पेरेंट्स होने के नाते आप चाहते हैं कि आपका बच्चा सबके साथ अच्छा व्यवहार करना सीखे और समाज में जीने का सलीका भी सीखें। बच्चों को शुरूआत से ही अगर अनुशासन से रहना सीखाया जाए ता आगे चलकर वे जिम्मेदार और अच्छे इंसान बन पाते हैं। यही सोच कर आप अपने बच्चों को अनुशासन सीखाते हैं। लेकिन अनुशासन सिखाना कब सजा देना बन जाता है आपको भी पता नहीं चलता और इसका आपके बच्चों पर बुरा असर पड़ता है, आइए जानें बच्चों को अनुशासन के नाम पर सजा देने से बच्चों पर क्या असर होता है-
बच्चे बन जाते हैं ढीठ
यदि बच्चा कोई गलती करता है तो आप सजा के तौर पर घर के बाहर खड़ा कर देते हैं या किसी अंधेरे कमरे में बंद कर देते हैं। ऐसे व्यवहार से उनके मन में या तो हमेशा के लिए डर बैठ जाता है या फिर वो ढ़ीठ हो जाते हैं। इससे उनका विकास बाधित होता है।
बच्चों का आत्मविश्वास को पहुंचती है ठेस
बच्चों को सबके सामने डांटने से उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचती है और उसका आत्मविश्वाा डगमगाता है।
बच्चे हो जाते हैं जिद्दी
बच्चों को बात बात पर सजा देने से कभी सबक नहीं मिलता, बल्कि इससे बच्चे और भी जिद्दी हो जाते हैं। उसमें चिड़चिड़ापन या उदासीनता जैसी व्यवहारिक समस्याएं बढ़ जाती हैं।
खुद भी वैसा व्यवहार करें, जैसा अपने बच्चों से चाहते हैं
बच्चें को यह समझाएं कि उससे क्या उम्मीदें हैं, वह कैसा व्यवहार करें। खुद बड़ों को भी वैसा व्यवहार करना चाहिए। जैसे घर से लौटने की समय सीमा का ध्यान रखें, सोने जागने का समय, टीवी देखने का समय आदि कुछ नियमों का खुद भी पालन करें।
बच्चों पर ना डालें दवाब
बच्चों पर किसी बात का दवाब डालना किसी सजा से कम नहीं है, ऐसा करने से वह उस समय तो आपकी बात मान लेगा, लेकिन उसमें अनुशासन की आदत लंबे समय तक नहीं रह पाएगी।