसके साथ आप अपनी परेशानी बांट सकते हैं और उसके साथ मिलकर दुनिया के सवालों को सामना कर सकते हैं। ऐसा करने से आपको दुनिया की भीड़ में अकेलापन महसूस नहीं होगा।