बच्चों में डवलप करें पर्सनल हाइजीन से जुड़ी ये आदतें, रख सकेंगे खुद का ख्याल

बच्चे कच्ची मिट्टी के समान होते हैं जिन्हें जिस आकार में ढाला जाए वे उसी रूप में आ जाते हैं। ऐसे में बचपन अच्छी आदतें सीखने का सबसे अच्छा समय होता हैं। बड़े हो या बच्चे सभी के लिए पर्सनल हाइजीन बहुत मायने रखती हैं। हाइजीन से जुड़ी खराब आदतें संक्रामक बीमारियों का कारण बनते हैं और उनके इम्यून सिस्टम को कमजोर करते हैं। ऐसे में जरूरी है कि बच्चों को खुद का ख्याल रखना सिखाया जाए और अपना पर्सनल हाइजीन को बेहतर तरीके से मेंटेन करने की आदत डाली जाए। आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं उन हाइजीन आदतों के बारे में जो समय रहते बच्चों में विकसित हो जाए तो अच्छा हैं। आइये जानें इनके बारे में...

टॉयलेट इस्तेमाल करने का सही तरीका

एक बार जब बच्चों के अंदर शौच की आदत पड़ जाती है, वो इससे जुड़ी साफ़ सफाई का ध्यान रखते हैं। 3 साल की उम्र के बाद अपने बच्चों को टॉयलेट हाइजीन से जुड़ी ये बातें जरूर समझाएं। जैसे कि टॉयलेट इस्तेमाल करने का सही तरीका ताकि इंफेक्शन से बचाव रहे। ये सभी जानकारी आप ही को उन्हेंं देनी होगी। आप उन्हें पोछना सिखाएं और इसके बाद हाथ धोना भी सिखाएं। टॉयलेट यूज करने के बाद 20 से 30 सेकंड तक साबुन से हाथों को धोने का सही तरीका। जिसमें कि वो अपनी उंगलियों के बीच, अपने हाथों के पीछे और अपने नाखूनों के नीचे अच्छे से सफाई करें। टॉयलेट यूज करने के बाद एक साफ तौलिया या टिशू पेपर का ही इस्तेमाल करें।

हाथों की सफाई

सेहतमंद बने रहने के लिए हाथों की सफाई से जुड़ी कुछ खास बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। व्यक्ति के हाथों पर कई तरह के बैक्टीरिया और वायरस हो सकते हैं। ऐसे में घर से लेकर स्कूल तक के बीच में ट्रेवल करते समय बच्चों को ये जरूर समझाएं कि उन्हें कब और किन चीजों को खाने से पहले अपने हाथों को साफ करना चाहिए। वर्ना ये कीटाणु उनके मुंह, नाक, आंख या कान के माध्यम से उनके शरीर में आसानी से प्रवेश कर सकते हैं। इससे बचने के लिए बच्चों को कुछ भी खाने से पहले और बाद में हाथ जरूर साफ करने चाहिए। दूसरा, छींकते हैं या फिर खांसते समय हाथ जरूर साफ करें। तीसरा, बच्चों को समझाएं कि जब कभी वो किसी जानवर को छूएं तो अपने हाथ जरूर साफ करें।

डेंटल हाइजीन

बात जब डेंटल हाइजीन की होती है तो सिर्फ दांतों की सफाई ही नहीं बल्कि पूरे मुंह की सफाई की बात होती है। दांतों और मसूड़ों की उचित देखभाल करके मसूड़ों से जुड़ी बीमारियों और कैविटी को रोकने में मदद मिल सकती है। इसके लिए दिन में कम से कम दो बार 2 मिनट तक सुबह उठने के बाद और सोने से पहले ब्रश करें। दांतों के साथ अपनी जीभ की सफाई भी करें।

अंडरआर्म की सफाई

बच्चे हों या युवा अक्सर अंडरआर्म्स की सफाई को नजरअंदाज कर देते हैं। पूरे शरीर में सबसे ज्यादा इसी अंग से पसीना आता है। आप अपने बच्चों से इसके अंडरआर्म को साफ़ रखने के फायदे बताएं। एक डिओडोरेंट बैक्टीरिया को नियंत्रित करता है और बदबू को रोकता है। जबकि एक एंटीपर्सपिरेंट भी पसीने को कम करने में मदद करता है।

नहाने की आदत

बच्चे अक्सर या तो नहाना बहुत पसंद करते हैं, या फिर बिलकुल भी नहीं। आप बच्चों में नहाने की आदत जरुर डालें। 4 साल की उम्र के बाद बच्चों को समझाएं कि रोज नहाना बच्चों के लिए क्यों जरूरी है। इसके अलावा नहाते समय शरीर के किन-किन अंगों की सफाई करनी जरूरी होती है। उन्हें ये भी बताएं कि ना नहाने से उन्हें बीमारी हो सकती है। ऐसे में आप बच्चों को खुद नहाने दें और उन्हें समय-समय पर तरीका भी बताते रहें।

नाखूनों की साफ सफाई

समय-समय पर बच्चों के नाखून ट्रिम करना और उनकी साफ-सफाई का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। नाखून में सबसे ज्यादा गंदगी और बैक्टीरिया छिपे रहते हैं। इसलिए बच्चों को उन्हें साफ रखने का तरीका बताएं। उन्हें बताएं कि नाखून की समय-समय पर कटिंग करें। नहाते समय अपने नाखून की सफाई जरूर करें।

खाने की सफाई

बच्चों को फल सब्जियां धोकर रखने या खाने की आदत डालें। उन्हें सिखाएं कि अगर वे फल खाएं तो पहले उन्हें साफ जरूर कर लें। यह भी सिखाएं कि किन चीजों को धोना चाहिए और किनको नहीं। मसलन, सेव धोकर खाएं लेकिन केला नहीं।

स्लीपिंग हाइजीन

सोने से पहले पैर, हाथ, चेहरा अच्छी तरह से धोकर या नहाकर साफ कपड़े पहनकर सोने की आदत डालें। उन्हें साफ बिस्तर पर सोने की भी आदत डालें। बढ़ती उम्र के साथ उन्हें अपने बेड को क्लीन करना भी सिखाएं।