बच्चों को सिखाएं बड़ों और दूसरों का सम्मान करना, इस तरह बनेंगे वे संस्कारी

हर कोई चाहता हैं कि उनके बच्चे एक नेक इंसान बने जो दूसरों और अपने से बड़ों का सम्मान करें। इसके लिए ज़रूरी हैं कि बच्चों को बचपन से ही उचित सीख दी जाए। देखा जाता हैं कि कई बच्चे कम उम्र में काफी गुस्सैल और चिडचिडे स्वभाव के होते हैं जो किसी से भी सही ढंग से बात नहीं करते हैं। ऐसे बच्चों को सही वक़्त रहते समझाया नहीं गया तो वे अपने से बड़ों और दूसरों का सम्मान नहीं करना सीखेंगे जो कि अच्छी बात नहीं हैं। अगर बच्चों का स्वभाव शांत, संस्कारी व बड़ों का सम्मान करने वाला नहीं होगा तो उन्हें जिंदगी में कई परेशानियां आ सकती है। आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह से बच्चों में यह आदत विकसित की जाए कि वे अपने से छोटे हो या बड़े सभी का सम्मान करें।

अपने आप से करें शुरुआत

अक्सर देखा जाता है कि बच्चे उन्हीं परिवारों के बिगड़ते हैं, जिनके अपने घर का माहौल अच्छा नहीं होता है। अगर आप घर के बुजुर्गों के लिए बच्चों के सामने गलत बातें, अपशब्द का प्रयोग करेंगे या पड़ोसियों के लिए गलत शब्दों का प्रयोग करेंगे, तो वे आपसे ही सीखकर उनसे नफरत करने लगेंगे। इसलिए अगर आप अपने बच्चों को संस्कारी बनाना चाहते हैं, तो इसकी शुरुआत आपको अपने आप से करनी चाहिए। ध्यान दीजिए, छोटे बच्चों के लिए कोई भी रिश्ता आपसे ही है। जिस व्यक्ति का सम्मान आप करेंगे, उन्हें वो अपना दोस्त समझेंगे और जिसका अपमान आप करेंगे, उन्हें वो अपना दुश्मन समझेंगे।

बच्चों को सिखाएं सामान्य अभिवादन


बच्चों को शुरुआती दिनों से ही सामान्य अभिवादन के शब्द और तरीके बताएं, जिससे कि वो सामने वाले को सही प्रतिक्रिया दे सकें। किसी की मदद के लिए कृपया या प्लीज बोलना, मदद के बाद शुक्रिया या थैंक यू बोलना, ध्यान चाहने के लिए श्रीमान या एक्सक्यूज मी बोलना आदि सिखाएं। इससे बच्चों के स्वभाव में सरलता आती है और उन्हें दूसरों के प्रयासों का सम्मान करना आ जाता है।

सच बोलना सिखाएं

बच्चे को निडर होकर अपनी गलती मानना सिखाएं ताकि वह कोई गलती हो जाने पर आपसे झूठ ना बाले। इस तरह बच्चा बहाने बनाने और अपनी गलती किसी और पर थोपने जैसी आदतों से बच पाएगा। बच्चे को समझाएं कि किसी और पर आरोप लगाने या उसकी गलती दिखाने से बच्चा उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। इससे उनके बारे में लोग गलत धारणा बना सकते हैं और उनके प्रति सम्मान भी कम हो सकता है। इसीलिए, बच्चे को अपने साथ-साथ दूसरों के बारे में भी सोचना जरूरी है।

बच्चों को सिखाएं दूसरों की मदद करना

दूसरों का सम्मान करना सिखाते समय बच्चे को उनकी मदद करने के बारे में भी जरूर समझाएं। बच्चों को बताएं कि अगर वे लोगों के साथ सम्मानपूर्ण लहजे में बात नहीं करेंगे तो इससे उन्हें बुरा लग सकता है या उन्हें तकलीफ पहुंच सकती है। जबकि, किसी की मदद करने या उन्हें रिस्पेक्ट देने से उस व्यक्ति को खुशी तो मिलेगी ही साथ ही बच्चे को भी बेहतर महसूस होगा।

ऐसे सिखाएं बड़ों का सम्मान करना

बच्चों को शुरुआत से ही इस बात के लिए तैयार करना चाहिए कि वे घर-परिवार और आस-पड़ोस के बड़े लोगों का सम्मान करें। इसके लिए बच्चों को रिश्तों का महत्व समझाएं। उन्हें बताएं कि दादी-दादी, अंकल-आंटी जैसे सभी रिश्तेदार उनके जन्म के पहले से ही परिवार के साथ जुड़े रहे हैं और समय पड़ने पर सभी एक-दूसरे की मदद करते हैं। इसके अलावा बच्चों को बताएं कि बहुत सारी गलत-सही बातों का अनुभव जितना बड़ी उम्र में आता है, उतना कम उम्र में नहीं आ पाता है।

किसी अन्य के सामने डांटें नहीं

अगर बच्चा घर में आए मेहमान के सामने तीखे स्वर में बोलता है या किसी पार्टी फंक्शन में किसी उम्र में बड़े व्यक्ति से गलत तरीके से बोलता है, तो आपको उसी समय उसे टोकना चाहिए। मगर डांटना नहीं चाहिए। सबके सामने डांटने से बच्चे में विरोधी स्वभाव पैदा होता है, जिससे वो गुस्से में कुछ और बोलकर आपको शर्मिंदा कर सकता है। इसलिए ऐसी स्थिति में आपको उसे प्यार से समझाना चाहिए और बाद में घर लौटने पर समझाना चाहिए।

दूसरों की तारीफ करना सिखाएं

बच्चों को जब किसी बात के लिए शाबाशी दी जाए या उनका हौसला बढ़ाया जाए तो उन्हें बहुत खुशी मिलती है। लेकिन, खुद की तारीफ करवाने के साथ-साथ बच्चों को दूसरों की अच्छी बातों पर गौर करने और उनकी तारीफ करना भी सिखाएं। दूसरों के अच्छे कामों की सराहना करने से बच्चों के विनम्र स्वभाव के बारे में लोगों को पता चलेगा और वे खुद भी लोगों से सम्मान पा सकेंगे।

बच्चों के अच्छे काम की प्रशंसा करें

माता-पिता को हमेशा सिर्फ डांटने के लिए ही आगे नहीं रहना चाहिए। अगर बच्चे कुछ अच्छा करते हैं, तो आपको उनकी प्रशंसा भी करनी चाहिए। प्रशंसा से बच्चों का मनोबल बढ़ता है और वो आगे और अच्छा करने के लिए प्रेरित होते हैं। शुरुआत से ही ऐसी आदतें अपनाने से बच्चे धीरे-धीरे अच्छा करने के प्रयास को अपनी जीवनशैली में उतार लेते हैं। इसलिए हमेशा बच्चों की प्रशंसा जरूर करें।