शादी लायक हो गई हैं बेटी की उम्र, उन्हें जरूर सिखाएं ये बातें

शादियों का सीजन जारी हैं जहां आने वाले दिनों में कई कपल शादी के बंधन में बंधने जा रहे हैं। एक उम्र के बाद शादी करने का फैसला लेना होता हैं जो कि बेहद महत्वपूर्ण होता हैं क्योंकि इसके बाद आपके जीवन में कई बदलाव आते हैं। खासकर, शादी के बाद लड़कियों के जीवन में बहुत सारे बदलाव देखने को मिलते हैं। ऐसे में शादी के बाद लड़कियों को तालमेल बिठाने की जरूरत होती हैं। इस सामंजस्य को बैठाने के लिए आपको अपनी बेटी को कुछ सीख देने की जरूरत होती हैं ताकि वे अपने भविष्य में आने वाली स्थिति को संभाल सके। अगर आपकी बेटी भी शादी लायक हो गई हैं, तो उन्हें यहां बताई जा रही बातें जरूर सिखाएं।

शादी एक चॉइस होनी चाहिए

अपनी बेटियों को सिखाएँ की शादी करना या न करना उसका डिसीजन होना चाहिए। यदि वह शादी करना चाहती है तो किस उम्र और किस समय पर करना चाहती है इसमें भी उसी का मत एवं खुशी होनी चाहिए। यह बेहतर होगा कि शादी की इस उम्र को उसके माता-पिता या समाज व उसके कानून न तय करें। यह अपनी पुत्री को समझाएँ कि जीवन में शादी करना ही उसका एकमात्र लक्ष्य नहीं है। उसे यह बताएँ कि आसमान खुला पड़ा है और उसे उसकी बुलंदियों को छूना है।

घर के कामों में मदद करें


बेटी को शादी से पहले ये सिखाएं कि ससुराल उसका घर है और ससुराल वाले परिवार। ऐसे में अपने परिवार और घर की जिम्मेदारी को समझे। हो सकता है कि मायके में बेटी ने कभी अधिक घर के काम न किए हों लेकिन ससुराल में उन्हें सास की मदद करने की सलाह दें। उन्हें पहले से ही यह बात सिखाएं कि मायके में जितना काम करती हैं, ससुराल में उससे ज्यादा करना पड़ सकता है। इसलिए कामकाज के लिए तैयार करें और इस बदलाव से घबराएं नहीं।

बड़ों का सम्मान

इस बात में कोई दोराय नहीं कि एक अजनबी परिवार में रहना बहुत मुश्किल होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वहां के न केवल तौर-तरीके सीखने में समय लग जाता है बल्कि यह भी नहीं पता होता कि किससे क्या कहना है। ऐसे में अगर घर का बड़ा आपको किसी चीज के लिए डांट भी दे, तो उसे कभी भी जवाब न दें। इतना ही नहीं, बेटी को शादी से पहले ये बात सिखाएं कि वहां जाकर उसे हर किसी का आदर करना है। सास ससुर भी उसके माता पिता हैं, जिनका सम्मान करना बहुत ज्यादा जरूरी है।

ससुराल का रहन-सहन सीखें

यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि मायके-ससुराल का रहन-सहन बहुत अलग होता है। ऐसे में अपनी बेटी को बटाएं ससुराल के रहन-सहन के मुताबिक खुद को ढ़ालें। वहां न केवल अपनी सास का हाथ बताएं बल्कि उनसे वहां के तौर-तरीके भी सीखें।

जल्दी राय न बनाएं

शादी के बाद अक्सर लड़की को ससुराल वालों को समझने में वक्त लगता है। लोग ससुराल के लोगों के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते। ऐसे में हो सकता है कि किसी रिश्तेदार का शुरुआती इम्प्रेशन अच्छा न हो। ऐसे में बेटी को सिखाएं कि झट से कोई राय न बनाएं। बेटी को समझाएं कि वह ससुराल जाने पर लोगों को समझने के लिए वक्त लें।

माँ बनने की चॉइस

अपनी बेटियों को बताना चाहिए कि माँ बनना या न बनने में उसके स्वयं का मत होना चाहिए। यह उसके और उसके पति की आपसी मंजूरी से होना चाहिए। माता-पिता या इनलॉज के प्रेशर में आकर किसी भी लड़की को इस मानसिक और शारीरिक तनाव से नहीं गुज़रना चाहिए। अपनी बेटियों को सिखाएं कि अपने करियर को प्रायोरिटी देना, अपने ड्रीम को फॉलो करना, इसमें कुछ गलत नहीं है। मदरहुड को डिले करना, बच्चे को अडॉप्ट करना या बच्चा नहीं करना सब अपने आप में सही है।