क्या आपका बच्चा नहीं करता है दूसरों का सम्मान, दें इन बातों पर ध्यान

माता-पिता बनना किसी भी कपल के लिए सबसे खूबसूरत पल होता हैं। यह खुशी जितनी अधिक होती हैं, उतनी ही अपने साथ जिम्मेदारियां भी लेकर आती हैं। बच्चों की परवरिश करना कोई हलवा खाना नहीं होता हैं। आपको अपने बच्चों को दैनिक सीख के साथ ही नैतिक शिक्षा भी देनी पड़ती हैं। कई मौके आते हैं जब आप खुद को एक पैरेंट्स के तौर पर बुरी तरह असफल महसूस करते हैं। ऐसा तब भी होता हैं जब बच्चा लोगों के साथ मिसबिहेव करने लगे और अपने सामने किसी को कुछ भी ना समझें। बच्चों का यह व्यवहार उनके भविष्य के लिए भी घातक साबित होता हैं। ऐसे में पेरेंट्स की जिम्मेदारी हैं कि सही तरीके से समझाइश करते हुए बच्चों के व्यवहार में बदलाव लाया जाए। हम आपको यहां बताने जा रहे हैं कि ऐसी स्थिति में आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

बड़े होने के साथ बच्चे चाहते हैं आजादी

बच्चे अगर मम्मी-पापा की बात को इग्नोर करते हैं तो यह चीज बिल्कुल नॉर्मल हो सकती है। बड़े होने के साथ बच्चों में स्वतंत्र तरीके से रहने की भावना जोर पकड़ने लगती है। ऐसे में यह समझने की जरूरत है कि बच्चा अपनी इंडिपेंडेंस जाहिर करने की कोशिश कर रहा है या फिर उसने वाकई पेरेंट्स से गलत व्यवहार किया है। बहुत सामान्य सी चीजों पर अगर बच्चे कभी-कभार गुस्सा करें तो उसे इग्नोर कर देना चाहिए।

घर का वातावरण

घर के वातावरण का बच्चों के व्यवहार पर बहुत असर पड़ता है। अगर आए दिन घर में परिवार के सदस्यों या फिर माता-पिता के बीच लड़ाई झगड़े होते हैं, तो यह बच्चों के लिए हानिकारक है। इन भ्रमित करने वाली परिस्थितयों के कारण कहीं न कहीं हो सकता है कि वह आपके साथ सम्मान के साथ पेश न आए।

ना करें दूसरों की बुराई

कई बार महिलाएं ऑफिस के लोगों या घर के किसी सदस्य के व्यवहार से आहत होकर उनके बारे में नेगेटिव चीजें बोल देती हैं। इस तरह के बहुत से मौके आते हैं, जिनमें स्वाभाविक तौर पर गुस्सा आता है, लेकिन आप बच्चों को समझा सकती हैं कि कैसे खुद को संयमित रखा जाए। दूसरों की आलोचना करने पर बच्चे भी वही चीजें सीख लेते हैं और वे आपके सामने आपकी आलोचना कर सकते हैं। अगर आप संयमित व्यवहार करती हैं तो आप पाएंगी कि बच्चे भी इससे सीख लेंगे। अपनी तरफ से बच्चों को हमेशा सम्मान दें और यह जाहिर करें कि किसी भी व्यक्ति से उचित तरीके से कैसे व्यवहार किया जाना चाहिए।
दोस्त नहीं पेरेंट बने

बच्चे का दोस्त बनना अच्छी बात है लेकिन आपको इस रिश्ते की लिमिट भी रखनी चाहिए। आप अपने बच्चे की रिस्पेक्ट करें और उसे भी अपनी रिस्पेक्ट करने के लिए कहें। यदि आपका बच्चा आपसे बात करते हुए कड़वे शब्द इस्तेमाल करता है, तो उसे तमीज सिखाना और सही और गलत के बीच फर्क समझाना आपकी जिम्मेदारी है। इसके अलावा बच्चों को अपने से बड़ों की इज्जत करना और तमीज से बात करना भी सिखाएं। बच्चों से बदतमीजी से बात करना सही नहीं है।

हर वक्त बच्चे की तरफदारी सही नहीं

कई बार किसी चीज की वजह से अगर बच्चों को परेशानी होती है तो अक्सर वे अपने पेरेंट्स से उसकी शिकायत कर देते हैं। इस तरह का की समस्या सामने आने पर मम्मी-पापा अक्सर अपने बच्चों की साइड लेते हैं और उन चीजों पर गुस्सा जाहिर करने लगते हैं। इस बात पर ध्यान दें कि कि बच्चे ने किस सिचुएशन में किस तरह से बिहेव किया। अगर बच्चे ने गलती की हो तो उनका पक्ष लेना सही नहीं है। इससे आप अनजाने में बच्चों को यह सीख दे रही होती हैं कि अगर कोई व्यक्ति उनकी बातों को नहीं माने या उनके अनुसार व्यवहार नहीं करे तो वह बुरा है। बच्चों को यह बताएं कि बहुत सी चीजें हमारे मन की नहीं होतीं, लेकिन उन्हें स्वीकार करना चाहिए। इससे बच्चे सीख लेते हैं कि मुश्किल स्थितियां आएं तो उनसे कैसे डील करना चाहिए।

कभी भी उनकी तुलना ना करें

यह एक जुर्म है कि आप अपने बच्चे की तुलना किसी और से करती हैं। चाहे वे आपके बच्चे के दोस्त हों, भाई-बहन हों या फिर कोई और। आपको यह समझना चाहिए कि हर बच्चा अपने आप में खास होता है। हर बच्चे के अलग सपने और सोच हो सकती है और यह पैरेंट्स का काम है कि वे उनकी भावनाओं और सपनों का सम्मान करें। अगर आप अपने बच्चे को किसी से कमतर बताते हैं तो वह धीरे-धीरे हीनभावना का शिकार हो सकता है और उसका आत्मविश्वास कमजोर होने लगता है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि आप अपने बच्चे को उसी रूप में स्वीकार करें जैसे वो हैं। वे अपनी जिंदगी में जो बनना चाहते हैं, उन्हें बनने दें। उन्हें जिस चीज में दिलचस्पी है, उन्हें करने दें।

बच्चों के अच्छे व्यवहार की सराहना करें

बच्चे की छोटी-छोटी खूबियों पर जब आप उसकी सराहना करती हैं तो उसे अपने व्यवहार को अच्छा बनाए रखने के लिए प्रेरणा मिलती है। बड़ों की तरह ही बच्चे भी धीरे-धीरे अपनी गलतियों से सीखते हैं। अगर आप बच्चों के संयमित व्यवहार के लिए उनकी सराहना करेंगी तो वे आगे भी अपनी कोशिशें जारी रखेंगे।

उन्हें समझाने के लिए स्वाभाविक नतीजे बताएं


आप चाहे कितना भी डांट लें और धमकी दें उन्हें कभी भी अपनी गलती समझ नहीं आएगी। सबसे अच्छा तरीका है कि उन्हें समझाने के लिए व्यावहारिक नतीजे देखने दें। उदाहरण के तौर पर- आपने अपने बच्चे को कमरा साफ रखने की हिदायत देती है तो छोड़ दें। जब उसकी चीजें खोने लगेंगी तो उसे खुद ही यह बात समझ आएगी। इसमें वक्त तो ज्यादा लगेगा लेकिन तरीका कारगर जरूर है।