पोता-पोती के साथ दादा-दादी का साथ अटूट होता है। बचपन में दादा-दादी हमारे सबसे अच्छे दोस्त होते हैं। लेकिन आजकल बच्चे अपने ग्रैंड पैरेंट्स के साथ वह रिलेशन नहीं बना पाते हैं जो पहले हुआ करता था। बीते समय में जब जॉइंट फैमिली हुआ करती थी और घर के सभी सदस्य एक साथ, एक छत के नीचे बैठते थे, तो उस वक्त घर के किसी भी सदस्य को किसी दूसरे सदस्य से बॉन्डिंग बनाने के लिए मेहनत नहीं करनी पड़ती थी। लेकिन आजकल जिन्हें जिम्मेदारियों और बदलाव के चलते छोटी-छोटी फैमिली के रूप में रहना पड़ रहा है उन्हें ग्रैंड पैरेंट्स के साथ बच्चों का रिश्ता मजबूत बनाने के लिए एफर्ट डालने पड़ते हैं जो जरूरी भी हैं क्योंकि ग्रैंड पैरेंट्स उस मजबूत पेड़ की भांति होते हैं, जिनकी छाया में बच्चा बहुत कुछ सीखता है और दुनिया के अनुभवों को घर में रहकर ही जानने लगता है। ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसे तरीके बताने जा रहे हैं जिनकी मदद से आपका यह काम आसान हो जाएगा।
हर दूसरे महीने जाएं पुराने घरजिन पेरेंट्स को मजबूरियों के चलते अपने बुजुर्ग माता-पिता से दूर रहना पड़ता है, वे संभव हो तो एक या दो महीने में पुराने घर का चक्कर लगा सकते हैं। ऐसा करने से वे अपने माता पिता से मिल पाएंगे, साथ ही उनका बच्चा अपने ग्रैंड पेरेंट्स को जान और समझ पाएगा। ऐसे में बच्चा ग्रैंड पेरेंट्स के साथ समय बीता पाएगा और उनके साथ यादगार पलों को जी पाएगा।
बच्चों को दादी-नानी के किस्से सुनाएं बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए उन्हें किसी अनुभवी व्यक्ति की संगत में रहना चाहिए। दादा-दादी या नाना-नानी से बेहतर कंपनी उनके लिए कोई और नहीं हो सकती। लेकिन बच्चे अपने दादा-दादी के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं और इसी कारण से वे उनके साथ जुड़ाव महसूस नहीं करते। बच्चों को दादा-दादी की कहानियां सुनाएं। उनके जीवन से जुड़ी अच्छी यादें बताएं। इससे बच्चे उनके प्रति लगाव महसूस करेंगे।
फैमिली ट्रिपरिश्तों में बॉन्डिंग बढ़ाने के लिए फैमिली ट्रिप एक बढ़िया तरीका है। आप अपने पेरेंट्स और बच्चों के साथ कहीं की फैमिली ट्रिप प्लान करें और वहां क्वालिटी टाइम स्पेंड करें। इस दौरान अपने बच्चों को ज्यादा से ज्यादा समय उनके ग्रैंड पेरेंट्स के साथ ही रखें। ट्रिप पर जाना बच्चों ही क्या बड़ों को भी बहुत पसंद होता है।
बच्चे की एक्टिविटी में ग्रैंड पेरेंट्स को शामिल करेंबच्चा ड्राइंग करे, स्कूल प्रोजेक्ट्स बनाए या फिर अपनी हॉबी से जुड़ा कुछ काम करे, अपने पेरेंट्स को बच्चे की एक्टिविटी में हिस्सा लेने को प्रोत्साहित करें। इससे बच्चा ग्रैंड पेरेंट्स के साथ कम्फर्टेबले महसूस करेगा।
बच्चों को दें ग्रैंड पैरेंट्स की जिम्मेदारीयह भी एक तरीका है बच्चों व ग्रैंड पैरेंट्स के बीच बॉन्ड को मजबूत करने का। अगर बच्चे का स्कूल ब्रेक है तो आप कुछ वक्त के लिए बच्चों को दादा-दादी के पास छोड़ दें। ऐसे में जब बच्चे ग्रैंड पैरेंट्स की और ग्रैंड पैरेंट्स बच्चों की देखभाल करेंगे तो इससे उनके बीच का कनेक्शन मजबूत होगा।
बच्चे को ग्रैंड पेरेंट्स के साथ सोने देंअगर बच्चा ग्रैंड पेरेंट्स के साथ सोने की ज़िद करे या फिर ग्रैंड पेरेंट्स ही बच्चे को अपने पास सुलाना चाहें, तो उन्हें रोके नहीं। ये सोचना कि बच्चे को आदत नहीं है या बच्चा ग्रैंड पेरेंट्स को परेशान करेगा, ठीक नहीं है। वे दोनों एक दूसरे के साथ जैसे कम्फर्टेबल महसूस करते हैं, उन्हें वैसे ही रहने दें।
बनें रोल मॉडलएक बात का आपको हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे वही करते हैं जो उनके माता-पिता करते हैं। इसलिए, अगर आप बच्चे की ग्रैंड पैरेंट्स के साथ एक मजबूत बॉन्ड क्रिएट करना चाहती हैं तो पहले खुद एक उदाहरण स्थापित करें। अपने माता-पिता और ससुराल वालों के लिए अपना प्यार और देखभाल दिखाएं। इससे बच्चे भी उसका अनुसरण करेंगे और उसी तरह करेंगे।
दादा-दादी की तारीफ करें पैरेंट्स बच्चों को दादा-दादी के करीब लाने के लिए उनके सामने दादा-दादी की तारीफ करें। उनके अच्छे स्वभाव के गुण उजागर करें। बच्चों को ये महसूस होना चाहिए कि उनके दादा-दादी कितने खास हैं। बच्चे दादा-दादी को उनके उम्र के आखिरी दौर में देखते हैं और इसी कारण से वे उन्हें आज के समय के मुताबिक नहीं लगते। लेकिन उनकी अच्छी बातों को बच्चों के सामने लाकर आप दोनों के बीच के बॉन्ड को मजबूत कर सकते हैं।