अपने बच्चों को जरूर सिखाएं ये 7 बातें, मिलेगी सभी से अटेंशन और सम्मान

आजकल देखा जाता हैं कि कई बच्चे तब गलत कदम उठा लेते हैं जब उन्हें कहीं से सम्मान या इज्जत नहीं मिल पाती हैं। जी हां, कई बच्चे चाहते हैं कि दुसरे उनके काम को अटेंशन देते हुए सराहना करें और वे सम्मान के हकदार बने। लेकिन इसके लिए बच्चों को खुद को इस काबिल बनाना पड़ेगा। ऐसे में उनके पेरेंट्स का महत्वपूर्ण रोल होता हैं जो अपने बच्चों को जीवन की सीख दे कि किस तरह का व्यवहार उन्हें रखना चाहिए जिसके चलते दूसरे उनकी बातों को सुने और सम्मान की नजरों से देखें। तो आइये जानते हैं उन बातों के बारे में जो पेरेंट्स को अपने बच्चों को जरूर सिखानी चाहिए।

दूसरे के सामने रखे अपने विचार

बच्चों के मन में न जानें कितने ख्याल पैदा होते हैं। हर परिस्थिति को अपने नजरिए से देखते हैं और फिर उसके लिए एक ही विचारधारा बना लेते हैं। ऐसे में माता पिता अपने बच्चों को बताएं कि यदि किसी परिस्थिति को लेकर आपके मन में कोई भी विचार आ रहा है तो उसे बिना हिचके दूसरे के सामने प्रकट करें। इससे सामने वाला व्यक्ति आप को ना समझ समझने की भूल कभी नहीं करेगा। साथ ही वह आपकी बातों का सम्मान भी करेगा।

झूठ का ना लें सहारा

कुछ बच्चे दूसरों की नजरों में आने के लिए या अपनी बात को हाइलाइट करने के लिए झूठ का सहारा ले लेते हैं। जब उस झूठ के बारे में में सामने वाले को पता चलता है तो वे उस बच्चे को झूठा समझ लेते हैं। और जब बच्चा भविष्य में कोई सही बात भी बताता है कि लोग उस बात को भी झूठ समझकर उस पर विश्वास नहीं करते। ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों को बताएं कि झूठ बोलना गलत है। खासकर खुद को दूसरों की नजरों में उठाने के लिए बोला गया झूठ एक दिन सामने आ ही जाता है। इसलिए अगर आप चाहते हैं कि लोग आपकी बात सुनें तो हमेशा सच बोलें।

कोई आपके सामने गलत करें तो आवाज़ उठाएं


अक्सर बच्चे लड़ाई, झगड़ा, मार, पिटाई आदि के कारण डर जाते हैं और खुद को इस डर भरे माहौल में कैद कर लेते हैं। ऐसे में माता-पिता बच्चे को निडर होना सिखाएं और उन्हें यह भी बताएं कि अगर आपके आसपास कुछ गलत हो रहा है तो उससे दूर ना भागें बल्कि उसके खिलाफ आवाज उठाएं। लेकिन साथ में माता-पिता यह समझाएं कि इसके लिए वह किसी बड़े की मदद ले सकते हैं। अकेले ऐसी परिस्थितियों का सामना नहीं किया जा सकता।

दूसरे लोगों का समय ना करें बर्बाद

कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो दूसरे लोगों को अपने से जुड़ीं या अपने परिवार से जुड़ीं हर बात बताना शुरू कर देते हैं। जबकि उस बात का सामने वाले से कोई मतलब ही नहीं होता है। यही कारण होता है कि इन बच्चों से लोग जल्दी बोर हो जाते हैं और इनकी बातों पर ध्यान नहीं देते। ऐसे में माता-पिता समझाएं कि ऐसा करना दूसरे लोगों का समय बर्बाद करना है। कभी भी दोस्तों से अपने घर की या अपने से जुड़ी बातों को शेयर नहीं करना चाहिए। दूसरों से केवल उन बातों को शेयर करें, जो दूसरे लोगों से संबंध रखती हैं। ऐसा करने से सामने वाला व्यक्ति बच्चे की बात को यह समझ कर ध्यान से सुनेगा कि वह उससे संबंधित ही किसी बात को बता रहे होंगे और साथ ही इससे बच्चों की बातों को महत्व भी देगा।

बच्चों को सिखाएं 'नहीं' शब्द बोलना


हम हमेशा अपने बच्चे को यही सिखाते हैं कि बड़ों की बातों को मानना चाहिए। लेकिन कभी-कभी कुछ परिस्थितियां ऐसी होती हैं, जिनमें बच्चों को नहीं शब्द का प्रयोग भी करना चाहिए। उदाहरण के तौर पर यदि कोई आपके बच्चों से अपना पर्सनल काम बार-बार करा रहा है तो ऐसी परिस्थिति में बच्चे नहीं शब्द का प्रयोग कर सकते हैं और अपने आप को उस परिस्थिति से बाहर निकाल सकते हैं। ऐसा करने से सामने वाला व्यक्ति आपसे अपना पर्सनल काम कराने के लिए नहीं कहेगा और वे बच्चों से सोच समझ कर ही बात करेगा। बच्चे का आत्मविश्वास भी बढेगा।

दूसरों की भी सुनें

कुछ बच्चों की आदत होती है कि वे हर वक्त अपनी ही बात कहे चले जाते हैं और दूसरे की बात को नजरअंदाज कर देते हैं। इसके कारण ही सामने वाला व्यक्ति बच्चे को नासमझ समझ सकता है या वह भी आपके बच्चे की बात को नजरअंदाज कर सकता है। ऐसे में सबसे पहले आप अच्छे कोई सिखाएं कि सुनना बेहद जरूरी है। एक अच्छा श्रोता बच्चों को बनाना माता-पिता की ही जिम्मेदारी है। दूसरे लोग बच्चे की बात को भी उतने ध्यान से ही सुनेंगे, जितने ध्यान से बच्चा उनकी बातों को सुनेगा।

छोटी-छोटी बातों पर ना हों गुस्सा


अकसर बच्चों की आदत होती है कि यदि उनकी मन के मुताबिक काम ना किया जाए या उनकी इच्छा को पूरा नाम किया जाए तो बच्चे जल्दी उदास हो जाते हैं या गुस्सा करने लगते हैं। इसके कारण भी दूसरे लोग जल्दी बच्चों से बोर हो सकते हैं या वह एक समय पर उन्हें मनाना ही बंद कर देंगे। ऐसे माता-पिता अपने बच्चे को समझाएं कि जरूरी नहीं हर इच्छा का पूरा होना और हर बात पर गुस्सा करना। ज्यादा गुस्सा करने से लोग बच्चे को बेवकूफ समझ सकते हैं। ऐसे में आप अपने बच्चे से कहें कि अगर किसी बात पर गुस्सा आ भी रहा है तो अपने मन में उन चीजों के बारे में सोचें या उस खाने के बारे में सोचें, जो चीज आपको पसंद हैं।