बच्चों की उम्र जैसे-जैसे बढ़ने लगती है पेरेंट्स को भी अपने व्यवहार में बदलाव लाने की जरूरत पड़ती हैं ताकि आपकी बोंडिंग उनके बनी रही और रिश्ते में ऐज गैप ना पनपने लगे। खासतौर से किशोरावस्था में बच्चों में कई बदलाव देखने को मिलते हैं जहां वे नए दोस्त बनाते हैं, उन्हें अपनी प्राइवेसी की चाह होने लगती हैं और वे खुद को सेल्फ डिपेंड समझने लगते हैं। ऐसे में माता-पिता को अपने किशोर बच्चों से कैसा व्यवहार करना चाहिए यह जानना बहुत जरूरी हैं अन्यथा यह समय आपके बच्चों को आपसे भावनात्मक रूप से दूर कर सकता है। इसलिए आज हम आपको कुछ तरीके बताने जा रहे हैं जिनका ध्यान रख आप अपने बच्चों के साथ अच्छे रिश्ते बनाते हुए उन्हें अनुशासित कर पाएंगे। तो आइये जानते हैं इनके बारे में...
क्या हैं पैरेंट्स के सामने चुनौतियां
पैरेंट्स के लिए वो वक्त सबसे ज्यादा संवेदनशील होता है जब उन्हें अपने और अपने बच्चे की सोच के बीच संतुलन बनाना हो। यही समय होता है, जब बच्चे को सही मार्गदर्शन की जरूरत होती है। अधिकांश बच्चे अपनी लाइफ में स्वतंत्र रहना चाहते हैं। वो आपसे अपनी बात को लेकर आपसे बहस कर सकते हैं। आपको खुद को इसके लिए तैयार रखना चाहिए। हालांकि ये आम बात है। बच्चे आपको उनके हिसाब से जीने पर भी जोर दे सकते हैं। उनका मूड कई बार बदल सकता है। वो आपसे बार-बार शिकायत कर सकते हैं। बच्चे अपनी किशोरावस्था में अक्सर झूठ बोल सकते हैं। वो सारे नियमी तोड़ सकते हैं। आपको इस वक्त अपना संयम बनाकर रखना होगा।
क्या करना सही
आपका बच्चा अपनी किशोरावस्था में कदम रख रहा है तो आपको एक ओवरप्रोटेक्टिव पैरेंट्स की तरह बर्ताव रखना होगा। जिससे आप सारी चुनौतियों से निपट सकें। आपका बच्चा सही फैसला लेना सीखेगा। क्योंकि इस उम्र में बच्चों को सही सपोर्ट की जरूरत होती है। आपका बच्चा कैसा व्यवहार कर रहा है इससे सम्बंधित समस्याओं को रोकने के लिए कुछ रणनीति बना सकते हैं।
अपनी अपेक्षाएं साफ़ रखें
आप जब भी अपने बच्चों से अपेक्षाएं रखते हैं तो यही उम्मीद रखते हैं, कि वो आपकी सभी अपेक्षाओं पर खरा उतरेगा। आप अपने बच्चों से स्पष्ट कर दें कि आपको उनसे क्या उम्मीदें हैं। आप उनसे ये उम्मीद रखते हैं कि वो अच्छा प्रदर्शन करेंगे।
सख्त नियम बनाएं
बच्चों के दिल में आपके प्रति इस बात का डर होना जरूरी है कि वो आपके बनाए हुए नियमों को तोड़ेंगे तो उन्हें सख्त सजा मिलेगी। आप भी इस बात का ख्याल रखें कि आपकी बनाई हुई सख्ती के प्रति आप भी सचेत रहें। बच्चों को उनके विशेषाधिकार का इस्तेमाल तभी करने दें जब वो आपकी बनाई हुई रूपरेखा में खरे उतरे।
ज्यादा शक्ति ना बरतें
आपका बच्चा अक्सर आपसे किसी भी काम को तुरंत करने की बात को बाद में करने पर टाल सकता है। आप उसे किसी भी काम को करने के लिए प्रलोभन ना करें। आप सख्त जरुर रहें लेकिन हर बात में सख्ती बच्चों के मन में कहीं न कहीं बगावत की भावना जन्म को जन्म देने लगती है।
समय बिताना जरूरी
पैरेंट्स और बच्चों के बीच का रिश्ता एक मजबूत नींव पर टीका होता है। आप अपने बच्चों के किशोरावस्था के समय उसके साथ पूरा समय बिताएं। उनके साथ खेलें और हैप्पी टाइम स्पेंड करें। आप उसके लिए एक रोल मॉडल बने। ताकि आपका बच्चा आपसे आगे चलकर कुछ भी ना छिपाए और एक दोस्त की तरह बर्ताव करे।