Halloween 2025: भारत में क्यों बढ़ रही है हैलोवीन की दीवानगी — जानिए इसका इतिहास, अर्थ और आधुनिक महत्व

हर साल 31 अक्टूबर को मनाया जाने वाला हैलोवीन (Halloween) अब केवल पश्चिमी देशों तक सीमित नहीं रहा है। भारत में भी इसका क्रेज हर साल तेजी से बढ़ता जा रहा है। डर, रहस्य और रचनात्मकता के इस अनोखे संगम का इतिहास लगभग दो हजार साल पुरानी परंपराओं से जुड़ा है। आइए जानते हैं कि आखिर यह त्योहार कैसे शुरू हुआ, इसका क्या अर्थ है और भारत में यह क्यों लोकप्रिय हो रहा है।

हैलोवीन का इतिहास: ‘Samhain’ से शुरू हुई परंपरा

हैलोवीन की जड़ें यूरोप के प्राचीन Celtic (सेल्टिक) समाज में पाई जाती हैं। उस समय अक्टूबर के आखिरी दिन को ‘Samhain’ (सॉविन) कहा जाता था, जो फसल के अंत और सर्दियों की शुरुआत का प्रतीक था। सेल्टिक लोग मानते थे कि इस रात जीवित और मृत आत्माओं के बीच की दीवार बहुत पतली हो जाती है और मृत आत्माएं पृथ्वी पर लौट आती हैं। इन्हीं आत्माओं से बचने और उन्हें शांत करने के लिए लोग अलाव जलाते, मुखौटे पहनते और अपने घरों के बाहर भोजन रखते थे। यह परंपरा धीरे-धीरे विकसित होती गई और ईसाई धर्म के आगमन के बाद इसे एक नया रूप मिला। जब चर्च ने 1 नवंबर को All Saints’ Day (संतों का दिवस) घोषित किया, तो उससे एक दिन पहले की रात को ‘All Hallows’ Eve’ कहा जाने लगा, जो समय के साथ ‘Halloween’ बन गया। इस तरह डर और आत्माओं से जुड़ा यह दिन अब उत्सव, कल्पनाशीलता और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का प्रतीक बन गया।

हैलोवीन का अर्थ और आधुनिक रूप

पहले हैलोवीन जीवन और मृत्यु के बीच संतुलन को समझने का तरीका था, जबकि आज यह डर को मज़े और कला में बदलने का दिन बन चुका है। लोग इस दिन कॉस्ट्यूम पहनकर, मेकअप और डेकोरेशन के जरिए अपने अलग-अलग रूप दिखाते हैं — कोई डरावना, कोई मज़ेदार, तो कोई पूरी तरह फैंटेसी से भरा हुआ। आधुनिक दौर में हैलोवीन आत्म-अभिव्यक्ति और रचनात्मक स्वतंत्रता का त्योहार बन गया है। यह हमें यह याद दिलाता है कि डर को भी कला में बदला जा सकता है।

भारत में हैलोवीन की बढ़ती लोकप्रियता

भारत में भले ही यह परंपरागत त्योहार न हो, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में युवाओं और शहरी इलाकों में इसका प्रभाव तेजी से बढ़ा है। हॉलीवुड फिल्मों, वेब सीरीज़ और सोशल मीडिया ने भारतीय युवाओं को Halloween Culture से जोड़ा है। अब मेट्रो शहरों में कॉलेज, कॉर्पोरेट ऑफिस और कैफे Halloween Parties का आयोजन करते हैं। लोग Spooky Makeup, Pumpkin Decor, Trick-or-Treat Games, और Costume Contests का हिस्सा बनते हैं। यह दिन अब सिर्फ डर का नहीं, बल्कि फैशन, मस्ती और डिजिटल एक्सप्रेशन का त्योहार बन गया है।

ब्रांड्स और मार्केटिंग में Halloween का असर


बड़ी कंपनियां और ब्रांड्स भी अब इस ग्लोबल ट्रेंड का फायदा उठा रहे हैं। फूड ब्रांड्स Pumpkin-flavored Items लॉन्च करते हैं, फैशन ब्रांड्स Dark Glam Looks पेश करते हैं, और टेक कंपनियां Halloween स्पेशल AR या Ghost Filters जारी करती हैं। इस तरह यह त्योहार अब कल्चर और कॉमर्स दोनों का हिस्सा बन गया है।

Gen-Z और सोशल मीडिया: डिजिटल डर की नई परिभाषा

Gen-Z पीढ़ी के लिए हैलोवीन अब एक सोशल मीडिया इवेंट बन चुका है। Instagram, Snapchat और TikTok पर #SpookySeason, #31OctVibes और #GhostFilter जैसे हैशटैग ट्रेंड करते हैं। कॉस्ट्यूम्स अब केवल हॉरर नहीं बल्कि पॉप-कल्चर से प्रेरित होते हैं — जैसे Wednesday Addams, Barbie, Taylor Swift Era, या Bollywood Horror Icons। Gen-Z के लिए यह दिन एक कंटेंट क्रिएशन फेस्टिवल है — रील बनाना, फोटो डंप करना या मीम शेयर करना — यही है आज के दौर का हैलोवीन स्टाइल।