आजकल देखा जाता हैं कि बच्चे अपना पूरा समय अकेले बैठे मोबाइल या टीवी में बिताना पसंद करते हैं। पहले के समय में बच्चों का अधिकतर समय बाहर आउटडोर खेल खेलने में जाता था। लेकिन आजकल बच्चे अकेले रहने लगे है जिसकी वजह से बच्चों का मानसिक विकास रूकने लगता हैं। इसलिए आज हम आपके लिए टिप्स लेकर आए हैं कि किस तरह अपने बच्चों के सोशल स्किल को विकसित किया जाए और उन्हें अकेले रहने से बचाया जाए। तो आइये जानते हैं इन टिप्स के बारे में।
बच्चे को लोगों से मिलवाएं
हर रविवार कोशिश करें कि बच्चा किसी नए रिश्तेदार या पड़ोसी से मिले। पार्टी इत्यादि में छोटा बच्चा एक साथ बहुत से नए लोगों को देख कर घबरा जाता है। यदि आप अपने खास लोगों और उनके बच्चों से उसे समय-समय मिलवाती रहेंगी तो बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होगा, इन रिश्तों में अधिक से अधिक घुल-मिल कर रहाना सिख जाएगा।
दूसरे बच्चों के साथ खेलने दें
अपने बच्चे की अपने आस-पास या स्कूल से दूसरे बच्चों के साथ घुलने-मिलने में मदद करें ताकि वह सहयोग के साथ-साथ सांझेदारी की शक्ति को भी समझ सके। जब बच्चे खेलते हैं तो एक-दूसरे से बात करते हैं, आपस में घुलते-मिलते हैं। इससे सहयोग की भावना और आत्मीयता बढ़ती है। उनका दृष्टिकोण विकसित होता है और वे दूसरों की समस्याओं को समझते हैं।
परवरिश में बदलाव लाएं
बच्चों की हर जरूरत के समय उनके लिए मानसिक और शारीरिक रूम से उपलब्ध रहें परंतु उन्हें थोड़ा पर्सनल स्पेस भी दें। हमेशा उनके साथ साए की तरह ना रहें क्यों कि बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते हैं वैसे-वैसे उनके व्यवहार में बदलाव आता है। आप 3 साल के और 13 साल के बच्चों के साथ एक समान व्यवहार नहीं कर सकतें। जैसे-जैसे बच्चों के व्यवहार में बदलाव आने लगे, उसके अनुरूप उनके साथ अपने संबंधों में बदलाव लाएं।
बच्चों से बातें करें
जब आपका बच्चा काफी छोटा हो, तब से ही उसे उसके नाम से बुलाना शुरू करें। उससे बातें करते रहें। उसके आस-पास की हर चीज के बारे में उसे बताती रहें। जब वह किसी खिलौने से खेल रहा हो तो खिलौने का नाम पूछें, खिलौना किस रंग का है, उसकी क्या खूबी है जैसी बातें पूछती रहें। उसे नए-नए ढंग से खेलना सिखाएं। इससे बच्चा एकांत में खेलने की आदत से बाहर निकल पाएगा।
गैजेट्स के साथ कम समय बिताने दें
गैजेट्स अधिक इस्तेमाल करने से बच्चों का अपने परिवार से संपर्क कट जाता है। मस्तिष्क में तनाव का स्तर बढ़ने लगता है, जिससे व्यवहार थोड़ा आक्रामक हो जाता है। इससे सामाजिक,भावनात्मक और ध्यान केंद्रित करने की समस्या पैदा हो जाती है। स्क्रीन को लगातार देखने से इंटर्नल क्लॉक गड़बड़ा जाता है। बच्चों को गैजेट्स का इस्तेमाल कम करने दें क्योंकि इनके साथ अधिक समय बिताने से उन्हें खुद से जुड़ने और दूसरों से संबंध बनाने में समस्या पैदा हो सकती है। बच्चों को दिन में सिर्फ 2 घंटे ही टीवी देखने दें।