वर्तमान समय की जीवनशैली कुछ इस तरह की हो चुकी हैं कि अधिकतर लोग अपने काम के चलते बच्चों को समय नहीं दे पा रहे हैं। यह दिक्कत वहां ज्यादा महसूस हो रही हैं जहां माता-पिता दोनों ही काम करते हो। देखा जा रहा हैं कि बच्चे अपने पेरेंट्स से दूर होते जा रहे हैं और खुद को अकेला महसूस करने लगे हैं। बच्चों के साथ मां-बाप का रिश्ता मजबूत हो तो बच्चे बड़े होकर समझदार और कुशल व्यवहार करने वाले बनते हैं। अगर आपके पास समय की कमी है, लेकिन फिर भी आप अपने बच्चे के साथ अपने रिश्ते को मजबूत बनाए रखना चाहते हैं तो आज इस कड़ी में हम आपको कुछ जरूर बातों की जानकारी देने जा रहे हैं जिनका ध्यान रख आपके और बच्चे के बीच की बॉन्डिंग और ज्यादा स्ट्रांग हो जाएगी। तो आइये जानते हैं इसके बारे में..
बच्चे को अपमानित न करें
कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका बच्चा आपसे छोटा है या बड़ा। यदि आप सोचते हैं कि आपको उसे डांटने या कुछ भी बोलने का पूरा हक है, तो आप कुछ हद तक सही भी हैं और नहीं भी। ऐसा इसलिए क्योंकि भले ही आपकी जिम्मेदारी है कि आपका बच्चा सही राह पा आए, लेकिन चार लोगों के सामने उसे डांटना या अपमानित करना इसका हल नहीं है। आपको समझना होगा कि हर व्यक्ति की सेल्फ-रिस्पेक्ट होती है, जिसे कि यदि ठेस पहुंचे, तो वह आक्रामक हो जाता है। अगर आप अपने बच्चे के साथ अच्छे से पेश आते हैं, उसे समझदारी से चीजें समझाते हैं, तो इससे आपका बॉन्ड मजबूत होगा।
दूसरे बच्चों के साथ तुलना न करें
एक हाथ की सभी उंगलियां बराबर नहीं होती हैं। उसी तरह हर बच्चा दूसरे बच्चे से अलग ही होता है। ज़रूरी नहीं है कि आपका बच्चा एक्स्ट्राऑर्डिनरी हो ऐसा भी हो सकता है कि वो पढ़ाई में सामान्य हो लेकिन खेलकूद और अन्य एक्टिविटीज़ में नंबर वन हो। ऐसे में अपने बच्चे की अन्य बच्चों से तुलना करने की बजाय उसके हुनर को पहचानने की कोशिश करनी चाहिए और निरंतर उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा देनी चाहिए।
वो जैसे हैं, उनसे वैसे ही प्यार करें
हर किशोर चाहता है कि उसे प्यार और केयर मिले। इसलिए यदि आप अपने बच्चे के साथ अपने बॉन्ड को मजबूत करना चाहते हैं, तो आप उन्हें समझने की कोशिश करें और उन्हें प्यार करें। ऐसा इसलिए क्योंकि अक्सर मां-बाप को लगता है, वह बच्चे के अभिभावक हैं, तो वह हमेशा सही हैं और उन्हें ही बोलने का हक है। इसलिए आप बच्चों को चुपचाप सुनें, समझें और फिर अपनी राय दें।
नकारात्मक शब्दों का प्रयोग न करें
ऐसा माना जाता है कि बच्चों का मन बहुत कोमल होता है। नकारात्मक शब्दों का प्रयोग बच्चों के कोमल मन को झकझोर कर रख देता है और बच्चे हीन भावना से ग्रसित हो जाते हैं। तुमसे कुछ नहीं होगा, तुम जो भी करते हो ग़लत ही करते हो, खुद पर थोड़ी शर्म करो जैसे नकारात्मक शब्दों का प्रयोग बच्चों से नहीं करना चाहिए इससे बच्चे मानसिक रूप से टूट जाते हैं और अपने आपको बेकार समझने लगते हैं।
बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करें
आजकल की भागदौड़ की जीवनशैली में सामान्यतौर पर माता-पिता दोनों ही वर्किंग होते हैं ऐसे में बच्चों को पूरा टाइम दे पाना मुश्किल हो जाता है जिसकी वजह से वो अपने आपको इग्नोर फील करने लगते हैं। ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि वो बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश करें जैसे वीकेंड में बच्चों की मनपसंद जगह पर घूमने जाएं। खाने में या कपड़ों में बच्चों की पसंद नापसंद का भी ध्यान रखें।
एकसाथ खाना खाएं
रिसर्च की भी मानें तो बच्चों के साथ खाना खाने से बच्चों की सेहत, खानपान की आदतें, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य, व्यवहार में सुधार और पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन करने में बहुत मदद मिलती है। अगर आपको रोज रात को बच्चें के साथ खाना खाने का समय नहीं मिलता है तो जब भी समय निकले तभी डिनर प्लान कर लें। वीकएंड पर भी ऐसा कर सकते हैं और जरूरी नहीं कि डिनर ही किया जाए, आप नाश्ता या स्नैक भी साथ खा सकते हैं।
रोज लुटाएं प्यार
प्यार एक ऐसी दवा है जो हर मर्ज को ठीक कर सकती है और रिश्ते काे मजबूत करने की शक्ति रखता है। बच्चों को रोज किसी न किसी तरह से बताएं कि आप उन्हें कितना प्यार करते हैं। बच्चों के लंच बॉक्स में एक प्यारा-सा नोट लिखकर दें। अपने बच्चों को रोज इस बात का एहसास करवाएं कि वो आपके लिए कितने जरूरी हैं। कडलिंग यानी दुलार करना और गले लगाना बच्चों के साथ अपने रिश्ते को मजबूत करने का सबसे बेहतर और शानदार तरीका है। वहीं, रिसर्च का कहना है कि इससे आपके बीमार पड़ने का खतरा भी कम हो जाता है। अपने बच्चे को गले लगाकर बताएं कि आप उसे कितना प्यार करते हैं।
ज्यादा से ज्यादा कम्युनिकेशन होना चाहिए
कोशिश करनी चाहिए की बच्चों और माता -पिता के बीच किसी तरह का कम्युनिकेशन गैप न हो। बच्चों के साथ बैठकर ज्यादा से ज्यादा बातें करें और उनसे दिनभर की गतिविधियों के बारे में पूछें। खासतौर पर किशोरावस्था की तरफ बढ़ते हुए बच्चों से ज्यादा से ज्यादा बातें करें और उनकी जिज्ञासा को जानने का प्रयास करें। किशोरावस्था ऐसी अवस्था है जिसमे हार्मोन्स में परिवर्तन होता है और मन में बहुत सारे सवाल होते हैं जिनके जवाब बच्चा बाहर ढूंढ़ता है और कई बार ग़लत रास्ते पर चला जाता है। माता -पिता को चाहिए कि बच्चों का सबसे करीबी दोस्त बनकर उनकी सभी समस्याओं का समाधान करें। बच्चों के साथ ऐसी बॉन्डिंग बना के रखें कि वो हर एक बात आपसे शेयर करे।
दिन के बारे में पूछें
रात को सोने से पहले का समय भी बच्चों के साथ बिताने के लिए बहुत अच्छा होता है। उनसे पूछें कि उनका दिन कैसा गया है और दिनभर में उनके साथ सबसे अच्छा क्या हुआ। इससे आपको उनकी परेशानियों के बारे में पता चलेगा और उन्हें सुलझाने में आप उनकी मदद भी कर सकते हैं। इस तरीके से बच्चे को भी ये एहसास होगा कि उनकी आपके जीवन में बहुत अहमियत है।