प्यार सच्चा है या नहीं, इन आसान तरीको से करे पता

नजरें मिलीं और प्यार हो गया। लेकिन ये प्यार सच्चा है, कैसे पता चलेगा? क्या यही वो साथी है जो जीवनभर आपका साथ देगा? आपकी पसंद सही है या गलत, इस पर कैसे मुहर लगेगी? स्वस्थ रिश्ता वही है जिसे चलने में संघर्ष न करना पड़े। यदि साथ निभाने के लिए कुछ ज़्यादा ही प्रयास करने पड़ रहे हों, तो कई बार अलविदा कह देना ही बेहतर है। लेकिन अगर आपके बीच कुछ जुड़ाव है, तो रिश्ते को सफल रूप से चलने के लिए सभी प्रयास करने चाहिए। यहां कुछ ऐसी ही बातें बताई जा रही हैं। हालांकि प्यार और भरोसे को मापने का कोई सटीक पैमाना नहीं है, लेकिन कुछ तरीके हैं जिसकी मदद से भरोसेमंद प्रेमी की पहचान की जा सकती है।

# अगर आप नाईट पार्टी या डिस्को की अदि हैं और आपको कोई अच्छा प्रेमी मिल गया हैं तो सबसे पहले आपकी यह बुरी आदत को दूर करेगा वह आपको इन लेट नाईट पार्टी और डिस्को मैं जाने से रुकेगा इस से आप उस पर नाराज़ न हो बल्कि अपने आप को भाग्यशाली समझो की आपको सही पार्टनर मिल गया।

# किसी भी रिश्ते का सबसे बड़ा आधार विश्वास होता है। अगर अपने साथी पर इतना विश्वास करती हैं कि उनसे अपने हर राज साझा करती हैं और आपका साथी आपके इस विश्वास को बनाए रखने की पुरजोर और ईमानदार कोशिश करता है, तो आप दोनों एक-दूजे के लिए ही बने हैं।

# अगर आपका प्रेमी हमेशा आपके साथ प्यार सेबात करता हैं और बहुत ही इज़ात से पेश आता हैं आपकी हर बात को ध्यान से सुनता हैं और फिर उस परेशानी को दूर करने मैं आपकी हेल्प करता हैं तो समझ जाना की यह आपका सच्चा हमसफ़र हैं।

# अगर उनके सामने आपको किसी भी बात की झिझक नहीं, अगर आप अपने आपको वैसे ही स्वीकार कर पाती हैं जैसी हैं, तो यकीन मानिए वही आपके मिस्टर राइट हैं। यानी आप अपने पार्टनर में इतना खो जाती हैं कि अपने होने का कोई अहसास नहीं होता, तो आप दोनों एक दूजे के लिए ही बने हैं।

# अगर आपका प्रेमी आपकी आजादी से प्रेम करता हैं तो उसे से अच्छा इंसान आपके लिए कोई नहीं हैं अगर आप दोनों के अंदर ईगो नहीं हैं आप अपने लाइफ मैं आगे बड़ाना चाहती हो कुछ करना चाहती हो और आपका प्रेमी आपका पूरा साथ देता हैं तो उस से अच्छा दोस्त आपके लिए कोई नहीं हैं।

# जिस तरह पांचों उंगलियां एक समान नहीं हो सकतीं, ठीक उसी प्रकार कोई भी दो व्यक्ति एक जैसे कभी नहीं हो सकते। इसलिए साथ रहने के लिए आपसी स्वीकृति और समझ जरूरी है। हालांकि जब आप एक सही रिश्ते में होते हैं, तो स्वीकृतियां समझौते जैसी नहीं लगतीं। अलग समाज और संस्कृति से होने के बावजूद आपको इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि आपका साथी कुछ चीजों को लेकर अलग भावनाएं रखता है। वैचारिक तौर पर अलगाव होने के बाद भी पार्टनर के विचारों पर सहमति जताने का दबाव न होना अपने आप में एक मिसाल है।