रिश्तों में आई उदासीनता को यूं करें दूर, जिंदगी को खुशगवार बनाएं

स्त्री पुरूष एक दूसरे को समझ सकते हैं, वे एक दूसरे के पूरक हो सकते हैं परंतु कभी भी एक दूसरे जैसे नहीं हो सकते। वे दोनों स्वतंत्र और स्वाधीन इन्सान हैं और अब वे बड़े हो गए हैं, अब वे पति-पत्नी के रूप में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। जब गृहस्थी रूपी नाव बीच नदी में डूबने के कगार पर हो तो उस नाव को कैसे बचाएं कि गृहस्थी फिर से चल पड़े, जानिए जरूर...

बिना किसी शर्त के प्यार करें

कहते हैं कि प्यार में कोई शर्त नहीं होती। इसका मतलब जो जैसा है, उसे उसी रूप में स्वीकार करें, प्यार करें। लेकिन यही बात समय बीतने के साथ उसी रिश्ते में दरार का कारण बनती है। प्यार, देखभाल, विश्वास और सम्मान रिश्ते की जरूरत है। कुछ रिश्तों में समय भी देना पडता है। किसी के बारे में कोई राय बनाने से पहले खुद को भी तोल लें। कई बार आप अपनी जरूरत के हिसाब से रिश्ते बनाते हैं। लेकिन रिश्ते जरूरतों से नहीं भावनाओं से बनते हैं।

विचारों का आदान-प्रदान खुलकर करें

किसी भी रिश्ते में विचारों का आदान-प्रदान व दूसरे के विचारों को सम्मान देना बेहद जरूरी है। जिन रिश्तों में संवाद की कमी होती है, उनमें अक्सर मतभेद मनभेद में बदल जाते हैं और रिश्ता धीरे-धीरे टूटने के कगार पर पहुंच जाता है।

दूसरे को सम्मान दें

कुछ महिलाओं और पुरूषों की ये सोच होती है कि यदि कोई हमसे प्यार करता है या हमारा जीवनसाथी है तो उसे हमारी हर बात माननी ही होगी। ऐसे लोग सारे निर्णय स्वयं लेना चाहते हैं। वे अपने साथी की बात या विचार को सम्मान नहीं देते हैं, इस स्थिति को भले ही कुछ समय के लिए नजरअंदाज कर दिया जाए लेकिन ये कुंठा कुछ समय बाद असहनीय हो जाती है और रिश्ता टूटने का कारण बन जाती है। खुशनुमा रिश्ते के लिए अपने साथी के साथ अपनी भावनाएं, अपने अनुभव और अपनी सोच जरूर साझा करें।